रांचीः उग्रवादी संगठन पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के प्रमुख सहयोगी निवेश और उसके सात साथियों की गिरफ्तारी के बाद संगठन के हथियार और खौफ की कमाई को लेकर हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के सहयोगी निवेश की कहानी एक थ्रिलर फिल्म के जैसी है. बीएमडब्ल्यू और थार जैसे महंगे वाहनों से जंगल में हथियार और पैसे पहुंचाने की योजना शातिर निवेश की ही थी, जिसे उसने बखूबी अमल में लाया और पीएलएफआई तक अत्याधुनिक हथियार पहुंचाए. रांची पुलिस की जांच की दिशा अब इस और बढ़ चुकी है कि निवेश के जरिए कौन-कौन से अत्याधुनिक हथियार संगठन तक पहुंचाए गए हैं या कौन से हथियार हैं जो नहीं पहुंचे हैं और वह कहां डंप हैं.
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हथियार से लैश करने को लेकर संगठन से जुड़ा था निवेशः रांची के धुर्वा में छोटी मोटी ठगी करने वाला एक साधारण से दिखने वाला निवेश कुमार दिमाग से बेहद शातिर है. दिनेश गोप के करीब जाने के लिए उसने काफी शॉर्टकट रास्ता अपनाया और सुप्रीमो का खास बन गया. उसने पीएलएफआई को आधुनिक हथियार से लैस करने की जिम्मेदारी उठाई और पाकिस्तान तक से हथियार तस्करों से संपर्क साध लिया. अवैध हथियार बाजार से तस्वीरें और वीडियो मंगाकर उसने उन्हीं तस्वीरों को दिखाकर सुप्रीमो से सेलक्ट करवाया और हथियार सप्लाई देने वाले गिरोह से संपर्क साधा और हथियार भी मंगवाकर जंगल पहुंचा दिया.
महंगी गाड़ियों से हथियारों की तस्करीः निवेश ने दिनेश गोप का भरोसा जीतने के बाद उसे यह बताया कि अगर वह बीएमडब्ल्यू जैसे महंगे वाहन खरीदकर उससे हथियारों की तस्करी और पैसे ले जाने का काम करें तो पुलिस की नजर में कभी नहीं आएंगे. दिनेश गोप को निवेश का यह सुझाव काफी तार्किक लगा. जिसके बाद दिनेश गोप के दिए पैसे से निवेश ने पंजाब और नोएडा से बीएमडब्ल्यू और थार खरीदा. फिर उसी वाहन से जंगल से पैसे लाए जाने लगे और हथियार जंगल पहुंचाए जाने लगे. महंगी कार में निवेश अपनी बांग्लादेशी गर्लफ्रेंड फातिमा को आगे बिठाकर पैसों की लेनदेन और हथियार पहुंचाने का काम करने लगा. एक महिला के बैठे रहने की वजह से पुलिस को कभी एहसास नहीं होता था कि उस वाहन से हथियारों की तस्करी की जा रही है.
दिनेश गोप का साला बना सुप्रीमो का लाइजनरः निवेश को उग्रवादी संगठन पीएलएफआई में एंट्री रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में रहते हुए हुई. दो साल पहले निवेश को रांची पुलिस ने करोड़ों की ठगी के आरोप में जेल भेजा था. इसबीच उसी जेल में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का साला अरूण गोप भी बंद है. जेल में निवेश उसका करीबी बना और सुप्रीमो तक पहुंचाने के लिए लाइजनर बन गया. अरुण ने ही निवेश के अनुरोध पर दिनेश गोप से फोन पर बात कराया. इसी बातचीत के साथथ ही पीएलएफआई में उसकी एंट्री हो गई और मौजूदा समय में वह बेहद करीबी बन चुका था.
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जेल से छूटते ही जुट गया था संगठन विस्तार मेंः वर्ष 2020 में निवेश जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आया. इसके बाद सीधे दिनेश गोप से संपर्क किया और दिनेश गोप से मिलने खूंटी पहुंच गया. खूंटी के कोतांगीर स्थित एक मंदिर में निवेश दिनेश गोप से मिला. वहीं संगठन के लिए काम करने का वादा किया. गोप से मिलने के बाद निवेश संगठन के लिए लेवी वसूली, हथियारों की सप्लाई सहित कई महत्वपूर्ण गतिविधियों में जुट गया. विश्वास जमने के बाद सुप्रीमो ने लेवी वसूली के करीब ढाई करोड़ रुपये इन्वेस्ट करने के लिए दिया. जिसे होटल और रियल स्टेट जैसे धंधों में लगा दिया. इस इन्वेस्टमेंट की कमाई भी वह दिनेश गोप को भेजने लगा और संगठन विस्तार में लगाने लगा.
लेवी के पैसों से संपत्ति भी बनाईः निवेश पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप का बेहद करीब बन चुका था. इस वजह से इन्वेस्टमेंट के पैसे निवेश को भी मिलती थी. उन्हीं पैसों से निवेश ने अपनी पत्नी के नाम पर नगड़ी में एक जमीन खरीदी है. नगड़ी में खरीदी गई जमीन की कीमत करीब 50 लाख रुपये बताई जा रही है. इसके अलावा भी रांची जिला और आसपास के इलाके में कई जमीनें खरीदी है. पीएलएफआई के लेवी के पैसों का निवेश और हथियार की तस्करी करने वाले निवेश कुमार की गिरफ्तारी के बाद हथियार तस्करी का इंटरनेशनल लिंक सामने आ रहा है. ऐसे में पुलिस के आला अधिकारियों के मुताबिक निवेश का केस एनआईए को ट्रांसफर हो सकता है. एनआईए के द्वारा पहले से दिनेश गोप के पैसों के विभिन्न कारोबार में निवेश के मामले की जांच हो रही है. इस मामले में दिनेश गोप की दोनों पत्नियां, बिजनेस साझेदार समेत अन्य लोग फिलहाल जेल में हैं. ऐसे में एनआईए की रांची शाखा धुर्वा थाना में दर्ज केस को भी टेकओवर कर सकती है.