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Ayushman Bharat Scheme Irregularity! आयुष्मान भारत योजना का मजाक, निजी अस्पताल में इलाज के लाखों का खर्च

झारखंड में आयुष्मान भारत की शुरुआत हुई थी, आज उसी धरती पर इस योजना का मजाक उड़ रहा. रांची में आयुष्मान कार्ड धारियों से भी इलाज के नाम पर लाखों रुपए लिए जा रहे हैं. रांची में आयुष्मान भारत योजना को लेकर निजी अस्पताल में अनियमितता सामने आ रही है.

Irregularity in private hospital regarding Ayushman Bharat scheme in Jharkhand
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Published : Mar 12, 2023, 1:18 PM IST

Updated : Mar 12, 2023, 1:44 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांचीः देश का सबसे बड़ा महत्वकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना झारखंड की राजधानी रांची से शुरू की गई थी. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि राजधानी रांची में ही यह योजना पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पा रही है. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के शुरुआत का उद्देश्य था कि गरीब से गरीब लोगों को सरकारी खर्च पर अच्छे अस्पतालों में इलाज मिल सके.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत अब कई बीमारियों का सिर्फ सरकारी अस्पतालों में होगा इलाज, जानिए सरकार को क्यों लेना पड़ा ऐसा फैसला

गरीब और लाचार व्यक्ति इस सरकारी योजना का लाभ आखिर कैसे ले, कार्ड तो बना लिया है लेकिन उस कार्ड की क्या कीमत जिसमें अपनों का इलाज ना हो. राजधानी के निजी अस्पतालों में जाकर गरीब एवं लाचार मरीजों का दर्द कुछ ऐसा ही है. ईटीवी भारत के माध्यम से कई मरीजों ने कहा कि उन्हें आयुष्मान भारत योजना के नाम पर सिर्फ ठगा जा रहा है. जिस उद्देश्य के साथ गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत हुई थी सरकार का यह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है.

राजधानी के बरियातू स्थित एक निजी अस्पताल में छत्तीसगढ़ से इलाज कराने आई सावित्री देवी ने बताया कि उनके पति को करंट लगने से फरवरी महीने में ही सिर और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई थी. जिसके बाद परिवार वालों ने उनके पति को छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में भर्ती कराया लेकिन वहां के डॉक्टरों ने रिम्स रेफर कर दिया. जिसके बाद 25 फरवरी को वह अपने पति को रिम्स में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस से रांची आई लेकिन एंबुलेंस वालों ने उसे निजी अस्पताल में भर्ती करवाने की सलाह दी.

निजी अस्पताल का नाम सुनकर सावित्री देवी ने कहा कि उनके पास ज्यादा पैसे नहीं है. जिस पर एंबुलेंस चालकों ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज होने की बात कह कर सावित्री देवी के पति बंदेश्वर राम को निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया. सावित्री देवी ने बताया कि एंबुलेंस वाले की बात सुनकर वह निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए तैयार हो गई. लेकिन सावित्री देवी से अब तक इलाज के नाम पर पांच लाख रुपये ले लिए गए हैं. पांच लाख रुपये देने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन के द्वारा और 6 लाख की मांग की जा रही है.

निजी अस्पतालों की मनमानीः ईटीवी भारत के साथ अपनी मजबूरी साझा करते हुए सावित्री बताती हैं कि जब उनके पति भर्ती हुए थे तो अस्पताल प्रबंधन ने भी कहा था कि आयुष्मान भारत योजना के कार्ड पर इलाज हो जाएगा. लेकिन भर्ती होने के बाद पैसे पर पैसे की मांग की जा रही है, यहां तक की अस्पताल वाले एक भी दवाई उधार तक नहीं दे रहे हैं, हर वक्त उनसे पैसे की मांग कर रहे हैं.

वहीं अपने मरीज का इलाज कराने पहुंचे परिजन मुकेश कुमार बताते हैं कि पहले अस्पताल वालों ने यह कहकर भर्ती कर लिया कि आयुष्मान भारत पर इलाज होगा लेकिन अब 5 दिन बाद यह बता रहे हैं कि न्यूरो से संबंधित बीमारी का आयुष्मान भारत के तहत इलाज नहीं होता है. ऐसे में हमें जब अपने मरीज को डिस्चार्ज करने की बात कही तो अस्पताल प्रबंधन के द्वारा 5 दिनों का हॉस्पिटल चार्ज की मांग की जा रही है. मुकेश कुमार ने बताया कि जब उन्होंने आयुष्मान भारत के तहत पैसे लेने की बात कही तो अस्पताल प्रबंधन ने इनकार कर दिया. यह राजधानी के सिर्फ एक अस्पताल में नहीं बल्कि आए दिन विभिन्न निजी अस्पतालों में देखने को मिलता ही रहता है. वहीं हमने जब सावित्री देवी की परेशानी को लेकर निजी अस्पताल के प्रबंधन से बात करने की कोशिश की तो वो कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया.

इस समस्या को लेकर कांके जनरल अस्पताल के संचालक डॉक्टर शंभू कुमार बताते हैं कि अगर कोई निजी अस्पताल किसी मरीज को यह कहकर भर्ती करता है कि उसका इलाज आयुष्मान भारत के तहत हो जाएगा और फिर पैसे मांगता है तो यह गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि दूसरी ओर राजधानी सहित राज्य के सभी निजी अस्पतालों की हालत आयुष्मान भारत की वजह से खराब होती जा रही है. क्योंकि आयुष्मान भारत के तहत इलाज कराने वाले मरीजों का पैसा सरकार से नहीं मिल पा रहा है.

इसे भी पढ़ें- मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत 21 तरह की बीमारियों में मिलने लगी मदद, इलाज के लिए 10 लाख तक की सहायता

निजी अस्पताल का सरकार पर बकायाः उन्होंने बताया कि आगर वह सिर्फ अपने अस्पताल की बात करें तो आयुष्मान भारत के तहत सरकार के पास लाखों रुपए बाकी है. इसी प्रकार राज्य के सभी निजी अस्पतालों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. ऐसे में निजी अस्पताल भी आयुष्मान भारत के तहत इलाज करने से इनकार करने को मजबूर हो जाते हैं. निजी अस्पताल के संचालकों ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के नाम में परिवर्तित कर दिया है तब से झारखंड में जन आरोग्य योजना की स्थिति और भी खराब हो गई है.

नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई होगी- स्वास्थ्य मंत्रीः आयुष्मान भारत के तहत इलाज कराने में आ रही परेशानी को लेकर ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बात की. इसको लेकर उन्होंने बताया कि अगर राज्य में कोई भी अस्पताल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नियमों का उल्लंघन कर मरीजों से पैसे लेने की कोशिश करेगा तो निश्चित रूप से उनके ऊपर नियम संगत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि जिस मरीज से भी पैसे की मांग की गई है वह अपने जिला के सिविल सर्जन के नाम से शिकायत का आवेदन दें, वैसे अस्पतालों पर सीईए के तहत त्वरित कार्यवाई का आदेश दिया जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांचीः देश का सबसे बड़ा महत्वकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना झारखंड की राजधानी रांची से शुरू की गई थी. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि राजधानी रांची में ही यह योजना पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पा रही है. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के शुरुआत का उद्देश्य था कि गरीब से गरीब लोगों को सरकारी खर्च पर अच्छे अस्पतालों में इलाज मिल सके.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत अब कई बीमारियों का सिर्फ सरकारी अस्पतालों में होगा इलाज, जानिए सरकार को क्यों लेना पड़ा ऐसा फैसला

गरीब और लाचार व्यक्ति इस सरकारी योजना का लाभ आखिर कैसे ले, कार्ड तो बना लिया है लेकिन उस कार्ड की क्या कीमत जिसमें अपनों का इलाज ना हो. राजधानी के निजी अस्पतालों में जाकर गरीब एवं लाचार मरीजों का दर्द कुछ ऐसा ही है. ईटीवी भारत के माध्यम से कई मरीजों ने कहा कि उन्हें आयुष्मान भारत योजना के नाम पर सिर्फ ठगा जा रहा है. जिस उद्देश्य के साथ गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत हुई थी सरकार का यह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है.

राजधानी के बरियातू स्थित एक निजी अस्पताल में छत्तीसगढ़ से इलाज कराने आई सावित्री देवी ने बताया कि उनके पति को करंट लगने से फरवरी महीने में ही सिर और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई थी. जिसके बाद परिवार वालों ने उनके पति को छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में भर्ती कराया लेकिन वहां के डॉक्टरों ने रिम्स रेफर कर दिया. जिसके बाद 25 फरवरी को वह अपने पति को रिम्स में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस से रांची आई लेकिन एंबुलेंस वालों ने उसे निजी अस्पताल में भर्ती करवाने की सलाह दी.

निजी अस्पताल का नाम सुनकर सावित्री देवी ने कहा कि उनके पास ज्यादा पैसे नहीं है. जिस पर एंबुलेंस चालकों ने आयुष्मान कार्ड पर इलाज होने की बात कह कर सावित्री देवी के पति बंदेश्वर राम को निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया. सावित्री देवी ने बताया कि एंबुलेंस वाले की बात सुनकर वह निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए तैयार हो गई. लेकिन सावित्री देवी से अब तक इलाज के नाम पर पांच लाख रुपये ले लिए गए हैं. पांच लाख रुपये देने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन के द्वारा और 6 लाख की मांग की जा रही है.

निजी अस्पतालों की मनमानीः ईटीवी भारत के साथ अपनी मजबूरी साझा करते हुए सावित्री बताती हैं कि जब उनके पति भर्ती हुए थे तो अस्पताल प्रबंधन ने भी कहा था कि आयुष्मान भारत योजना के कार्ड पर इलाज हो जाएगा. लेकिन भर्ती होने के बाद पैसे पर पैसे की मांग की जा रही है, यहां तक की अस्पताल वाले एक भी दवाई उधार तक नहीं दे रहे हैं, हर वक्त उनसे पैसे की मांग कर रहे हैं.

वहीं अपने मरीज का इलाज कराने पहुंचे परिजन मुकेश कुमार बताते हैं कि पहले अस्पताल वालों ने यह कहकर भर्ती कर लिया कि आयुष्मान भारत पर इलाज होगा लेकिन अब 5 दिन बाद यह बता रहे हैं कि न्यूरो से संबंधित बीमारी का आयुष्मान भारत के तहत इलाज नहीं होता है. ऐसे में हमें जब अपने मरीज को डिस्चार्ज करने की बात कही तो अस्पताल प्रबंधन के द्वारा 5 दिनों का हॉस्पिटल चार्ज की मांग की जा रही है. मुकेश कुमार ने बताया कि जब उन्होंने आयुष्मान भारत के तहत पैसे लेने की बात कही तो अस्पताल प्रबंधन ने इनकार कर दिया. यह राजधानी के सिर्फ एक अस्पताल में नहीं बल्कि आए दिन विभिन्न निजी अस्पतालों में देखने को मिलता ही रहता है. वहीं हमने जब सावित्री देवी की परेशानी को लेकर निजी अस्पताल के प्रबंधन से बात करने की कोशिश की तो वो कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया.

इस समस्या को लेकर कांके जनरल अस्पताल के संचालक डॉक्टर शंभू कुमार बताते हैं कि अगर कोई निजी अस्पताल किसी मरीज को यह कहकर भर्ती करता है कि उसका इलाज आयुष्मान भारत के तहत हो जाएगा और फिर पैसे मांगता है तो यह गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि दूसरी ओर राजधानी सहित राज्य के सभी निजी अस्पतालों की हालत आयुष्मान भारत की वजह से खराब होती जा रही है. क्योंकि आयुष्मान भारत के तहत इलाज कराने वाले मरीजों का पैसा सरकार से नहीं मिल पा रहा है.

इसे भी पढ़ें- मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत 21 तरह की बीमारियों में मिलने लगी मदद, इलाज के लिए 10 लाख तक की सहायता

निजी अस्पताल का सरकार पर बकायाः उन्होंने बताया कि आगर वह सिर्फ अपने अस्पताल की बात करें तो आयुष्मान भारत के तहत सरकार के पास लाखों रुपए बाकी है. इसी प्रकार राज्य के सभी निजी अस्पतालों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. ऐसे में निजी अस्पताल भी आयुष्मान भारत के तहत इलाज करने से इनकार करने को मजबूर हो जाते हैं. निजी अस्पताल के संचालकों ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के नाम में परिवर्तित कर दिया है तब से झारखंड में जन आरोग्य योजना की स्थिति और भी खराब हो गई है.

नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई होगी- स्वास्थ्य मंत्रीः आयुष्मान भारत के तहत इलाज कराने में आ रही परेशानी को लेकर ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बात की. इसको लेकर उन्होंने बताया कि अगर राज्य में कोई भी अस्पताल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नियमों का उल्लंघन कर मरीजों से पैसे लेने की कोशिश करेगा तो निश्चित रूप से उनके ऊपर नियम संगत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि जिस मरीज से भी पैसे की मांग की गई है वह अपने जिला के सिविल सर्जन के नाम से शिकायत का आवेदन दें, वैसे अस्पतालों पर सीईए के तहत त्वरित कार्यवाई का आदेश दिया जाएगा.

Last Updated : Mar 12, 2023, 1:44 PM IST
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