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Ranchi News: जमीन की फर्जी रजिस्ट्री मामले की जांच दोबारा शुरू, ईडी के खुलासे के बाद रांची पुलिस कर रही कार्रवाई

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Published : Apr 25, 2023, 7:51 AM IST

रांची के चेशायर होम के पास स्थित जमीन की फर्जी रजिस्ट्री मामले की जांच पुलिस ने फिर शुरू कर दी है. पुलिस ने इस मामले को पहले क्लोजर रिपोर्ट देकर बंद कर दिया था.

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रांचीः राजधानी के चेशायर होम स्थित एक एकड़ जमीन की फर्जी रजिस्ट्री मामले की जांच एक बार फिर पुलिस के द्वारा शुरू कर दी गई है. अधिकारियों के निर्देश पर सदर थाने की टीम विवादित मामले की दोबारा जांच में जुट गई है.

ये भी पढ़ेंः Ranchi Land Scam: जमीन घोटाले में गिरफ्तार आरोपियों की कोर्ट में हुई पेशी, सात में से एक को भेजा गया जेल

कोर्ट को भी दी गई जानकारीः मिली जानकारी के अनुसार सदर थाना प्रभारी श्याम कुमार महतो खुद इस केस के अनुसंधानकर्ता बने हैं. नए सिरे से मामले के अनुसंधान के लिए संबंधित कोर्ट में इसे लेकर आवेदन भी दिया गया है. इसी मामले में पुलिस के द्वारा केस में क्लोजर रिपोर्ट फाइल किए जाने के बाद अदालत ने शिकायतकर्ता उमेश गोप को नोटिस किया है. उमेश गोप को 27 अप्रैल को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया है.

क्या है पूरा मामलाः गौरतलब है की ईडी ने रांची के सदर थाना क्षेत्र के चेशायर होम रोड स्थित एक एकड़ जमीन की डील में फर्जी तरीके से पेपर तैयार करने और इसी कागजात के आधार पर रजिस्ट्री करने की पोल खोली है. जबकि इसी मामले में रांची के सदर थाना में दर्ज केस 399/22 को पुलिस ने बंद कर दिया था. रांची पुलिस ने सदर थाने में दर्ज केस को दीवानी मामला मानते हुए बंद कर दिया था.

सदर डीएसपी के सुपरविजन और तत्कालीन सिटी एसपी के रिपोर्ट 2 के आधार पर मामले को दीवानी बताते हुए बंद करने की सिफारिश की गई थी. इस मामले में सदर डीएसपी और थानेदार पर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि पुलिस ने जमीन हड़पने की जालसाजी के पहलूओं पर जांच नहीं की, पुलिस के द्वारा खतियान और दूसरे सरकारी दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच नहीं करायी गई. जबकि ईडी ने इन्हीं कागजातों की फॉरेंसिक जांच कराकर फर्जीवाड़े को उजागर किया. इसके बाद आरोपियों के खिलाफ छापेमारी और गिरफ्तारी की कार्रवाई भी की.

क्या थी शिकायतः रांची के सदर थाने में उमेश गोप के बयान पर नवंबर 2022 में केस दर्ज किया गया था. इस केस में पुनीत भार्गव समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया गया था. सदर थाने में उमेश गोप के द्वारा रांची एसीजीएम की कोर्ट में दाखिल कम्प्लेन केस में आए आदेश पर आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 447, 504 , 506, 341 और 323 के साथ 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

कोर्ट के आदेश के बाद विष्णु अग्रवाल, पुनीत भार्गव, भरत प्रसाद, राजेश राय, लखन सिंह और इम्तियाज अहमद के ऊपर एफआईआर हुई थी. चेशायर होम रोड स्थित डील के बाद इस जमीन के तीन दावेदार सामने आ चुके थे. पहले दावेदार उमेश गोप ने सदर थाने में केस कराया था, खतियान में भी उमेश गोप के पूर्वजों का नाम है. जबकि जमीन का दूसरा दावेदार कोलकाता का लखन सिंह हैं, लखन से जुड़े रिकॉर्ड कोलकाता में हैं. लखन सिंह के नाम पर भी जमीन की रजिस्ट्री है. वहीं तीसरा दावेदार राजेश राय है, राजेश राय ने यह जमीन पुनीत भार्गव को बेचा था, जिसके बाद पुनीत ने जमीन की रजिस्ट्री रांची के एक बड़े उद्यमी विष्णु अग्रवाल को कर दी. ईडी ने कोर्ट में सौंपे जांच रिपोर्ट में भी इस बात की जानकारी दी है कि फर्जी कागजातों पर एक एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई थी.
कागजातों में गड़बड़ी की फॉरेंसिक रिपोर्ट में पुष्टि ईडी ने पाया है कि चेशायर होम रोड की जमीन के लिए राजेश राय ने अपने परदादा जगदीश राय के नाम पर खतियान बनवाया, इस खतियान में जगदीश राय का 1948 में पता भोजपुर बताया गया, जबकि भोजपुर जिला तब अस्तित्व में ही नहीं था.

रांचीः राजधानी के चेशायर होम स्थित एक एकड़ जमीन की फर्जी रजिस्ट्री मामले की जांच एक बार फिर पुलिस के द्वारा शुरू कर दी गई है. अधिकारियों के निर्देश पर सदर थाने की टीम विवादित मामले की दोबारा जांच में जुट गई है.

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कोर्ट को भी दी गई जानकारीः मिली जानकारी के अनुसार सदर थाना प्रभारी श्याम कुमार महतो खुद इस केस के अनुसंधानकर्ता बने हैं. नए सिरे से मामले के अनुसंधान के लिए संबंधित कोर्ट में इसे लेकर आवेदन भी दिया गया है. इसी मामले में पुलिस के द्वारा केस में क्लोजर रिपोर्ट फाइल किए जाने के बाद अदालत ने शिकायतकर्ता उमेश गोप को नोटिस किया है. उमेश गोप को 27 अप्रैल को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया है.

क्या है पूरा मामलाः गौरतलब है की ईडी ने रांची के सदर थाना क्षेत्र के चेशायर होम रोड स्थित एक एकड़ जमीन की डील में फर्जी तरीके से पेपर तैयार करने और इसी कागजात के आधार पर रजिस्ट्री करने की पोल खोली है. जबकि इसी मामले में रांची के सदर थाना में दर्ज केस 399/22 को पुलिस ने बंद कर दिया था. रांची पुलिस ने सदर थाने में दर्ज केस को दीवानी मामला मानते हुए बंद कर दिया था.

सदर डीएसपी के सुपरविजन और तत्कालीन सिटी एसपी के रिपोर्ट 2 के आधार पर मामले को दीवानी बताते हुए बंद करने की सिफारिश की गई थी. इस मामले में सदर डीएसपी और थानेदार पर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि पुलिस ने जमीन हड़पने की जालसाजी के पहलूओं पर जांच नहीं की, पुलिस के द्वारा खतियान और दूसरे सरकारी दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच नहीं करायी गई. जबकि ईडी ने इन्हीं कागजातों की फॉरेंसिक जांच कराकर फर्जीवाड़े को उजागर किया. इसके बाद आरोपियों के खिलाफ छापेमारी और गिरफ्तारी की कार्रवाई भी की.

क्या थी शिकायतः रांची के सदर थाने में उमेश गोप के बयान पर नवंबर 2022 में केस दर्ज किया गया था. इस केस में पुनीत भार्गव समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया गया था. सदर थाने में उमेश गोप के द्वारा रांची एसीजीएम की कोर्ट में दाखिल कम्प्लेन केस में आए आदेश पर आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 447, 504 , 506, 341 और 323 के साथ 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

कोर्ट के आदेश के बाद विष्णु अग्रवाल, पुनीत भार्गव, भरत प्रसाद, राजेश राय, लखन सिंह और इम्तियाज अहमद के ऊपर एफआईआर हुई थी. चेशायर होम रोड स्थित डील के बाद इस जमीन के तीन दावेदार सामने आ चुके थे. पहले दावेदार उमेश गोप ने सदर थाने में केस कराया था, खतियान में भी उमेश गोप के पूर्वजों का नाम है. जबकि जमीन का दूसरा दावेदार कोलकाता का लखन सिंह हैं, लखन से जुड़े रिकॉर्ड कोलकाता में हैं. लखन सिंह के नाम पर भी जमीन की रजिस्ट्री है. वहीं तीसरा दावेदार राजेश राय है, राजेश राय ने यह जमीन पुनीत भार्गव को बेचा था, जिसके बाद पुनीत ने जमीन की रजिस्ट्री रांची के एक बड़े उद्यमी विष्णु अग्रवाल को कर दी. ईडी ने कोर्ट में सौंपे जांच रिपोर्ट में भी इस बात की जानकारी दी है कि फर्जी कागजातों पर एक एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई थी.
कागजातों में गड़बड़ी की फॉरेंसिक रिपोर्ट में पुष्टि ईडी ने पाया है कि चेशायर होम रोड की जमीन के लिए राजेश राय ने अपने परदादा जगदीश राय के नाम पर खतियान बनवाया, इस खतियान में जगदीश राय का 1948 में पता भोजपुर बताया गया, जबकि भोजपुर जिला तब अस्तित्व में ही नहीं था.

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