रांची: झारखंड में जिला खेल पदाधिकारियों को खेल के अलावा अन्य काम भी प्रभार में दिए जाते हैं. इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए राज्य के पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सचिव मनोज कुमार ने सभी जिले के उपायुक्त को पत्र भेजा है (Jharkhand Sports Secretary letter to DC), जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि जिला खेल पदाधिकारियों को खेल एवं पर्यटन के नोडल पदाधिकारी के अलावा अन्य सभी प्रकार के प्रभार एवं दायित्वों से अविलंब मुक्त कर दिया जाए, ताकि खेल पदाधिकारी अपना पूरा ध्यान खेल और खिलाड़ी पर ही फोकस कर सकें.
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मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल प्रतियोगिता के आयोजन के बाद खेल विभाग के विभागीय समीक्षा के दौरान यह जानकारी मिली थी कि जिला खेल पदाधिकारियों को जिला स्तर पर मिले अन्य दायित्व के कारण खेल एवं पर्यटन की योजनाओं का निष्पादन करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसी वजह से विभागीय सचिव ने सभी उपायुक्तों को 06 जनवरी 2023 की तिथि से निर्देश जारी किया कि वह जिला खेल पदाधिकारी को अन्य कार्य से मुक्त कर दें. खेल सचिव की ओर से लिखे गए पत्र में सभी उपायुक्तों को साफ-साफ यह निर्देशित किया गया है कि जिला में डीएसओ को खेल एवं पर्यटन के नोडल पदाधिकारी के अतिरिक्त दिए गए अन्य कार्य दायित्व और प्रभाव से अविलंब मुक्त किया जाए.
क्या पूरा मामला: फिल्म विभाग की समीक्षा के दौरान यह जानकारी मिली थी कि कई जिलों के उपायुक्तों ने नवनियुक्त जिला खेल पदाधिकारी को कई महत्वपूर्ण विभाग का प्रभार भी सौंप दिया था, ताकि जिला स्तर पर खेल के साथ-साथ विभागों के काम भी सुचारू रूप से चलता रहें लेकिन इसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि जिला खेल पदाधिकारियों का ध्यान खेल और पर्यटन से जुड़ी योजनाओं पर कम हो गया था और अन्य कार्यों पर अधिक. इस वजह से खेल और खिलाड़ी की कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो रही थी, जिसके बाद खेल सचिव को यह फैसला लेना पड़ा.
अपनी सारी ऊर्जा खेल के विकास पर लगाएं जिला खेल पदाधिकारी- मनोज कुमार: राज्य खेल सचिव ने सभी जिले के डीसी से डीएसओ को सिर्फ खेल और पर्यटन के नोडल अधिकारी के रूप में सेवा लेने संबंधी आदेश जारी करने को लेकर कहा कि विभाग की मंशा है कि झारखंड खेल के क्षेत्र में देश के टॉप राज्यों में से एक हो. ऐसा तब संभव है जब हम अपना पूरा ध्यान खेल और खिलाड़ी के विकास में लगाएंगे. इसलिए सभी उपायुक्तों को यह निर्देश दिया गया है कि जिला खेल पदाधिकारियों को अन्य कार्यों में ना लगाया जाए, ताकि जिला खेल पदाधिकारी अपनी सारी ऊर्जा खेल और खिलाड़ी के विकास एवं खेल प्रशिक्षण में लगाएं और हर जिले से खेल प्रतिभा निखर कर सामने आए और झारखंड खेल और खिलाड़ी के मामले में अव्वल राज्य हो.