रांची: झारखंड के निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को आरक्षण देने के सरकार के ऐलान को लेकर फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का मानना है कि इससे किसी भी तरह की व्यवसायियों को परेशानी नहीं है, इससे निवेशक हतोत्साहित नहीं होंगे, लेकिन झारखंड में जिस तरह के कंपनियां और कारखाने हैं, उस हिसाब से स्किल्ड डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाने की जरूरत है, ताकि बाहर के लोगों को कंपनी में काम के लिए बुलाने की जरूरत ना पड़े.
चैंबर अध्यक्ष प्रवीन जैन छाबड़ा ने कहा कि झारखंड के अंदर जो भी इंडस्ट्रीज है, उसमें दो तरह के लेबर होते हैं, एक स्किल्ड और दूसरे अनस्किल्ड होते हैं, राज्य में ज्यादातर अनस्किल्ड लेबर ही उपलब्ध हैं, जो इंडस्ट्रीज में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाहर से स्किल्ड लेबर लाने पर कॉस्टिंग भी ज्यादा होती है, साथ ही स्थानीय की जगह बाहर के स्किल लेबर को ज्यादा मौका मिलता है, ऐसे में सरकार ने जो नीति लाने का निर्णय लिया है, उसके तहत स्किल डेवलपमेंट की भी जरूरत है.
स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम को धरातल पर उतारने की जरूरत
प्रवीन जैन छाबड़ा ने कहा कि झारखंड सरकार के ओर से स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, लेकिन उसे धरातल पर उतारने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ऐसे स्किल्ड डेवलपमेंट की जरूरत है, जो झारखंड के इंडस्ट्रीज के लिए हो, ताकि बाहर से लोगों को बुलाने की जरूरत ही ना पड़े. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि झारखंड के इंडस्ट्री के काम के हिसाब से ही स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाएं और यहां के व्यवसायियों को इंश्योर करें, कि यहां के स्किल्ड लेबर झारखंड के लिए ही उपलब्ध होंगे, उससे उत्पादन प्रभावित नहीं होगा, अगर ऐसी व्यवस्था मिलती है, तो इस नीति में कोई खराबी नहीं है, बल्कि व्यवसायियों को इससे लाभ ही होगा.