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ACS ने राज्य के सभी उपायुक्तों को लिखा पत्र, कोरोना के नए वेरिएंट का पता लगाने के लिए रिम्स भेजें मरीजों के सैंपल

कोरोना की आशंका के बीच पूरे देश के साथ झारखंड भी अलर्ट मोड पर आ गया है. कोरोना के वेरिएंट की पहचान के लिए अब हर पॉजिटिव मरीज का सेंपल (Covid samples of patients) जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए रिम्स भेजा जाएगा.

Instructions to all DC to send covid samples
Instructions to all DC to send covid samples
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Published : Dec 22, 2022, 8:20 PM IST

रांची: झारखंड के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिंह ने राज्य के सभी डीसी को पत्र लिखकर दो वायरल बीमारियों कोरोना और मीजल्स रुबेला को लेकर विशेष निर्देश दिए हैं. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि हाल ही में COVID-19 मामलों में अचानक उछाल आया है. जापान, अमरीका, कोरिया गणराज्य और चीन जैसे कुछ देश में कोरोना के नए सब वेरिएंट मिले हैं. ऐसे में झारखंड टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण की पांच का पंच रणनीति पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसलिए कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सेंपल (Covid samples of patients) जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए रांची भेजे जाएं.

ये भी पढ़ें: कोरोना ओमिक्रोन के सब वेरिएंट BF7 से सहमी दुनिया, जानिए झारखंड में क्या है तैयारी

अरुण कुमार सिंह ने सभी डीसी को लिखे पत्र में कोरोना की जांच के लिए जून, 2022 में भारत सरकार की जारी कोविड-19 संदिग्ध के साथ-साथ पुष्टि किए गए मामलों का शीघ्र पता लगाने, अलगाव, परीक्षण और समय पर प्रबंधन पर फिर से जोर देने के लिए कहा गया है. SARS-CoV-2 वैरिएंट के नए सब वैरियंट की पहचान, उसके स्टेन में हुए बदलाव की पहचान के लिए होल जीनोम सिक्वेंसीग जरूरी हो जाती है. इसलिए, मौजूदा वैरिएंट के रुझानों की निगरानी के महत्व को देखते हुए, सभी सकारात्मक मामलों के पूरे जीनोम अनुक्रम को तैयार करने की आवश्यकता है.

देश में कोरोना के बढ़ने की आशंका को देखते हुए अपर मुख्य सचिव ने सभी डीसी को निर्देशित किया है कि जहां तक ​​संभव हो सके सभी कोरोना पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग लैब भेजे. चीन और अन्य देशों में कोरोना के विस्फोट के बाबत राज्य सरकार का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग भी सचेत है. उन्होंने कहा है कि सभी जिलों के उपायुक्त कोरोना पीड़ितों के जीनोम सिक्वेंसिंग के मामलों से संबंधित सैंपल राजधानी रांची के राजेंद्र आर्युविज्ञान संस्थान (रिम्स) भेजें. उन्होंने कोरोना की टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, वैक्सीनेशन के कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया.



इधर, भारत सरकार और यूनिसेफ ने खसरा- रुबेला का 2023 तक देश से रू उन्मूलन कर देने का लक्ष्य रखा है, इस उन्मूलन के लक्ष्यों को पाने के लिए कम से कम 95% खसरा और रूबेला युक्त टीके (MRCV) की प्रत्येक खुराक के लिए कवरेज होना सुनिश्चित होना चाहिए. इसलिए राज्य के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सभी जिलों के डीसी और खासकर उन जिलों जहां इस वर्ष खसरा रुबेला का आउट ब्रेक हुआ है. वहां अभियान चलाकर 09 माह से पांच वर्ष तक के वैसे बच्चे जिन्होंने अभी तक मीजल्स रुबेला का वैक्सीन नहीं लिया है उनकी पहचान कर MR वैक्सीन लगाने का निर्देश दिया है.


अपर मुख्य सचिव ने अपने निर्देश में कहा है कि लैब में कन्फर्म MR के मामले से स्पष्ट है कि कुछ जिलों में इसका प्रकोप (Outbreak) की पुष्टि हुई है. तो अन्य जिलों में भी इक्का-दुक्का मामले तीव्र होने की ओर इशारा कर रहे हैं. जिन इलाकों में MR के मामले ज्यादा मिले हैं उन प्रभावित जिलों के प्रभावित गांवों/क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया गया है. और MR-1 और MR-2 वाले गैर-टीकाकृत बच्चे (9 महीने से 5 वर्ष) रहे हैं. उन्हें टीका लगाने के लिए चिन्हित किया गया है. गढ़वा, गुमला, पलामू, साहिबगंज, सरायकेला और पश्चिमी सिंहभूम ने चिन्हित लोगों को 100% वैक्सीनेशन कवरेज प्रदान कर दिया गया है. जबकि अभी बोकारो, देवघर, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़ और राँची को पूर्ण कवरेज प्रदान नहीं किया गया है. इसलिए जिलेवार और ब्लॉकवार प्रभावित गांवों/क्षेत्रों के नाम के साथ सूची बनाकर उन बच्चों को टीका देना सुनिश्चित किया जाए, जिन्होंने अभी तक MR वैक्सीन नहीं लिया है. चिन्हित गैर-टीकाकृत बच्चों को एक सप्ताह के भीतर एमआरसीवी की खुराक प्रदान की जानी है, जो किसी भी संभावित प्रकोप से बचाव के लिए जरूरी है.

खसरा रुबेला को रोकने के लिए राज्य को विशेष कवायद इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि इस वर्ष राज्य में खसरा के 175 आउट ब्रेक हुए हैं और 2602 लोग जिसमें ज्यादातर बच्चे हैं, जो इसके संक्रमण की चपेट में आये हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार राज्य में 09 माह से 05 वर्ष के 18539 ऐसे 09 माह से 05 वर्ष तक के बच्चों की पहचान हुई है. जिसमें से 3484 ने वैक्सीन का पहला डोज और 3344 ने दूसरा डोज नहीं लिया है, बाकी ने वैक्सीन लिया है या नहीं यह संदेहास्पद है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग मीजल्स रुबेला से बचाव को लेकर विशेष कवायद कर रहा है.

रांची: झारखंड के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिंह ने राज्य के सभी डीसी को पत्र लिखकर दो वायरल बीमारियों कोरोना और मीजल्स रुबेला को लेकर विशेष निर्देश दिए हैं. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि हाल ही में COVID-19 मामलों में अचानक उछाल आया है. जापान, अमरीका, कोरिया गणराज्य और चीन जैसे कुछ देश में कोरोना के नए सब वेरिएंट मिले हैं. ऐसे में झारखंड टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण की पांच का पंच रणनीति पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसलिए कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सेंपल (Covid samples of patients) जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए रांची भेजे जाएं.

ये भी पढ़ें: कोरोना ओमिक्रोन के सब वेरिएंट BF7 से सहमी दुनिया, जानिए झारखंड में क्या है तैयारी

अरुण कुमार सिंह ने सभी डीसी को लिखे पत्र में कोरोना की जांच के लिए जून, 2022 में भारत सरकार की जारी कोविड-19 संदिग्ध के साथ-साथ पुष्टि किए गए मामलों का शीघ्र पता लगाने, अलगाव, परीक्षण और समय पर प्रबंधन पर फिर से जोर देने के लिए कहा गया है. SARS-CoV-2 वैरिएंट के नए सब वैरियंट की पहचान, उसके स्टेन में हुए बदलाव की पहचान के लिए होल जीनोम सिक्वेंसीग जरूरी हो जाती है. इसलिए, मौजूदा वैरिएंट के रुझानों की निगरानी के महत्व को देखते हुए, सभी सकारात्मक मामलों के पूरे जीनोम अनुक्रम को तैयार करने की आवश्यकता है.

देश में कोरोना के बढ़ने की आशंका को देखते हुए अपर मुख्य सचिव ने सभी डीसी को निर्देशित किया है कि जहां तक ​​संभव हो सके सभी कोरोना पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग लैब भेजे. चीन और अन्य देशों में कोरोना के विस्फोट के बाबत राज्य सरकार का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग भी सचेत है. उन्होंने कहा है कि सभी जिलों के उपायुक्त कोरोना पीड़ितों के जीनोम सिक्वेंसिंग के मामलों से संबंधित सैंपल राजधानी रांची के राजेंद्र आर्युविज्ञान संस्थान (रिम्स) भेजें. उन्होंने कोरोना की टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, वैक्सीनेशन के कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया.



इधर, भारत सरकार और यूनिसेफ ने खसरा- रुबेला का 2023 तक देश से रू उन्मूलन कर देने का लक्ष्य रखा है, इस उन्मूलन के लक्ष्यों को पाने के लिए कम से कम 95% खसरा और रूबेला युक्त टीके (MRCV) की प्रत्येक खुराक के लिए कवरेज होना सुनिश्चित होना चाहिए. इसलिए राज्य के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सभी जिलों के डीसी और खासकर उन जिलों जहां इस वर्ष खसरा रुबेला का आउट ब्रेक हुआ है. वहां अभियान चलाकर 09 माह से पांच वर्ष तक के वैसे बच्चे जिन्होंने अभी तक मीजल्स रुबेला का वैक्सीन नहीं लिया है उनकी पहचान कर MR वैक्सीन लगाने का निर्देश दिया है.


अपर मुख्य सचिव ने अपने निर्देश में कहा है कि लैब में कन्फर्म MR के मामले से स्पष्ट है कि कुछ जिलों में इसका प्रकोप (Outbreak) की पुष्टि हुई है. तो अन्य जिलों में भी इक्का-दुक्का मामले तीव्र होने की ओर इशारा कर रहे हैं. जिन इलाकों में MR के मामले ज्यादा मिले हैं उन प्रभावित जिलों के प्रभावित गांवों/क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया गया है. और MR-1 और MR-2 वाले गैर-टीकाकृत बच्चे (9 महीने से 5 वर्ष) रहे हैं. उन्हें टीका लगाने के लिए चिन्हित किया गया है. गढ़वा, गुमला, पलामू, साहिबगंज, सरायकेला और पश्चिमी सिंहभूम ने चिन्हित लोगों को 100% वैक्सीनेशन कवरेज प्रदान कर दिया गया है. जबकि अभी बोकारो, देवघर, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़ और राँची को पूर्ण कवरेज प्रदान नहीं किया गया है. इसलिए जिलेवार और ब्लॉकवार प्रभावित गांवों/क्षेत्रों के नाम के साथ सूची बनाकर उन बच्चों को टीका देना सुनिश्चित किया जाए, जिन्होंने अभी तक MR वैक्सीन नहीं लिया है. चिन्हित गैर-टीकाकृत बच्चों को एक सप्ताह के भीतर एमआरसीवी की खुराक प्रदान की जानी है, जो किसी भी संभावित प्रकोप से बचाव के लिए जरूरी है.

खसरा रुबेला को रोकने के लिए राज्य को विशेष कवायद इसलिए करनी पड़ रही है क्योंकि इस वर्ष राज्य में खसरा के 175 आउट ब्रेक हुए हैं और 2602 लोग जिसमें ज्यादातर बच्चे हैं, जो इसके संक्रमण की चपेट में आये हैं. सरकारी आंकड़े के अनुसार राज्य में 09 माह से 05 वर्ष के 18539 ऐसे 09 माह से 05 वर्ष तक के बच्चों की पहचान हुई है. जिसमें से 3484 ने वैक्सीन का पहला डोज और 3344 ने दूसरा डोज नहीं लिया है, बाकी ने वैक्सीन लिया है या नहीं यह संदेहास्पद है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग मीजल्स रुबेला से बचाव को लेकर विशेष कवायद कर रहा है.

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