रांचीः मत्स्य पालन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा झारखंड एक कदम और आगे बढ़ा है. यह उपलब्धि तब मिलेगी, जब गंगा नदी की नर मछली ब्रूडर के सीमेन से आनुवंशिक रूप से उन्नत ब्रूडर मछली और उसका बीज तैयार करेगा.
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, झारखंड कृषि निदेशालय और मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएफजीआर) के संयुक्त कार्यक्रम के तहत झारखंड में पहली बार गंगा नदी के नर मछली के क्रायोप्रिजर्व्ड सीमेन के उपयोग से राज्य में उन्नत किस्म की मछलियों का बीज तैयार करने की कोशिश की जा रही है.
अभी निजी हैचरी से हुई शुरुआत
राज्य में उन्नत मछलियों के बीज तैयार करने का कार्यक्रम की शुरुआत हजारीबाग के निजी हैचरी संचालक देवानंद और इंद्रजीत डे के फॉर्म से हुई है. इन दोनों के फॉर्म में गंगा नदी के नर मछलियों के सीमेन को झारखंड के मादा मछलियों के अंडों के साथ प्रजनन कराया गया, ताकि भविष्य में उन्नत किस्म की मछली का बीज और ब्रूडर मछलियां तैयार की जा सके.
कार्यक्रम का पहला चरण हो चुका समाप्त
आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, उप महानिदेशक (फिशरीज) डॉ. जेके जैन और एनबीएफजीआर के डॉक्टर केके लाल के निर्देशन और सहयोग से कार्यक्रम का पहला चरण समाप्त हो गया है और दूसरे चरण में इस आनुवंशिक उन्नयन के तहत सरकारी हैचरी में भी ब्रूडर स्टॉक का प्रजनन कराकर सेकंड जेनेटिक लाइन तैयार किया जाएगा. झारखंड मत्स्य निदेशालय के निदेशक डॉ. एचएन द्विवेदी ने बताया कि गंगा नदी के उन्नत नर मछलियों के सीमेन और झारखंड के मादा मछलियों के अंडे से उन्नत किस्म की मछलियां तैयार होंगी और इसका फायदा राज्य के मछली पालकों को मिलेगा.
2024 तक झारखंड को मछली निर्यातक राज्य बनाना है लक्ष्य
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड को मछली पालन में अग्रणी राज्य बनाने के साथ-साथ वर्ष 2024 तक राज्य में 3.5 लाख मैट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. मुख्यमंत्री ने विभाग को निर्देश दिया है कि राज्य को मछली निर्यातक राज्यों में शुमार करें. इस लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर मत्स्य निदेशालय ना सिर्फ राज्य के मछली पालकों को केसीसी उपलब्ध करा रही हैं, बल्कि उन्हें कैसे उन्नत और श्रेष्ठ मछली बीज उपलब्ध हो, इसकी भी चिंता कर रही है.