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अनुबंधित शिक्षकों को रास नहीं आया सेवा विस्तार पर कैबिनेट का फैसला, जानिए क्या कहा

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Published : Jun 24, 2021, 8:33 AM IST

Updated : Jun 24, 2021, 2:05 PM IST

मंगलवार को हेमंत कैबिनेट ने संविदा शिक्षकों के सेवा विस्तार पर एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें कहा गया है कि अनुबंधित शिक्षकों (contract teachers) को छह माह सेवा विस्तार दिया जाएगा. सरकार के इस निर्णय का विरोध झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर अनुबंध संघ(Jharkhand Assistant Professor Contracting Association) ने किया है.

opposition of hemant cabinet for extending service of contract teachers in ranchi
रांची: अनुबंध शिक्षकों को नहीं मंजूर सेवा विस्तार का फैसला, जानिए विरोध में क्या कहा

रांची: विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों और अंगीभूत महाविद्यालयों से स्वीकृत पदों के खिलाफ रिक्त पदों पर नियुक्त शिक्षकों के पैनल की अवधि का विस्तार किया गया है. लगातार इन शिक्षकों को आश्वासन दिया जाता रहा है कि इन्हें स्थायी किया जाएगा, लेकिन एक बार फिर हेमंत सरकार ने भी इनकी सेवा विस्तार का फैसला लिया है. यह फैसला अनुबंधित शिक्षकों को रास नहीं आया. उनका कहना है उनको महज छह माह का सेवा विस्तार दिया जा रहा है, जबकि वे स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं.

opposition of hemant cabinet for extending service of contract teachers in ranchi
अनुबंध शिक्षक लंबे अरसे से कर रहे हैं स्थायीकरण की मांग

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट ने TPC के तीन सदस्यों को दी जमानत, एक पर टेरर फंडिंग का भी आरोप

बता दें कि मंगलवार को हेमंत कैबिनेट एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि ऐसे अनुबंधित शिक्षकों को एक बार फिर सेवा विस्तार किया जाएगा. हालांकि अब इसका विरोध किया जा रहा है. सरकार के इस निर्णय का विरोध झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर अनुबंधन संघ ने किया है.

सिर्फ छह माह सेवा विस्तार का विरोध

झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष निरंजन महतो ने कहा कि कैबिनेट का एक निर्णय आया है कि झारखंड में सभी विश्वविद्यालय के अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर्स की सेवा को विस्तार दिया जाएगा. ये अवधि विस्तार मात्र छह महीने का है और इस छह महीने के विस्तार का संघ विरोध करता है. साथ ही राज्य सरकार को बताना चाहता है कि विश्वविद्यालय की जो शैक्षणिक व्यवस्था या फिर एग्जामिनिएशन व्यवस्था हैं, वो अनुबंधित शिक्षकों के हाथों में ही है. उनकी नाराजगी है कि उन्हें नजरअंदाज करके अगर राज्य सरकार शिक्षा हब बनाना चाहती है, तो वो संभव नहीं है. दूसरी ओर अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों ने यह भी कहा कि एक तरफ जहां विश्वविद्यालय और कॉलेजों में हम शिक्षकों से तमाम काम ले रहे हैं. वहीं शिक्षकों को अनदेखी भी की जा रही है. विभागाध्यक्ष से लेकर कॉलेज, विश्वविद्यालय के तमाम शैक्षणिक काम अनुबंधित शिक्षक ही निपटा रहे हैं.

देखें पूरी खबर


इनके सहयोग से चल रहा है विश्वविद्यालय

वहीं कुलपति(Vice Chancellor) ने कहा कि कैबिनेट में निर्णय आया है कि घंटी शिक्षकों की अवधि 6 माह के लिए बढ़ा दिया जाएगा लेकिन रांची विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी बहुत दिनों से है और जितने भी शिक्षक हैं वह रिटायर्ड होते जा रहे हैं. अनुबंध पर जो शिक्षक हैं वह पूरा सहयोग कर रहे हैं . पठन पाठन के अलावा परीक्षा व्यवस्था की देखरेख भी इन्हीं शिक्षकों के भरोसे है. रांची विश्वविद्यालय 50 फीसदी अनुबंध शिक्षकों के भरोसे ही संचालित हो रहा है.


इसे भी पढ़ें- हेमंत सोरेन मानहानि मामला: फेसबुक और ट्विटर को भेजा गया नोटिस, निशिकांत दुबे पर 100 करोड़ मानहानि का दावा


लंबे अरसे से कर रहे हैं स्थायीकरण की मांग
बताते चलें कि एक लंबे समय से झारखंड के विश्वविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंधित शिक्षकों की ओर से नियमितीकरण की मांग (demand for regularization) को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है. चुनाव के दौरान शिक्षकों से वादा भी किया जाता है कि उनकी सरकार बनते ही उन्हें स्थायी कर दिया जाएगा. लेकिन हर बार इन शिक्षकों को छला गया और लगातार उनकी सेवा अवधि का विस्तार किया जा रहा है. स्थायीकरण की ओर किसी भी सरकार ने नहीं सोचा है और इससे यह शिक्षक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.

रांची: विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों और अंगीभूत महाविद्यालयों से स्वीकृत पदों के खिलाफ रिक्त पदों पर नियुक्त शिक्षकों के पैनल की अवधि का विस्तार किया गया है. लगातार इन शिक्षकों को आश्वासन दिया जाता रहा है कि इन्हें स्थायी किया जाएगा, लेकिन एक बार फिर हेमंत सरकार ने भी इनकी सेवा विस्तार का फैसला लिया है. यह फैसला अनुबंधित शिक्षकों को रास नहीं आया. उनका कहना है उनको महज छह माह का सेवा विस्तार दिया जा रहा है, जबकि वे स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं.

opposition of hemant cabinet for extending service of contract teachers in ranchi
अनुबंध शिक्षक लंबे अरसे से कर रहे हैं स्थायीकरण की मांग

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बता दें कि मंगलवार को हेमंत कैबिनेट एक प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि ऐसे अनुबंधित शिक्षकों को एक बार फिर सेवा विस्तार किया जाएगा. हालांकि अब इसका विरोध किया जा रहा है. सरकार के इस निर्णय का विरोध झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर अनुबंधन संघ ने किया है.

सिर्फ छह माह सेवा विस्तार का विरोध

झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष निरंजन महतो ने कहा कि कैबिनेट का एक निर्णय आया है कि झारखंड में सभी विश्वविद्यालय के अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर्स की सेवा को विस्तार दिया जाएगा. ये अवधि विस्तार मात्र छह महीने का है और इस छह महीने के विस्तार का संघ विरोध करता है. साथ ही राज्य सरकार को बताना चाहता है कि विश्वविद्यालय की जो शैक्षणिक व्यवस्था या फिर एग्जामिनिएशन व्यवस्था हैं, वो अनुबंधित शिक्षकों के हाथों में ही है. उनकी नाराजगी है कि उन्हें नजरअंदाज करके अगर राज्य सरकार शिक्षा हब बनाना चाहती है, तो वो संभव नहीं है. दूसरी ओर अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों ने यह भी कहा कि एक तरफ जहां विश्वविद्यालय और कॉलेजों में हम शिक्षकों से तमाम काम ले रहे हैं. वहीं शिक्षकों को अनदेखी भी की जा रही है. विभागाध्यक्ष से लेकर कॉलेज, विश्वविद्यालय के तमाम शैक्षणिक काम अनुबंधित शिक्षक ही निपटा रहे हैं.

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इनके सहयोग से चल रहा है विश्वविद्यालय

वहीं कुलपति(Vice Chancellor) ने कहा कि कैबिनेट में निर्णय आया है कि घंटी शिक्षकों की अवधि 6 माह के लिए बढ़ा दिया जाएगा लेकिन रांची विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी बहुत दिनों से है और जितने भी शिक्षक हैं वह रिटायर्ड होते जा रहे हैं. अनुबंध पर जो शिक्षक हैं वह पूरा सहयोग कर रहे हैं . पठन पाठन के अलावा परीक्षा व्यवस्था की देखरेख भी इन्हीं शिक्षकों के भरोसे है. रांची विश्वविद्यालय 50 फीसदी अनुबंध शिक्षकों के भरोसे ही संचालित हो रहा है.


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लंबे अरसे से कर रहे हैं स्थायीकरण की मांग
बताते चलें कि एक लंबे समय से झारखंड के विश्वविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंधित शिक्षकों की ओर से नियमितीकरण की मांग (demand for regularization) को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है. चुनाव के दौरान शिक्षकों से वादा भी किया जाता है कि उनकी सरकार बनते ही उन्हें स्थायी कर दिया जाएगा. लेकिन हर बार इन शिक्षकों को छला गया और लगातार उनकी सेवा अवधि का विस्तार किया जा रहा है. स्थायीकरण की ओर किसी भी सरकार ने नहीं सोचा है और इससे यह शिक्षक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.

Last Updated : Jun 24, 2021, 2:05 PM IST
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