रांचीः झारखंड कांग्रेस पार्टी कार्यालय में शनिवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक हो रही है. कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे इसकी अध्यक्षता कर रहे हैं. इस बैठक में सांसद गीता कोड़ा के साथ साथ मंत्री आलमगीर आलम, डॉ. रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख के साथ कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह, दीपिका पांडेय सिंह, अंबा प्रसाद, बंधु तिर्की सहित कई विधायक इसमें उपस्थित हैं. जिसमें कई बिंदुओं पर बात हुई है.
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झारखंड कांग्रेस के प्रभारी बनने के बाद से अब तक अविनाश पांडे की उपस्थिति में कांग्रेस विधायक दल की बैठक तीसरी बार हुई है. प्रदेश प्रभारी की उपस्थिति में हुई बैठक में के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि चाहे पुलिसकर्मियों को मिलने वाला क्षतिपूर्ति का मामला हो या अनुसूचित जाति जनजाति को प्रमोशन के मामला जैसे कई टास्क विधायक दल की बैठक में प्रभारी की ओर से दिया गया था. जिसे सदन के अंदर कांग्रेस से ना सिर्फ उठाया बल्कि इसे लागू भी कराया गया.
विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि अब आगे और क्या क्या करना है, संगठन को और गठबंधन को कैसे और मजबूत करना है इसपर चर्चा हुई है. आलमगीर आलम ने कहा कि सदस्यता अभियान में पहली बार 01 लाख से ज्यादा लोग डिजिटल माध्यम से कांग्रेस के सदस्य बने है जबकि मैन्युअल की संख्या तो 10 लाख से ज्यादा हैं. आलमगीर आलम ने कहा कि जल्द ही राज्य में सदस्यता अभियान का लक्ष्य कांग्रेस पूरा कर लेगी.
कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की घोषणा जल्दः कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद आलमगीर आलम ने कहा कि बजट सत्र की वजह से कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की घोषणा में देरी हुई है. लेकिन जल्द ही आपस में बैठकर इसे तय कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सीएम अभी नहीं है, उनके आने पर और प्रदेश प्रभारी के साथ बैठकर आमराय बनाकर इसकी भी घोषणा जल्द कर दी जाएगी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे विधायक एकजुट हैं.
झारखंड की जमीन पर बसे लोग झारखंडी- मंत्री रामेश्वर उरांवः इस बैठक के बाद डॉ. रामेश्वर उरांव ने सीता सोरेन और लोबिन हेंब्रम के बयान पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह झारखंड मुक्ति मोर्चा का मामला है पर उन्होंने जो आरोप हेमंत सरकार पर लगाए हैं, वह गलत हैं. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ही तो सरकारी जमीन की रक्षा कर रही है. डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि उनका मानना है कि झारखंड की जमीन पर रहने वाले सभी झारखंडी है, राज्य की सरकार सभी पहलुओं को देखते हुए इस पर फैसला लेगी.