रांचीः फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज के कार्यकारिणी समिति की पांचवीं बैठक शनिवार को चेंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा की अध्यक्षता में आयोजित हुई. कोविड के बढ़ते प्रसार को देखते हुए यह बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई थी.
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ठोस पहल का नहीं होना राज्यवासियों के लिए दुखद
बैठक में उपस्थित सभी व्यापारियों ने झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति नाराजगी जताई. कहा कि वर्तमान में राज्य में संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर, वेंटिलेटर्स ही उपलब्ध नहीं है. आमजनों की कठिनाईयों के समाधान के लिए जिला प्रशासन की ओर से जारी किसी भी नंबर पर अधिकारी जवाब नहीं देते हैं. अस्पतालों में सरकार ने जिला मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की है. लेकिन वे भी हेल्पलेस हैं. वे केवल मरीजों की संख्या का आकलन करते हैं. वर्तमान अव्यवस्था से लोग भयभीत हैं, लेकिन सरकार के स्तर से कोई ठोस पहल का नहीं होना राज्यवासियों के लिए दुखद है. साथ ही कहा गया कि गुमला, सिमडेगा सहित कई अन्य जिलों में वेंटिलेटर्स हैं, तो वहां उसे चलाने के लिए टेक्निसियन नहीं है. जबकि रिम्स में पर्याप्त टेक्निसियन हैं. स्वास्थ्य विभाग को इसकी समीक्षा करके ऐसे जिलों में टेक्निसियन की उपलब्धता पर कार्रवाई करनी चाहिए. ताकि स्थिति को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके.
ऑक्सीजन की कमी से राज्य में उहापोह की स्थिति
राज्य में महामारी के कारण बिगड़ती स्थिति को देखते हुए कार्यकारिणी समिति की पूरी बैठक में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर ही चर्चा हुई. व्यवसायियों ने यह भी अवगत कराया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण राज्य में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. अस्पतालों को अपने स्तर से ऑक्सीजन मंगाना पड़ रहा है. कई बार तो ऑक्सीजन की गाड़ियों को रास्ते में रोककर लूटने का प्रयास भी किया जा रहा है. जिस पर जिला प्रशासन को चिंतन करने की आवश्यकता है.
सभी को लगना चाहिए टीका
राज्य की वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुए व्यापारियों ने चेंबर अध्यक्ष को सुझाव दिया कि अगर व्यवस्था नहीं सुधरती है तो चेंबर को अपने सम्बद्ध संस्थाओं और सभी जिला चेंबर ऑफ काॅमर्स से समन्वय बनाकर खुद बंद करने की ओर बढ़ना चाहिए. जिस पर चेंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने सहमति जताई. सदस्यों के सुझाव पर उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को सुव्यवस्थित करने की दिशा में किस स्तर पर कार्रवाई हो रही है, इसके लिए विभागीय सचिव से जानकारी ली जाएगी. इसके साथ ही कहा गया कि वर्तमान में 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण हो रहा है. जबकि स्थिति को देखते हुए यह सभी उम्र के लोगों के लिए लागू कर देना चाहिए.