रांची: एक नबालिग के साथ हुए दुष्कर्म से जुड़े केस के चार्जशीट में मदद के नाम पर रिश्वत लेने वाले दारोगा घनश्याम दास को झारखंड पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया है (Inspector dismissed for demanding bribe in POCSO Act ). घनश्याम दास को लेकर चाईबासा एसपी ने विभागीय कार्रवाई के बाद बर्खास्त करने की अनुशंसा की थी.
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रिश्वत लेते एसीबी ने किया था गिरफ्तार: इस मामले में चाईबासा के पूर्व एसपी अजय लिंडा की अनुशंसा पर दारोगा घनश्याम दास को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. दारोगा घनश्याम दास को प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पोक्सो) केस के आरोपी राकेश दास की भाभी शकुंतला दास से 10 हजार रुपये घूस लेते 7 जनवरी 2020 को एसीबी जमशेदपुर की टीम ने पकड़ा था. पकड़े जाने के बाद से जेल भेज दिया गया था. एसीबी की गिरफ्तारी के बाद घनश्याम को निलंबित किया गया था.
क्यों किया गया बर्खास्त: रांची डीआईजी अनीश गुप्ता ने अपने आदेश में बताया है कि दारोगा घनश्याम दास के इस कृत्य से झारखंड पुलिस की छवि धूमिल हुई है. लोग पुलिस पर अविश्वास करने लगेंगे, अगर ऐसे पुलिस कर्मियों को विभाग में बने रहने दिया जाएगा तो. दूसरे पुलिस कर्मियों पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ेगा. पोक्सो जैसे संवेदनशील केस में घूस लेने को काफी गंभीर मानते हुए लिखा गया है कि यह अयोग्य पदाधिकारी होने का परिचय है. डीआईजी ने विभागीय जांच पदाधिकारी और पश्चिम सिंहभूम एसपी की अनुशंसा से सहमत होकर दारोगा को बर्खास्त करने और जिला के सभी पंजियों से नाम विलोपित करने का आदेश जारी किया है.
क्यों रांची डीआईजी ने जारी किया आदेश: दरअसल जब दारोगा को बर्खास्त करने की अनुशंसा की गई थी, उस समय चाईबासा के एसपी अजय लिंडा हुआ करते थे. लेकिन बाद में वहीं कोल्हान के डीआईजी बन गए. ऐसे में उन्होंने पुलिस मुख्यालय के आईजी से पत्राचार किया था कि इस मामले में स्वयं की अनुशंसा पर वह डीआईजी के तौर पर कार्रवाई नहीं कर सकते. ऐसे में पुलिस मामले में रांची डीआईजी को विभागीय जांच के आदेश पर कार्रवाई का निर्देश पुलिस मुख्यालय से दिया गया. पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर विचार के उपरांत उन्होंने दारोगा के निलंबन का आदेश जारी किया.