रांचीः झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 27 फरवरी से आहूत होने वाला है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस सत्र का संचालन भी बिना नेता प्रतिपक्ष के ही होगा. इस संभावना के बीच विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने मुख्य विपक्षी दल भाजपा को नेता प्रतिपक्ष का चयन करने की सलाह दी है. उन्होंने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कहा कि नेता प्रतिपक्ष के नहीं होने की वजह से सूचना आयुक्त और लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं.
उन्होंने बताया कि कोर्ट ने सूचना आयुक्त और लोकायुक्त की नियुक्ति में हो रहे विलंब को लेकर विधानसभा के स्टेट्स की जानकारी मांगी थी. उसी आधार पर उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि जब तक दलबदल मामले का निस्तारण नहीं हो रहा है, तबतक किसी अन्य नेता का चयन कर लें. लेकिन पिछले साल अक्टूबर माह में ही पत्र भेजने के बावजूद भाजपा की तरफ से रूख स्पष्ट नहीं किया गया. आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने धनंजय कुमार बनाम राज्य सरकार से जुड़े 5126/2021 मामले में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर स्पीकर से सदन का स्टेट्स पूछा था. इसी मामले में स्पीकर ने लोकायुक्त एक्ट की धारा 3 के हवाले से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष से नेता प्रतिपक्ष का नाम चयनित करने का आग्रह किया था.
दलबदल मामले का जल्द होगा पटाक्षेपः विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि बेशक भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुना है, लेकिन इसमें कुछ विसंगतियां थीं. इसकी वजह से दलबदल को लेकर स्पीकर के ट्रिब्यूनल में मामले की सुनवाई चली. उन्होंने स्वीकार किया कि कोरोना की वजह से मामले की सुनवाई पूरी होने में थोड़ा विलंब जरूर हुआ. इसी बीच बाबूलाल मरांडी ने न्यायाधिकरण में फैसला सुरक्षित रखे जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दी थी, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि न्यायाधिकरण में मामला प्रक्रियाधीन है. इसलिए इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती. अब सवाल है कि स्पीकर कब फैसला सुनाएंगे. इसके जवाब में उन्होंने कहा है कि इस विषय को पटाक्षेप करने की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला लिया है. स्पीकर ने उम्मीद जतायी है कि जल्द ही इसपर फैसला ले लिया जाएगा.
बजट सत्र में सभी दलों से सहयोग की उम्मीदः विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हर सत्र के आहूत होने से पहले सर्वदलीय बैठक की जाती है. कोशिश होती है कि सर्वसम्मति से जनहित के मसलों पर चर्चा हो. लेकिन इस बैठक को लेकर कौन पार्टी कितनी गंभीर है, यह बताने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सदन का संचालन सुचारू रूप से होना चाहिए. उन्होंने कार्यमंत्रणा के निर्णयों पर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा में व्यक्ति विशेष की राय पर निर्णय नहीं लिया जाता है. जिस विषय पर ज्यादातर माननीयों की एक राय होती है उसी को आगे बढ़ाया जाता है.