रांची: बजट सत्र के दौरान बुधवार को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सदन में पेश किया गया. वित्तीय वर्ष 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में झारखंड में चालू वित्तीय वर्ष में इसके वास्तविक जीएसडीपी में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान लगाया गया है. जारी आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में राज्य की जीएसडीपी झारखंड गठन के पहले 5 वर्षों में 8% की औसत वार्षिक दर से बढ़ा हुआ बताया गया है. वहीं 2004-05 और 2011 के बीच 6.6% की दर से बढ़ा हुआ बताया गया है. 2011-12 और 2018-19 के बीच 6.2 प्रतिशत थी.
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कोरोना काल में गिरावट: रिपोर्ट में पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान विकास दर में गिरावट के लिए मुख्य वजह कोरोना के कारण हुई आर्थिक मंदी को बताया गया है. इस वित्तीय वर्ष में राज्य के जीएसडीपी के 4.7% तक अनुबंधित होने का अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्र प्राथमिक, द्वितीय और तृतीय क्षेत्र 2011-12 और 2019-20 के बीच की अवधि में सबसे तेज दर से बढ़ा है जो कि प्राथमिक क्षेत्र 1.9% की औसत वार्षिक दर और द्वितीयक क्षेत्र में 6.3% की दर से वृद्धि हुई है इस अवधि में तृतीय क्षेत्र 7.7% की दर से बढ़ा है.
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में गरीबी पर चिंता: आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में नीति आयोग की नेशनल मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स बेसलाइन रिपोर्ट को आधार मानते हुए राज्य में 46.16 फीसदी लोगों को गरीब बताया गया है. राज्य में गरीबी पर चिंता जताते हुए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत 50.93% और शहरी क्षेत्रों में यह 15.26% है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच विभिन्न जिलों में भी गरीबी की घटनाओं में व्यापक और असमानता है. राज्य के गठन के बाद पहले वित्तीय वर्ष में झारखंड के बजट का वास्तविक आकार लगभग 6 हजार करोड़ था. इन वर्षों में यह कई गुना बढ़ गया है, जबकि विकास दर औसतन 14.1 प्रतिशत है.
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रिपोर्ट में 2019-20 की आर्थिक मंदी और कोविड-19 के कारण राज्य के राजस्व संग्रह में कोई कठिनाई पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि 2013-14 और 2018-19 के बीच कुल राजस्व संग्रह 16.5% की आवश्यक औसत वार्षिक दर से बढ़ा. कर राजस्व में 16.1% की औसत वार्षिक दर से और गैर कर राजस्व में 17.5% की वृद्धि हुई. मगर वर्ष 2019-20 में राज्य की कुल राजस्व प्राप्ति में केवल 4% की वृद्धि हुई. इस काल में कर राजस्व में 3.3% की कमी आई लेकिन गैर कर राजस्व प्राप्तियों में 20.3% की वृद्धि हुई है.
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार झारखंड की कुल आबादी का लगभग 76% ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है. वित्तीय वर्ष 2019- 20 में 642 लाख कार्यदिवस और 2020-21 के दौरान 1176 लाख कार्य दिवस सृजित किए गए. वर्ष 2020-21 के दौरान मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी के रूप में झारखंड सरकार ने 2268.35 करोड़ रुपए दिए हैं. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में राज्य में शहरी विकास, कृषि, खाद्य और पोषण सुरक्षा, उद्योग, आधारभूत संरचना और संचार, शिक्षा, स्वास्थ, श्रम नियोजन और रोजगार, महिला बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा, पेयजल और स्वच्छता, वन, जंगल और खनिज संसाधन, आदिवासी कल्याण, कला संस्कृति खेल एवं युवा मामले आदि विभागों पर विस्तार से चर्चा की गई है.