रांची: प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआई के उग्रवादी बारूद गोप की जमानत के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी के आपराधिक इतिहास को देखते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया है. झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि इतने गंभीर मामले में सजायाफ्ता को जमानत नहीं दी जा सकती है. अपील याचिका पर आगे सुनवाई की जाएगी.
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झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंजन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश संजय प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. इसमें याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से कहा गया कि सिमडेगा की निचली अदालत से जो सजा दी गई है, वह उचित नहीं है. इसलिए निचली अदालत की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. अपील सुनवाई के लिए लंबित है, इसलिए उसे जमानत दी जाए.
इस पर सरकार के अधिवक्ता विनीत वशिष्ठ ने प्रार्थी के अधिवक्ता की दलील का विरोध किया. उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि उग्रवादी को जमानत न दी जाए. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि इसका लंबा आपराधिक इतिहास है. यह कई मामले में आरोपी है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया और जमानत के लिए दायर हस्तक्षेप याचिका खारिज कर दिया.
बता दें कि पीएलएफआई सदस्य बारूद गोप पर खूंटी और सिमडेगा जिले में कई आपराधिक मामले में आरोपी है. कई हत्या और पुलिस पर हमला करने के मामले में आरोपी है. सिमडेगा के कोलेबिरा थाना के एक मामले में सिमडेगा की निचली अदालत से उन्हें 10 वर्ष की सजा दी गई है. उसी मामले में हाई कोर्ट में अपील याचिका दायर की गई थी.