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झारखंड में नेशनल गेम्स से ज्यादा मायने रखता है फ्रेंडली गेम, गुजरात गये खिलाड़ियों को नहीं मिला तव्वजो, राजनीति शुरू - रांची न्यूज

झारखंड में नेशनल गेम्स से ज्यादा फ्रेंडली गेम मायने रखता है. यहां पर फ्रेंडली गेम के लिए महंगे किट खरीदे जाते हैं, जबिक 36वें नेशनल गेम्स (36th National Games) में गए खिलाड़ियों को ब्लेजर भी उपलब्ध नहीं कराया गया है. इसे लकर अब राजनीति शुरू हो गई है.

Jharkhand players in 36th National Games
Jharkhand players in 36th National Games
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Published : Sep 29, 2022, 6:14 PM IST

Updated : Sep 29, 2022, 9:03 PM IST

रांची: गुजरात की धरती पर झारखंड के खिलाड़ियों की अग्नि परीक्षा होनी है. 29 सितंबर की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 36वें नेशनल गेम्स (36th National Games) का उद्घाटन किया है. अलग-अलग इवेंट में भाग लेने के लिए झारखंड के 265 खिलाड़ियों और पदाधिकारियों का दल गुजरात पहुंच चुका है. लेकिन आयोजन से पहले ही खेल और खिलाड़ियों की उपेक्षा को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. सवाल उठाया जा रहा है कि महंगाई के दौर में नेशनल गेम के लिए चयनित खिलाड़ियों को सिर्फ 5-5 हजार रुपए का किट क्यों दिया गया. इतने कम पैसे के किट की गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- 36वें राष्ट्रीय खेल के लिए हॉकी झारखंड पूरी तरह तैयार, 42 सदस्यीय महिला और पुरुष खिलाड़ी राजकोट रवाना

सरकार के इस रूख की तुलना विधानसभा की ओर से कराए जाने वाले फ्रेंडली टेनिस बॉल क्रिकेट मैच से की जा रही है. विधानसभा की ओर से साल 2021 में आयोजित दो मैच के लिए किट खरीदने के एवज में 33 लाख रुपए का बिल बना था. यही नहीं दो दिन के 3-3 घंटे के इवेंट पर कुल 42 लाख का बिल बना था. इस बेरूखी के लिए खेल मंत्री हफीजुल हसन से प्रतिक्रिया लेने की कई बार कोशिश की गई लेकिन उनके पीए ने कहा कि साहब व्यस्त हैं.

इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अपने हाथों से खिलाड़ियों को किट देकर उनकी हौसला अफजाई करते हुए विदा कर सकते हैं तो फिर यहां की सरकार को ऐसा करने में कौन सी दिक्कत आन पड़ी. ऐसा इसलिए क्योंकि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बार-बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार खेल को लेकर बेहद गंभीर है.

इन सबके बीच भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि सोचिए, राज्य के 220 खिलाड़ी ओपनिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री जी के सामने बिना ब्लेजर और जूते के मार्च पास्ट करेंगे तो राज्य की कैसी छवि बनेगी. उन्होंने लिखा है कि खिलाड़ियों को (Jharkhand players in 36th National Games) किट के लिए मात्र 5 हजार रुपए ही दिए गये हैं. जबकि बिहार, ओड़िशा महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने अपने खिलाड़ियों को 15-20 हजार रुपए दिए हैं. झारखंड सरकार के उदासीन रवैये ने एक बार फिर राज्य को शर्मसार किया है.

हालाकि, सच यह है कि नेशनल गेम्स के मार्च पास्ट के दौरान ब्लेजर पहनना प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है. खेल के जानकारों ने बताया कि झारखंड की रांची में हुए 34वें नेशनल गेम्स के दौरान यहां के पुरूष खिलाड़ियों ने पारंपरिक कुर्ता पायजामा और महिला खिलाड़ियों ने साड़ी पहना था. लेकिन यह सच है कि महंगाई के दौर में खिलाडि़यों को सिर्फ पांच हजार रुपए की किट दी गई है.

आपको बता दें कि नेशनल गेम्स के लिए खिलाड़ियों का चयन झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन करता है. लेकिन राज्य बनने के बाद से अभी तक चेयरमैन के पद पर आरके आनंद काबिज है. हालाकि महासचिव के पद पर हाशमी की जगह मधुकांत पाठक आ गये हैं. कुल मिलाकर कहें तो झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन पर कुछ चुनिंदा लोग कुंडली मारे बैठे हुए हैं.

इस पूरे प्रकरण में केंद्रीय मंत्री सह तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अर्जुन मुंडा की खेल के प्रति संजीदगी की खूब तारीफ हो रही है. दरअसल, तीरंदाजी दल को जमशेदपुर से ही रवाना होना था लेकिन ट्रेन कैंसिल होने पर अर्जुन मुंडा ने खुद पहल करते हुए खिलाड़ियों को फ्लाइट से गुजरात भेजा था.

झारखंड को जल, जंगल और जमीन के साथ-साथ खेल और खिलाड़ियों के लिए भी जाना जाता है. इस धरती ने देश को कई अंतराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी दिए हैं. इनमें मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का नाम सर्वोपरी है. निक्की प्रधान और सलीमा टेटे जैसी लड़कियों ने आज के हॉकी में अपनी पहचान बनायी है. महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट की दुनिया में झारखंड का नाम रौशन किया है. दीपिका कुमारी जैसी तीरंदाज ने इंटरनेशनल स्तर पर कई मेडल जीते हैं. पिछले दिनों पहली बार एक स्कूल की छात्राओं ने सुब्रतो कप नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता जीतकर राज्य को गौरान्वित किया है. यहां के युवाओं का खेल के प्रति रूझान बढ़ा है. वर्तमान हेमंत सरकार ने भी नई खेल नीति के जरिए खेल पदाधिकारियों की सीधी नियुक्ति कर होनहार खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने का रास्ता खोला है. लेकिन 36वें नेशनल गेम्स में खिलाड़ियों के साथ हुई बेरूखी से पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में हैं.

इन सवालों के बीच झारखंड के खिलाड़ी 16 प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेंगे. पूरा राज्य उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठा है. अब देखना है कि जब खिलाड़ी मेडल जीतेंगे तो कौन वाहवाही बटोरना चाहेगा.

रांची: गुजरात की धरती पर झारखंड के खिलाड़ियों की अग्नि परीक्षा होनी है. 29 सितंबर की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 36वें नेशनल गेम्स (36th National Games) का उद्घाटन किया है. अलग-अलग इवेंट में भाग लेने के लिए झारखंड के 265 खिलाड़ियों और पदाधिकारियों का दल गुजरात पहुंच चुका है. लेकिन आयोजन से पहले ही खेल और खिलाड़ियों की उपेक्षा को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. सवाल उठाया जा रहा है कि महंगाई के दौर में नेशनल गेम के लिए चयनित खिलाड़ियों को सिर्फ 5-5 हजार रुपए का किट क्यों दिया गया. इतने कम पैसे के किट की गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- 36वें राष्ट्रीय खेल के लिए हॉकी झारखंड पूरी तरह तैयार, 42 सदस्यीय महिला और पुरुष खिलाड़ी राजकोट रवाना

सरकार के इस रूख की तुलना विधानसभा की ओर से कराए जाने वाले फ्रेंडली टेनिस बॉल क्रिकेट मैच से की जा रही है. विधानसभा की ओर से साल 2021 में आयोजित दो मैच के लिए किट खरीदने के एवज में 33 लाख रुपए का बिल बना था. यही नहीं दो दिन के 3-3 घंटे के इवेंट पर कुल 42 लाख का बिल बना था. इस बेरूखी के लिए खेल मंत्री हफीजुल हसन से प्रतिक्रिया लेने की कई बार कोशिश की गई लेकिन उनके पीए ने कहा कि साहब व्यस्त हैं.

इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अपने हाथों से खिलाड़ियों को किट देकर उनकी हौसला अफजाई करते हुए विदा कर सकते हैं तो फिर यहां की सरकार को ऐसा करने में कौन सी दिक्कत आन पड़ी. ऐसा इसलिए क्योंकि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बार-बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार खेल को लेकर बेहद गंभीर है.

इन सबके बीच भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि सोचिए, राज्य के 220 खिलाड़ी ओपनिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री जी के सामने बिना ब्लेजर और जूते के मार्च पास्ट करेंगे तो राज्य की कैसी छवि बनेगी. उन्होंने लिखा है कि खिलाड़ियों को (Jharkhand players in 36th National Games) किट के लिए मात्र 5 हजार रुपए ही दिए गये हैं. जबकि बिहार, ओड़िशा महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने अपने खिलाड़ियों को 15-20 हजार रुपए दिए हैं. झारखंड सरकार के उदासीन रवैये ने एक बार फिर राज्य को शर्मसार किया है.

हालाकि, सच यह है कि नेशनल गेम्स के मार्च पास्ट के दौरान ब्लेजर पहनना प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है. खेल के जानकारों ने बताया कि झारखंड की रांची में हुए 34वें नेशनल गेम्स के दौरान यहां के पुरूष खिलाड़ियों ने पारंपरिक कुर्ता पायजामा और महिला खिलाड़ियों ने साड़ी पहना था. लेकिन यह सच है कि महंगाई के दौर में खिलाडि़यों को सिर्फ पांच हजार रुपए की किट दी गई है.

आपको बता दें कि नेशनल गेम्स के लिए खिलाड़ियों का चयन झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन करता है. लेकिन राज्य बनने के बाद से अभी तक चेयरमैन के पद पर आरके आनंद काबिज है. हालाकि महासचिव के पद पर हाशमी की जगह मधुकांत पाठक आ गये हैं. कुल मिलाकर कहें तो झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन पर कुछ चुनिंदा लोग कुंडली मारे बैठे हुए हैं.

इस पूरे प्रकरण में केंद्रीय मंत्री सह तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष अर्जुन मुंडा की खेल के प्रति संजीदगी की खूब तारीफ हो रही है. दरअसल, तीरंदाजी दल को जमशेदपुर से ही रवाना होना था लेकिन ट्रेन कैंसिल होने पर अर्जुन मुंडा ने खुद पहल करते हुए खिलाड़ियों को फ्लाइट से गुजरात भेजा था.

झारखंड को जल, जंगल और जमीन के साथ-साथ खेल और खिलाड़ियों के लिए भी जाना जाता है. इस धरती ने देश को कई अंतराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी दिए हैं. इनमें मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का नाम सर्वोपरी है. निक्की प्रधान और सलीमा टेटे जैसी लड़कियों ने आज के हॉकी में अपनी पहचान बनायी है. महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट की दुनिया में झारखंड का नाम रौशन किया है. दीपिका कुमारी जैसी तीरंदाज ने इंटरनेशनल स्तर पर कई मेडल जीते हैं. पिछले दिनों पहली बार एक स्कूल की छात्राओं ने सुब्रतो कप नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता जीतकर राज्य को गौरान्वित किया है. यहां के युवाओं का खेल के प्रति रूझान बढ़ा है. वर्तमान हेमंत सरकार ने भी नई खेल नीति के जरिए खेल पदाधिकारियों की सीधी नियुक्ति कर होनहार खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने का रास्ता खोला है. लेकिन 36वें नेशनल गेम्स में खिलाड़ियों के साथ हुई बेरूखी से पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में हैं.

इन सवालों के बीच झारखंड के खिलाड़ी 16 प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेंगे. पूरा राज्य उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठा है. अब देखना है कि जब खिलाड़ी मेडल जीतेंगे तो कौन वाहवाही बटोरना चाहेगा.

Last Updated : Sep 29, 2022, 9:03 PM IST
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