रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद रांची विश्वविद्यालय में व्याख्याता की प्रोन्नति नहीं की गई. इसको लेकर अवमाननावाद दायर किया गया, जिसपर शनिवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद झारखंड लोक सेवा आयोग और रांची विश्वविद्यालय को शो-कॉज किया है. हाई कोर्ट ने शो-कॉज में पूछा है कि आदेश के बावजूद अब तक प्रोन्नति पर क्यों नहीं किया गया. क्यों ना आप पर अवमानना की कार्रवाई की जाए.
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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में रांची विश्वविद्यालय व्याख्याता के प्रोन्नति की मांग को लेकर दायर अवमाननावाद याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखें.
भारती सिंह ने दायर की अवमाननावाद
अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि जेपीएससी ने वर्ष 2007 में विश्वविद्यालय में व्याख्याता नियुक्ति को लेकर विज्ञापन जारी किया था. विज्ञापन के ओलोक में सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वर्ष 2008 में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई थी, लेकिन भारती सिंह की नियुक्ति नहीं हुई. इस नियुक्ति के खिलाफ भारती सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. अदालत के आदेश पर भारती सिंह को वर्ष 2013 में नियुक्ति की गई. नियुक्ति में हुई विलंब में याचिकाकर्ता भारती सिंह की कोई गलती नहीं थी. इसलिए उन्हें 2008 से वरीयता दी जाए और इसी के तहत प्रोन्नति भी मिलनी चाहिए.
आदेश के बावजूद विश्वविद्यालय और जेपीएससी ने नहीं लिया निर्णय
इस मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपर अदालत ने याचिकाकर्ता को विश्वविद्यालय में आवेदन देने को कहा था और विश्वविद्यालय और जेपीएससी को याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश दिया था, लेकिन विश्वविद्यालय और जेपीएससी की ओर से अब तक निर्णय नहीं लिया गया है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अवमाननावाद याचिका दायर की.