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उपायुक्त नहीं कर सकते सेल डीड रद्द, राज्य सरकार का आदेश निरस्त, हाईकोर्ट ने कहा- सिविल कोर्ट को है अधिकार - झारखंड हाईकोर्ट

High Court canceled order of Jharkhand government. झारखंड हाईकोर्ट ने सेल डीड रद्द करने के मामले में अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि उपायुक्त सेल डीड रद्द नहीं कर सकते हैं, यह अधिकार सिविल कोर्ट को है.

High Court canceled order of Jharkhand government
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 11, 2024, 8:18 PM IST

रांची: उपायुक्तों को सेल डीड कैंसिल करने का अधिकार नहीं है. इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने फैसला सुनाया है. उपायुक्तों द्वारा 33 सेल डीड कैंसिल करने के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई थी. इसपर पूर्व में ही फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने बताया कि अगर फर्जीवाड़ा कर जमीन की खरीद बिक्री हुई है तो उसको सिविल कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए. उपायुक्त को इसपर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. यह जानकारी हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है.

दरअसल, 2016 में तत्कालीन राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर जिलों के उपायुक्तों को अधिकार दिया था कि कागजात में गड़बड़ी कर जमीन की खरीद बिक्री करने पर उस जमीन की सेल डीड को निरस्त किया जा सकता है. इस आधार पर अलग अलग जिलों के कई उपायुक्तों ने कई सेल डीड को निरस्त किया था. इन फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने उपायुक्तों द्वारा सेल डीड से संबंधित एफआईआर को भी निरस्त कर दिया है.

दरअसल, इसी मामले में 33 सेल डीड निरस्त किए जाने पर याचिकाएं दायर की गई थी. इसमें गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की पत्नी अनामिका गौतम की ओर से देवघर में सेल डीड निरस्त करने के मामले को भी चुनौती दी गई थी. उनका आरोप था कि देवघर के श्यामगंज की जमीन से जुड़े सेल डीड को कैंसिल कर दिया गया था. सेल डीड कैंसिल किए जाने से जुड़े मामले को सांसद निशिकांत दूबे की पत्नी अनामिका गौतम के अलावा विनोद शंकर झा, मुन्ना लाल और पुरूषोतम राय की ओर से याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी.

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रांची: उपायुक्तों को सेल डीड कैंसिल करने का अधिकार नहीं है. इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने फैसला सुनाया है. उपायुक्तों द्वारा 33 सेल डीड कैंसिल करने के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई थी. इसपर पूर्व में ही फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने बताया कि अगर फर्जीवाड़ा कर जमीन की खरीद बिक्री हुई है तो उसको सिविल कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए. उपायुक्त को इसपर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. यह जानकारी हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है.

दरअसल, 2016 में तत्कालीन राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर जिलों के उपायुक्तों को अधिकार दिया था कि कागजात में गड़बड़ी कर जमीन की खरीद बिक्री करने पर उस जमीन की सेल डीड को निरस्त किया जा सकता है. इस आधार पर अलग अलग जिलों के कई उपायुक्तों ने कई सेल डीड को निरस्त किया था. इन फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने उपायुक्तों द्वारा सेल डीड से संबंधित एफआईआर को भी निरस्त कर दिया है.

दरअसल, इसी मामले में 33 सेल डीड निरस्त किए जाने पर याचिकाएं दायर की गई थी. इसमें गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की पत्नी अनामिका गौतम की ओर से देवघर में सेल डीड निरस्त करने के मामले को भी चुनौती दी गई थी. उनका आरोप था कि देवघर के श्यामगंज की जमीन से जुड़े सेल डीड को कैंसिल कर दिया गया था. सेल डीड कैंसिल किए जाने से जुड़े मामले को सांसद निशिकांत दूबे की पत्नी अनामिका गौतम के अलावा विनोद शंकर झा, मुन्ना लाल और पुरूषोतम राय की ओर से याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी.

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