रांचीः देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जब छात्र थे, तब उनकी परीक्षा की कॉपी जांचने वाले शिक्षक ने उनकी कॉपी पर लिखा था 'Examinee is better than Examiner', यानी परीक्षा देने वाला परीक्षा लेने वाले से बेहतर है. आज भी ये चंद शब्द छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत का काम करते हैं. इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है. झारखंड कैडर के एक आईएएस अधिकारी ने अमेरिका जाकर ऐसे ही देश का नाम रोशन किया है.
मनीष रंजन 2002 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं. इन्हें दुनिया के मशहूर विश्वविद्यालयों में से एक अमेरिका के ब्राकले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने 100 अंक की परीक्षा में 107.5 अंक दिया है. मनीष रंजन को यह उपलब्धि इंफ्रेंटल स्टैटिस्टिकस कोर्स में मिली है.
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अमेरिका में अधिकतम अंक से ज्यादा अंक देने का अधिकार प्रोफेसर को होता है, जो बिरले ही किसी छात्र को मिलता है. खास बात है कि जिस प्रोफेसर ने मनीष रंजन को यह अंक दिया है, उनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है. उनका नाम है रकर सी जॉनसन. जॉनसन एक लेबर इकोनॉमिस्ट हैं. इसके साथ ही वे अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप के सलाहकारों में एक हैं. उन्होंने Children of the dream : why school integration works समेत कई किताबें लिखी हैं.
आईएस मनीष रंजन को मिली इस उपलब्धि को आईएएस एसोसिएशन ने ट्विटर के जरिए शेयर कर शुभकामनाएं दी हैं. इसी को आधार बनाकर ईटीवी भारत की टीम ने मनीष रंजन के बायोडाटा को खंगाला. सबसे पहले मनीष रंजन से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन पता चला कि वे पब्लिक अफेयर्स में मास्टर डिग्री की पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया में हैं. मनीष रंजन के बारे में ईटीवी भारत को जो जानकारी हाथ लगी है उसे हम अपने दर्शकों के साथ शेयर करना चाहते हैं. खासतौर से यह जानकारी झारखंड के उन छात्रों के लिए है जो अपने भीतर छिपे गुणों को देखने के बजाय अपनी कमियों को चश्मा बना लेते हैं.
बिहार के रहने वाले हैं मनीष रंजन
बिहार के छपरा के एक गांव की पगडंडियों से निकलकर नेतरहाट आवासीय विद्यालय से स्कूली तालीम हासिल करने के बाद मनीष रंजन ने हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली. पीएचडी के बाद इन्होंने गुजरात के आनंद स्थित इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट से मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की.
मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन ने 2002 बैच की ट्रेनिंग के बाद मनीष रंजन को उस बैच का टॉपर घोषित किया था. उन्होंने बतौर उपायुक्त हजारीबाग, पाकुड़, देवघर, गढ़वा, खूंटी और लातेहार जिला में अपनी सेवा दी. स्वास्थ्य शिक्षा, श्रम और उद्योग विभाग में निदेशक रहे. पर्यटन, कला संस्कृति विभाग में सचिव रहे. फिलहाल झारखंड में अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद पर रहते हुए स्टडी लीव पर कैलिफोर्निया में हैं.
एक नौकरशाह के रूप में मनीष रंजन के उपलब्धियों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इन्होंने 'सेव चाइल्डहुड' नाम से प्रोग्राम शुरू किया था जिसे आगे चलकर केंद्र सरकार ने भी अंगीकृत किया. बात मनरेगा की हो या गरीबों को उनका अधिकार दिलाने की, मनीष रंजन ने कई काम किए. शिशु मृत्युदर को साल 2011 से 2013 के बीच 38 प्रतिशत से 29 प्रतिशत पर लाने में इन्होंने अहम भूमिका निभाई. मनीष रंजन को सराहनीय कार्यों के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पुरस्कार भी मिल चुके हैं.