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इस स्कूल को माना जाता है IAS और IPS अफसरों का गढ़, जानिए बच्चों को प्रिंसिपल क्या देते हैं टिप्स - जिला स्कूल

राजधानी स्थित जिला स्कूल कभी अपने इतिहास पर गर्व महसूस करता था, इस स्कूल ने कई आईपीएस और आईएएस अफसर दिए है. लेकिन इस स्कूल में संसाधनों और शिक्षकों की भारी कमी है. बावजूद इसके पिछले वर्ष भी मैट्रिक और इंटर परीक्षा में सत प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया था. लेकिन शिक्षा विभाग का इस स्कूल की ओर ध्यान बिल्कुल ही नहीं है.

interview with District school principal  Ashutosh Kumar Singh
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Published : Feb 4, 2020, 6:33 AM IST

रांची: राजधानी स्थित जिला स्कूल कभी अपने इतिहास पर गर्व महसूस करता था, इस स्कूल ने कई आईपीएस और आईएएस अफसर दिए हैं, अपने इतिहास पर इतराने वाला रांची के शहीद चौक स्थित यह स्कूल वर्तमान में शिक्षकों की कमी के कारण बदहाल है. लेकिन कुछ शिक्षकों के जज्बा और विद्यार्थियों के कड़ी मेहनत के कारण पिछले वर्ष भी मैट्रिक और इंटर परीक्षा में सत प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया था. लेकिन शिक्षा विभाग का इस स्कूल की ओर ध्यान बिल्कुल ही नहीं है.

देखें पूरी खबर
एक दौर था जब जिला स्कूल में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने वाले अभिभावक इसे उपलब्धि के रूप में देखते थे, लेकिन अब यह स्कूल लाचार छात्रों की पाठशाला बनकर रह गई है. कारण यहां शिक्षकों की भारी कमी है. माध्यमिक स्तर के 5 शिक्षकों के भरोसे ये स्कूल संचालित हो रही है. जबकि 40 से अधिक शिक्षकों के रिक्त पद अभी भी यहां है, लेकिन इस ओर शिक्षा विभाग का ध्यान ही नहीं है.

ये भी देखें- लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं 'दिव्यांग दीपक', इंजीनियर बनने के बाद लोगों को दे रहे हैं आगे बढ़ने की प्रेरणा

स्कूल की स्थापना तत्कालीन ब्रिटिश शासक विक्टोरिया के जमाने में हुई थी, बिहार के वक्त स्कूल में शिक्षक के 40 पद सृजित किए गए थे. कई शिक्षक रिटायर्ड हुए लिहाजा शिक्षकों की संख्या धीरे-धीरे घटती गई. अभी इस स्कूल में माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रिंसिपल के अलावा कुल 5 शिक्षक है. जबकि इस स्कूल में लगभग एक हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है. इसके बावजूद यहां के विद्यार्थी हर वर्ष मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा में बेहतर परिणाम देते आ रहे हैं.

यहां के प्रिंसिपल आशुतोष कुमार सिंह की मानें तो लगातार शिक्षकों की लगन और विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत के कारण यह विद्यालय शिक्षकों की कमी के बावजूद भी अच्छा कर रहा है. इस वर्ष भी इंटर मैट्रिक की परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों को तैयार किया गया है .विद्यार्थियों को प्रिंसिपल ने कई टिप्स भी दिए, हालांकि इस स्कूल के प्रिंसिपल का दर्द यह भी है कि यहां शिक्षकों की भारी कमी है लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है.

बता दें कि रघुवर सरकार में स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव आराधना पटनायक ने इस स्कूल को गोद लिया था. इसके बावजूद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. लेकिन इस ओर चिंता करने की जरूरत सरकारी तंत्र को जरूर है. मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा को लेकर विद्यार्थी तैयारियों में जुटे हैं. विशेषज्ञों उन्हें एग्जाम देने के टिप्स भी दें रहे हैं. समय पर एग्जाम हॉल में पहुंचे प्रश्न पत्र को ध्यान से पढ़ें और परीक्षा में बेहतर अंक लाने के लिए सुंदर लिखावट का भी उपयोग करें. ऐसे ही और भी कई टिप्स इस स्कूल के प्रिंसिपल आशुतोष कुमार सिंह ने परीक्षार्थियों को दी है.

रांची: राजधानी स्थित जिला स्कूल कभी अपने इतिहास पर गर्व महसूस करता था, इस स्कूल ने कई आईपीएस और आईएएस अफसर दिए हैं, अपने इतिहास पर इतराने वाला रांची के शहीद चौक स्थित यह स्कूल वर्तमान में शिक्षकों की कमी के कारण बदहाल है. लेकिन कुछ शिक्षकों के जज्बा और विद्यार्थियों के कड़ी मेहनत के कारण पिछले वर्ष भी मैट्रिक और इंटर परीक्षा में सत प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया था. लेकिन शिक्षा विभाग का इस स्कूल की ओर ध्यान बिल्कुल ही नहीं है.

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एक दौर था जब जिला स्कूल में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने वाले अभिभावक इसे उपलब्धि के रूप में देखते थे, लेकिन अब यह स्कूल लाचार छात्रों की पाठशाला बनकर रह गई है. कारण यहां शिक्षकों की भारी कमी है. माध्यमिक स्तर के 5 शिक्षकों के भरोसे ये स्कूल संचालित हो रही है. जबकि 40 से अधिक शिक्षकों के रिक्त पद अभी भी यहां है, लेकिन इस ओर शिक्षा विभाग का ध्यान ही नहीं है.

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स्कूल की स्थापना तत्कालीन ब्रिटिश शासक विक्टोरिया के जमाने में हुई थी, बिहार के वक्त स्कूल में शिक्षक के 40 पद सृजित किए गए थे. कई शिक्षक रिटायर्ड हुए लिहाजा शिक्षकों की संख्या धीरे-धीरे घटती गई. अभी इस स्कूल में माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रिंसिपल के अलावा कुल 5 शिक्षक है. जबकि इस स्कूल में लगभग एक हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है. इसके बावजूद यहां के विद्यार्थी हर वर्ष मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा में बेहतर परिणाम देते आ रहे हैं.

यहां के प्रिंसिपल आशुतोष कुमार सिंह की मानें तो लगातार शिक्षकों की लगन और विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत के कारण यह विद्यालय शिक्षकों की कमी के बावजूद भी अच्छा कर रहा है. इस वर्ष भी इंटर मैट्रिक की परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों को तैयार किया गया है .विद्यार्थियों को प्रिंसिपल ने कई टिप्स भी दिए, हालांकि इस स्कूल के प्रिंसिपल का दर्द यह भी है कि यहां शिक्षकों की भारी कमी है लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है.

बता दें कि रघुवर सरकार में स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव आराधना पटनायक ने इस स्कूल को गोद लिया था. इसके बावजूद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. लेकिन इस ओर चिंता करने की जरूरत सरकारी तंत्र को जरूर है. मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा को लेकर विद्यार्थी तैयारियों में जुटे हैं. विशेषज्ञों उन्हें एग्जाम देने के टिप्स भी दें रहे हैं. समय पर एग्जाम हॉल में पहुंचे प्रश्न पत्र को ध्यान से पढ़ें और परीक्षा में बेहतर अंक लाने के लिए सुंदर लिखावट का भी उपयोग करें. ऐसे ही और भी कई टिप्स इस स्कूल के प्रिंसिपल आशुतोष कुमार सिंह ने परीक्षार्थियों को दी है.

Intro:रांची।

राजधानी रांची स्थित जिला स्कूल कभी अपने इतिहास पर गर्व महसूस करता था, इस स्कूल ने कई आईपीएस और आईएएस अफसर दिए अपने इतिहास पर इतराने वाला रांची के शहीद चौक स्थित यह स्कूल वर्तमान में शिक्षकों की कमी के कारण बदहाल है. लेकिन कुछ शिक्षकों के जज्बा और विद्यार्थियों के कड़ी मेहनत के कारण पिछले वर्ष भी मैट्रिक और इंटर परीक्षा में सत प्रतिशत परीक्षा परिणाम दिया था. लेकिन शिक्षा विभाग का इस स्कूल की ओर ध्यान बिल्कुल ही नहीं है....


Body:एक दौर था जब जिला स्कूल में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने वाले अभिभावक इसे उपलब्धि के रूप में देखते थे .लेकिन अब यह स्कूल लाचार छात्रों की पाठशाला बनकर रह गया है .कारण यहां शिक्षकों की भारी कमी है .माध्यमिक स्तर के 5 शिक्षकों के भरोसे ये स्कूल संचालित हो रही है. जबकि 40 से अधिक शिक्षकों के रिक्त पद अभी भी यहां है .लेकिन इस ओर शिक्षा विभाग का ध्यान ही नहीं है .स्कूल की स्थापना तत्कालीन ब्रिटिश शासक विक्टोरिया के जमाने में हुई थी ,बिहार के वक्त स्कूल में शिक्षक के 40 पद सृजित किए गए थे. कई शिक्षक रिटायर्ड हुए लिहाजा शिक्षकों की संख्या धीरे-धीरे घटती गई. अभी इस स्कूल में माध्यमिक शिक्षा के लिए प्रिंसिपल के अलावे कुल 5 शिक्षक है. जबकि इस स्कूल में लगभग एक हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है. इसके बावजूद यहां के विद्यार्थी हर वर्ष मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा में बेहतर परिणाम देते आ रहे हैं. यहां के प्रिंसिपल आशुतोष कुमार सिंह की मानें तो लगातार शिक्षकों की लगन और विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत के कारण यह विद्यालय शिक्षकों की कमी के बावजूद भी अच्छा कर रहा है. इस वर्ष भी इंटर मैट्रिक की परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों को तैयार किया गया है .विद्यार्थियों को प्रिंसिपल द्वारा कई टिप्स भी दिए गए हैं. हालांकि इस स्कूल के प्रिंसिपल का दर्द यह भी है कि यहां शिक्षकों की भारी कमी है लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है.


Conclusion:बताते चलें कि रघुवर सरकार में स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव आराधना पटनायक ने इस स्कूल को गोद लिया था. इसके बावजूद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. हालांकि यह समय नहीं है इन सब चीजों को लेकर बहस करने की .लेकिन इस ओर चिंता करने की जरूरत सरकारी तंत्र को जरूर है. मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा को लेकर विद्यार्थी तैयारियों में जुटे हैं. विशेषज्ञों द्वारा उन्हें एग्जाम देने की टिप्स भी दिए जा रहे हैं. समय पर एग्जाम हॉल में पहुंचे प्रश्न पत्र को ध्यान से पढ़ें और परीक्षा में बेहतर अंक लाने के लिए सुंदर लिखावट का भी उपयोग करें ऐसे ही और भी कई टिप्स इस स्कूल के प्रिंसिपल आशुतोष कुमार सिंह ने परीक्षार्थियों को दी है.....


बाइट- आशुतोष कुमार सिंह, प्रिंसिपल, जिला स्कूल.

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