रांचीः झारखंड विधानसभा के 8वें स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने ईटीवी भारत से कई मुद्दों पर बेबाकी से बात की है. सदन के संचालन के दौरान आने वाली चुनौतियों पर उन्होंने कहा कि अलग-अलग राजनीतिक दलों की अपनी अलग-अलग विचारधारा होती है. इसकी वजह से कई बार कुछ मुद्दों को लेकर टकराव की स्थिति पैदा होती है. हालाकि इसके जड़ में जाकर देखें तो सभी विधायकों की मंशा एक ही होती है कि राज्यहित में काम हो. क्योंकि हर जनप्रतिनिधि की अपने क्षेत्र की जनता के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही होती है.
सदन का पहला दिन होने के कारण नहीं लिया एक्शन
विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने कहा कि सदन को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है. इसलिए विधायकों को छोटी-छोटी बातों को लेकर टकराव से बचना चाहिए. स्पीकर ने इरफान अंसारी के मॉब लिंचिंग मामले पर खेद प्रकट करने की अपील की थी लेकिन इरफान अंसारी ने स्पीकर के अनुरोध को दरकिनार कर दिया था. ऐसे में स्पीकर की तरफ से एक्शन नहीं लिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चूकि सदन का पहला दिन था इसलिए वे नहीं चाहते थे कि आसन की ओर से विधायक पर दबाव डाला जाए. लिहाजा, खेद प्रकट करने के लिए विधायक के विवेक पर छोड़ दिया था. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विगत कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि विधायकों की गरिमा घटती जा रही है. इसलिए सोच समझकर तय किया कि पहला दिन होने के कारण विधायक पर सख्ती बरतना अच्छा नहीं होगा.
और पढ़ें- टाटा-खड़गपुर पैसेंजर सहित कई मे लगेगा अतिरिक्त कोच, देखें पूरी लिस्ट
एंग्लो इंडियन का प्रतिनिधित्व होना चाहिए
सदन में एंग्लो इंडियन के मनोनयन की परिपाटी खत्म किए जाने के सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि जिन लोगों ने प्रतिनिधित्व को लेकर कानून बनाया था, उसके पीछे तर्क था. लिहाजा, वे व्यक्तिगत रूप से मानते हैं कि सदन में एंग्लों इंडियन का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. छत्तीसगढ़ में 90 विधायक हैं जबकि झारखंड में 81. जबकि झारखंड की आबादी छत्तीसगढ़ से ज्यादा है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि झारखंड में भी विधायकों की संख्या बढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि पहली बार चुने गए विधायकों को विधायी प्रक्रिया से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसकी जल्द व्यवस्था होगी. इसके लिए देश स्तर पर विधायी कार्यों के जानकार का सहयोग लिया जाएगा. ताकि सभी अच्छे विधायक बनें और उनकी कार्य संस्कृति में सुधार हो.