रांची: झारखंड के पलामू, गढ़वा सहित अन्य जिलों में धान खरीद में करोड़ों रुपए के घोटाला (scam of crores in paddy purchase) से संबंधित मामले में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जहां अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार से मौखिक रूप से पूछा कि धान खरीद में हजारों करोड़ के घोटाले हुए हैं, फिर इसकी जांच सीबीआई से क्यों नहीं कराई गई. कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और सुनवाई की अगली तिथि 28 अप्रैल को तय की.
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दरअसल, हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि साल 2011, 2012 और 2013 में धान खरीद में करोड़ों का घोटाला हुआ है. याचिका में कहा गया है कि धान खरीदारी के लिए सरकार ने लैंपस और पैक्स को राशि दी थी. लेकिन, धान की खरीद के बाद बची राशि को नहीं लौटाया गया. मामले में उमाशंकर सिंह समेत छह अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश केपी देव की अदालत में मंगलवार को धान खरीद में घोटाला से संबंधित याचिका पर सुनवाई की गई. सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि धान खरीदारी में घोटाले के दो साल बाद प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश क्यों दिया गया? इसके साथ ही सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए जाने पर भी अदालत ने सवाल किया है. मामले में कोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाब मांगा है.