रांची: भारत सरकार के नई शिक्षा नीति को लेकर झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने बड़ा बयान दिया है. उनकी मानें तो केंद्र सरकार की यह नीति आई वास है. इसमें कुछ हासिल होने वाला है नहीं है. इस राज्य में यह नीति लागू नहीं होने दिया जाएगा.
आई वॉश है नई शिक्षा नीति
दरअसल, वर्षो बाद भारत को एक नई शिक्षा नीति मिली है. कुछ लोगों की तरफ से इसकी आलोचना की जा रही है, तो कुछ लोग इस नीति को बेहतर भी बता रहे हैं. इसी कड़ी में झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने नई शिक्षा नीति को आई वॉश नीति बताया है. उन्होंने कहा है कि इस नीति में कुछ भी नहीं है. सभी राज्य में सर्व शिक्षा अभियान के तहत कई शिक्षकों की बहाली हुई थी, जिसमें पारा टीचर जैसे शिक्षक भी शामिल है और इस नीति में कहा गया है कि 2022 तक एक भी पारा शिक्षक नहीं रहेंगे. अगर ऐसे ही प्रावधान किया गया तो ऐसी नीति का क्या फायदा. जबकि केंद्र सरकार की तरफ से पारा शिक्षकों को 60 फीसदी और राज्य सरकार की तरफ से 40 फीसदी राशि दी जाती है और इसी के तहत उनका मानदेय निर्धारण की गई है.
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नई शिक्षा नीति का होना चाहिए संशोधन
आगे जगन्नाथ महतो ने कहा कि जब नई शिक्षा नीति में ऐसी प्रावधान की गई है तो इसमें भी बदलाव होना चाहिए. केंद्र सरकार को 60 फीसदी राशि राज्य सरकार के शिक्षा कोष में देनी चाहिए, जिससे कि इन पारा शिक्षकों को समायोजित कर उनका वेतन निर्धारण किया जा सके. फिलहाल झारखंड के संदर्भ में बेहतर क्या होगा यह राज्य सरकार भली-भांति जानती है. शिक्षा विभाग अपने योजना के तहत ही झारखंड में शिक्षा के क्षेत्र में विकास कर रही है.
झारखंड में फिलहाल नहीं है जरूरत
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस नई शिक्षा नीति का झारखंड में फिलहाल जरूरत नहीं है. शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि पारा शिक्षकों की ओर ध्यान देने के लिए केंद्र सरकार के शिक्षा विभाग को दूरभाष के माध्यम से निवेदन किया जाएगा.