रांची: झारखंड में राजनीतिक दल चुनावी लाभ लेने के लिए किसी भी मुद्दा को छोड़ना नहीं चाहते. ऐसे में राज्य की आबादी में लगभग 14 फीसदी आबादी वाले दलित समुदाय के लोगों को अपने पक्ष में करने की कवायद भी तेज हो गयी है.
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भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड में अनुसूचित जाति आयोग का अब तक राज्य में गठन नहीं होने और हेमंत मंत्रिमंडल में तकनीकी रूप से एक भी अनुसूचित जाति के विधायक को मंत्री नहीं बनाए जाने का मुद्दा उठा कर महागठबंधन को दलित विरोधी करार दिया है. वहीं कांग्रेस इंदौर में घटी घटना से लेकर दलित पत्रकार की हत्या का हवाला देकर प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा कहते हैं कि भाजपा को दलित के नकली हितैषी बनने की जरूरत नहीं है.
क्या है दलित का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं देने का मामलाः भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह के अनुसार राज्य में हेमंत सोरेन सरकार में दलित समुदाय की उपेक्षा की गई है. उन्होंने कहा कि राजद के जिस दलित विधायक सत्यानंद भोक्ता को मंत्रिमंडल में जगह दी गयी है, उनकी भोक्ता जाति को अब केंद्र की सरकार ने अनुसूचित जाति की जगह अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) में शामिल कर दिया गया है. ऐसे में तकनीकी रूप से आज की तारीख में कोई भी अनुसूचित जाति का विधायक मंत्री नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे में राज्य की करीब 14 फीसदीआबादी वाला समाज का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक अनुसूचित जाति आयोग का भी गठन नहीं हुआ है. ऐसे में राज्य में दलित समुदाय की हकमारी हो रही है.
सत्यानंद भोक्ता अनुसूचित जाति आरक्षित सीट से ही जीते प्रतिनिधिः दलित पर जारी राजनीति और भाजपा के आरोप पर झारखंड कांग्रेस ने प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि भाजपा नेताओं की राजनीतिक समक्ष थोड़ी कम है. कांग्रेस नेता ने कहा कि सत्यानंद भोक्ता एससी रिजर्व सीट का ही प्रतिनिधित्व करते हैं और जल्द ही अनुसूचित जाति आयोग के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा कि कुछ आयोगों में नेता प्रतिपक्ष की भी जरूरत होती है. राज्य में नेता प्रतिपक्ष का मामला विधानसभा न्यायाधिकरण में है.