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सीएम हेमंत और रिश्तेदारों के नाम पर लीज आवंटन मामला: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

झारखंड हाईकोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन और रिश्तेदारों के नाम पर लीज आवंटन मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान हेमंत की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील पेश की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसी याचिका खारिज हो चुकी है, इसीलिए यह केस सुनवाई योग्य नहीं है. CM Hemant Soren lease allotment case.

CM Hemant Soren lease allotment case
CM Hemant Soren lease allotment case
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 11, 2023, 8:24 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों के नाम पर माइनिंग लीज अलॉट करने के मामले की जांच के लिए दायर पीआईएल पर बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सीएम हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ऑनलाइन मोड में जुड़े.

ये भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के वकील ने कहा- समन में नहीं है स्पष्टता, 13 अक्टूबर को ईडी रखेगी अपना पक्ष

चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि इसी तरह के समान मामले में शिव शंकर शर्मा एवं अन्य की जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन एवं अन्य के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट के खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है.

इस याचिका में पुनः उसी बात को उठाया जाना उचित नहीं है. इस पर प्रार्थी की ओर से पेश की गई दलील में बताया गया कि यह केस शिव शंकर शर्मा की निरस्त हुई याचिका से अलग है. शिव शंकर शर्मा की याचिका में केवल सीएम के नाम पर खनन लीज आवंटन का विषय था, जबकि इस याचिका में सीएम की पत्नी और साली को इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन देने से जुड़े विषय उठाए गए हैं.

इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर निर्धारित की गई है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विशाल कुमार ने मामले में पैरवी की. प्रार्थी की ओर से कोर्ट में पूर्व सुनवाई में बताया गया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खान विभाग का मंत्री रहते हुए संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है.

उन्होंने स्वयं के लिए रांची के अनगड़ा में माइनिंग लीज तो आवंटित कराया ही, पत्नी कल्पना मुर्मू और साली सरला मुर्मू की फर्म को भी लीज आवंटित कराया.

प्रार्थी ने यह भी कहा था कि उन्होंने इस मामले में संबंधित प्राधिकार से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों की जांच कर कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया था लेकिन किसी संबंधित प्राधिकार ने कार्रवाई नहीं की. इसके बाद उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है ताकि संबंधित प्राधिकार को जांच कर आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया जा सके.

इनपुट- आईएएनएन

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों के नाम पर माइनिंग लीज अलॉट करने के मामले की जांच के लिए दायर पीआईएल पर बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सीएम हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ऑनलाइन मोड में जुड़े.

ये भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के वकील ने कहा- समन में नहीं है स्पष्टता, 13 अक्टूबर को ईडी रखेगी अपना पक्ष

चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि इसी तरह के समान मामले में शिव शंकर शर्मा एवं अन्य की जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन एवं अन्य के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट के खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है.

इस याचिका में पुनः उसी बात को उठाया जाना उचित नहीं है. इस पर प्रार्थी की ओर से पेश की गई दलील में बताया गया कि यह केस शिव शंकर शर्मा की निरस्त हुई याचिका से अलग है. शिव शंकर शर्मा की याचिका में केवल सीएम के नाम पर खनन लीज आवंटन का विषय था, जबकि इस याचिका में सीएम की पत्नी और साली को इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन देने से जुड़े विषय उठाए गए हैं.

इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर निर्धारित की गई है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विशाल कुमार ने मामले में पैरवी की. प्रार्थी की ओर से कोर्ट में पूर्व सुनवाई में बताया गया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खान विभाग का मंत्री रहते हुए संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है.

उन्होंने स्वयं के लिए रांची के अनगड़ा में माइनिंग लीज तो आवंटित कराया ही, पत्नी कल्पना मुर्मू और साली सरला मुर्मू की फर्म को भी लीज आवंटित कराया.

प्रार्थी ने यह भी कहा था कि उन्होंने इस मामले में संबंधित प्राधिकार से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों की जांच कर कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया था लेकिन किसी संबंधित प्राधिकार ने कार्रवाई नहीं की. इसके बाद उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है ताकि संबंधित प्राधिकार को जांच कर आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया जा सके.

इनपुट- आईएएनएन

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