रांची: निजी क्षेत्र में 75 फीसदी स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान प्रभावी नहीं होने पर विधानसभा क्रियान्वयन समिति ने चिंता जताई है. सोमवार को विधानसभा में क्रियान्वयन समिति की बैठक हुई, जहां विभाग के द्वारा प्रस्तुत किए गए रिपोर्ट पर समिति ने नाराजगी जताई है. समिति ने इसे जल्द से जल्द प्रभावी बनाने को कहा.
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विधानसभा के द्वारा गठित इस समिति की यह पहली बैठक थी. जिसमें समिति के संयोजक नलिन सोरेन, विधायक प्रदीप यादव, श्रम विभाग के सचिव राजेश शर्मा सहित कई मौजूद थे. गौरतलब है कि विधानसभा के द्वारा गठित क्रियान्वयन समिति में नलिन सोरेन संयोजक और विधायक प्रदीप यादव, सुदिव्य कुमार सोनू, नारायण दास और भूषण बाड़ा सदस्य के रूप में है.
अब तक 1101 नियोक्ता निबंधित, जमीनी हकीकत की जांच करेगी समिति: विधानसभा की क्रियान्वयन समिति निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 फीसदी आरक्षण के लिए बनी है. क्रियान्वयन समिति की बैठक में श्रम विभाग द्वारा अब तक 1101 नियोक्ताओं का निबंधन होने के अलावा 5046 नियोक्ताओं को कार्रवाई के तहत नोटिस भेजे जाने की जानकारी दी गई. बैठक में विभाग द्वारा की गई कार्रवाई की स्थलीय जांच करने का निर्णय लिया गया.
देवघर और गोड्डा के दौरे पर जायेगी समिति: क्रियान्वयन समिति आगामी 10 से 12 जनवरी तक देवघर और गोड्डा के दौरे पर जायेगी. समिति के संयोजक नलिन सोरेन ने बताया कि प्रावधान के अनुरूप कंपनियों के द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया अपनाई जा रही है या नहीं, इसकी जांच की जायेगी. वहीं समिति के सदस्य प्रदीप यादव ने कहा कि कंपनियों के द्वारा ढिलाई बरती जा रही है. प्रावधान के तहत नोटिफिकेशन के एक महीने के अंदर कंपनियों को इसे लागू करना था, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी काफी सुश्त चाल से काम हो रहा है. सरकार ने भी सदन में आश्वासन दिया था कि 30 जनवरी तक हम इसका अनुपालन करा पायेंगे. इस समिति का यही जिम्मेदारी है कि इसका कितना अनुपालन हो रहा है. इस वजह से दो जिलों का दौरा सुनिश्चित किया गया है.
एक नजर में झारखंड में स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण: अब तक 1101 नियोक्ताओं ने निबंधन कराया है. श्रम विभाग ने 5046 कंपनियों को नोटिस भेजा है. प्रावधान के अनुरूप नोटिफिकेशन जारी होने के एक महीने के अंदर निबंधन कराना था. 40,000 से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों की रिक्तियों में स्थानीय लोगों के लिए 75% सीट आरक्षित होंगी. 10 से अधिक कर्मचारियों वाली निजी कंपनी या संस्था पर यह प्रावधान लागू होगा. केंद्र और राज्य सरकार की कंपनियों पर यह आरक्षण लागू नहीं होगा. स्थानीय युवाओं को ही इसका लाभ मिलेगा जो वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराएंगे. नियम का पालन नहीं करने वाली कंपनी को 10 हजार से 5 लाख तक का दंड का प्रावधान.