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झारखंड के मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने की कवायद, हर माह देना होगा काम का लेखा-जोखा - एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल

सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की जा रही है. सरकार ने इसके लिए विधिवत आदेश जारी किया है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय को एक फार्मेट भेजा है और कहा है कि शैक्षणिक और चिकित्सीय कार्यों का कैलेंडर तया किया जाय.

jharkhand health department issued order to medical college principals to fix duty of academic and practice work of doctors
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Published : Apr 14, 2023, 1:57 PM IST

रांचीः झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा सवालों के घेरे में रही है. समय पर इलाज नहीं करने, दवाई की कमी और टालमटोल वाले रवैये के कारण गरीब मरीजों को भारी खामियाजा उठाना पड़ता है. इन बातों को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने की योजना तैयार की हैै. अब मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों को हर माह न सिर्फ यह बताना होगा कि उन्होंने कितनी कक्षाएं ली हैं बल्कि यह भी बताना होगा कि कितने मरीजों का इलाज किया है. हर माह इस डिटेल को मेडिकल कॉलेज के वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा.

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह ने इस बाबत सभी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्यों और रिम्स निदेशक को एक फॉर्मेट के साथ निर्देश जारी किया है. उनका कहना है कि शिक्षकों का मासिक शैक्षणिक और चिकित्सीय कार्यों का कैलेंडर निर्धारित नहीं होने और अनुपालन नहीं होने से ऐसे शिक्षकों के द्वारा पठन-पाठन की अवधि के दौरान सरकार के निर्देशों के प्रतिकूल अन्य कार्य किए जाते हैं. इसकी वजह से न सिर्फ मेडिकल कॉलेज का शैक्षणिक वातावरण प्रभावित होता है बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है.

क्या है फॉर्मेट: विभाग की ओर से मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों के लिए 8 कॉलम का फॉर्मेट तैयार किया गया है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड करना है. इसमें विभाग का नाम, चिकित्सा शिक्षक का नाम, पदनाम, पदस्थापन की तिथि, शैक्षणिक कार्य दिवस, चिकित्सीय कार्य दिवस और रिमार्क्स का जिक्र करना होगा.

दूसरा फॉर्मेट 12 कॉलम का है. इसको मासिक प्रतिवेदन समर्पित करने के लिए बनाया गया है. इसमें विभाग का नाम, चिकित्सा शिक्षक का नाम, पदनाम, पदस्थापन की तिथि, शैक्षणिक कार्य दिवस, चिकित्सीय कार्य दिवस, संपादित की श्रेणी में चिकित्सीय कार्य, शैक्षणिक कार्य के अलावा अंतर की श्रेणी में चिकित्सीय कार्य और शैक्षणिक कार्य के कॉलम को भरना होगा. इसके अलावा 12वें कॉलम में रिमार्क्स डालना होगा.

किसको देनी होगी हार्ड कॉपी: अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि हर मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य और निदेशक हर माह की 10वीं तारीख को शिक्षकों के कार्य के कैलेंडर की कॉपी निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पास सबमिट करना है. यही नहीं कैलेंडर के अनुपालन किए जाने संबंधी संलग्न प्रपत्र में यह प्रमाणित भी करना होगा कि उन्होंने सरकार के आदेश का अनुपालन किया है. अगर कैलेंडर का अनुपालन नहीं हुआ है तो उसकी वजह बतानी होगी.

झारखंड के देवघर में एम्स को छोड़कर राज्य सरकार की ओर से कुल छह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं. इनमें राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स), रांची, एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, जमशेदपुर, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, धनबाद, मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पलामू, फुलो-झानो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, दुमका और शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, हजारीबाग के नाम शामिल हैं.

रांचीः झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा सवालों के घेरे में रही है. समय पर इलाज नहीं करने, दवाई की कमी और टालमटोल वाले रवैये के कारण गरीब मरीजों को भारी खामियाजा उठाना पड़ता है. इन बातों को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने की योजना तैयार की हैै. अब मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों को हर माह न सिर्फ यह बताना होगा कि उन्होंने कितनी कक्षाएं ली हैं बल्कि यह भी बताना होगा कि कितने मरीजों का इलाज किया है. हर माह इस डिटेल को मेडिकल कॉलेज के वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा.

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह ने इस बाबत सभी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्यों और रिम्स निदेशक को एक फॉर्मेट के साथ निर्देश जारी किया है. उनका कहना है कि शिक्षकों का मासिक शैक्षणिक और चिकित्सीय कार्यों का कैलेंडर निर्धारित नहीं होने और अनुपालन नहीं होने से ऐसे शिक्षकों के द्वारा पठन-पाठन की अवधि के दौरान सरकार के निर्देशों के प्रतिकूल अन्य कार्य किए जाते हैं. इसकी वजह से न सिर्फ मेडिकल कॉलेज का शैक्षणिक वातावरण प्रभावित होता है बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है.

क्या है फॉर्मेट: विभाग की ओर से मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों के लिए 8 कॉलम का फॉर्मेट तैयार किया गया है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड करना है. इसमें विभाग का नाम, चिकित्सा शिक्षक का नाम, पदनाम, पदस्थापन की तिथि, शैक्षणिक कार्य दिवस, चिकित्सीय कार्य दिवस और रिमार्क्स का जिक्र करना होगा.

दूसरा फॉर्मेट 12 कॉलम का है. इसको मासिक प्रतिवेदन समर्पित करने के लिए बनाया गया है. इसमें विभाग का नाम, चिकित्सा शिक्षक का नाम, पदनाम, पदस्थापन की तिथि, शैक्षणिक कार्य दिवस, चिकित्सीय कार्य दिवस, संपादित की श्रेणी में चिकित्सीय कार्य, शैक्षणिक कार्य के अलावा अंतर की श्रेणी में चिकित्सीय कार्य और शैक्षणिक कार्य के कॉलम को भरना होगा. इसके अलावा 12वें कॉलम में रिमार्क्स डालना होगा.

किसको देनी होगी हार्ड कॉपी: अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि हर मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य और निदेशक हर माह की 10वीं तारीख को शिक्षकों के कार्य के कैलेंडर की कॉपी निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पास सबमिट करना है. यही नहीं कैलेंडर के अनुपालन किए जाने संबंधी संलग्न प्रपत्र में यह प्रमाणित भी करना होगा कि उन्होंने सरकार के आदेश का अनुपालन किया है. अगर कैलेंडर का अनुपालन नहीं हुआ है तो उसकी वजह बतानी होगी.

झारखंड के देवघर में एम्स को छोड़कर राज्य सरकार की ओर से कुल छह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं. इनमें राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स), रांची, एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, जमशेदपुर, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, धनबाद, मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पलामू, फुलो-झानो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, दुमका और शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, हजारीबाग के नाम शामिल हैं.

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