रांचीः राज्य में अभी तक बेहद कम मानसूनी बारिश (low rain in Monsoon) हुई है. एक जून से लेकर 22 जून तक के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में अभी तक सामान्य से 51 फीसदी कम वर्षा हुई है. कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम को छोड़कर बाकी सभी 22 जिलों में सामान्य से कम बेहद कम बारिश रिकॉर्ड किया गया है. ऐसे में राज्य में खरीफ की फसल पर इसका बेहद बुरा असर पड़ रहा है. राज्य के ज्यादातर जिलों में खेतों में लगाया गया धान का बिचड़ा सूखने लगा है तो पानी के अभाव में धान की रोपनी भी नहीं के बराबर हुई है. राज्य में 22 जुलाई तक 11-12% क्षेत्र में ही धान का आच्छादन हुआ है, जो चिंताजनक है.
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कम दिनों में तैयार होने वाली धान का प्रभेद लगाएं किसान- कृषि निदेशालयः प्रदेश में कम बारिश की वजह से सामने आए हालात को लेकर झारखंड कृषि निदेशालय पूरी तरह अलर्ट है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) के कृषि वैज्ञानिकों के साथ विभाग ने आपात बैठक की है और आगे की रणनीति बनाई है. उप कृषि निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा (Jharkhand Agriculture Directorate Deputy Director Mukesh Kumar Sinha) ने कहा कि मौसम केंद्र द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार अगले कुछ दिनों तक राज्य में अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है. अगर राज्य में अच्छी बारिश होती है तो स्थिति में सुधार होगा नहीं तो वैकल्पिक व्यवस्था विभाग ने तैयार कर लिया है.
किसानों को सलाहः राज्य में कम बारिश की वजह से धान की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. ऐसे में उप कृषि निदेशक ने राज्य के अन्नदाताओं को सलाह दी है कि वह 120 दिन से कम समय मे तैयार होने वाले धान की किस्में लगाएं. जिसमें सहभागी, आईआर 64DRT, अंजली, वंदना, बिरसा विकास धान जो ना सिर्फ कम समय में तैयार होता है बल्कि कम बारिश में के लिए भी मुफीद है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सभी जिलों में कम दिनों में तैयार होने वाली किस्मों के कितने बीज की आवयश्कता है इसका आकलन करने का निर्देश जिला कृषि पदाधिकारियों को दिया गया है.
उन्होंने कहा कि बीज निगम के पास पर्याप्त मात्रा में कम समय मे तैयार होने वाले प्रभेद के बीज उपलब्ध है और कोई दिक्कत नहीं होगी. कृषि उपनिदेशक ने कहा कि अब किसान भाई कम दिनों में तैयार होने वाली धान के प्रभेदों का सीधा बुआई करें. कृषि उपनिदेशक ने कहा कि किसान धान की जगह तिलहन और दलहन की खेती की ओर बढ़ें, क्योंकि उसमें पानी की जरूरत कम पड़ती है.
पिछले वर्ष राज्य में रिकॉर्ड धान का हुआ था उत्पादनः राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है. वर्ष 2021-22 में राज्य में 53.5 लाख टन धान की उपज हुई थी जो झारखंड बनने के बाद एक रिकॉर्ड है.