रांची: लगभग एक माह पूर्व मंत्री सरयू राय ने ऐसा बयान दिया था जिससे वो सुर्खियों में रहे थे. जिसमें सरयू राय ने कहा था कि वर्तमान सरकार दिसंबर महीने में नहीं रहेगी. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. कोई उनपर तंज कस रहा था तो कोई उनके बयान का विश्लेषण कर रहा था. विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सरयू राय ने फिर एक बार जो बयान दिया उससे यह सवाल उठने लगा है कि आखिर सरयू किसके करीब हैं ? एक पल के लिए जिसे सरयू राय के बयानों से अपने साथ होने का अहसास होता है तो अगले ही पल का बयान ठीक 360 डिग्री उलट हो जाता है.
सरयू राय का ताजा बयानः झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र के पहले दिन मीडियाकर्मियों ने सरयू राय से पूछा कि ईडी के छह समन के बाद भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूछताछ के लिए नहीं गए. इस सवाल के जवाब में निर्दलीय विधायक सरयू राय ने प्रवर्तन निदेशालय को समन करनेवाली फैक्टरी बन जाने की बात कही. साथ ही इशारों-इशारों में उन्होंने ईडी को कोर्ट जाने और पूरी स्थिति से अवगत कराने की सलाह दे डाली. इस क्रम में उन्होंने शिशुपाल से लेकर दानवीर कर्ण तक का उदाहरण दे दिया. अब राजनीतिक दल के नेता सोच में पड़ गए हैं कि आखिर सरयू राय ने शिशुपाल किसे बता रहे हैं. जिनकी 99 गलतियां भगवान कृष्ण ने माफ की थी और किसे दानवीर कर्ण कह रहे हैं तो अगले ही पल सरयू राय बोल गए कि मुख्यमंत्री अपनी लड़ाई बहादुरी के साथ लड़ रहे हैं.
सरयू राय के बयान को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों के नेता दुविधा मेंः सरयू राय के बयान को समझने और वह किसके दूर-किसके पास हैं ? यह जानने समझने में अक्सर एनडीए और महागठबंधन के नेता दुविधा में रहते हैं. भाजपा के कई नेता सरयू राय के बयानों पर टिप्पणी करने से बचते हैं तो कुछ उन्हें भाजपा से दूर चले जाने की बात करते हैं. वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर कहते हैं कि सरयू राय का कई बयान समझ में नहीं आता है.
कौन हैं सरयू राय, कैसे देशभर में 2019 में हो गए थे चर्चितः सरयू राय को बिहार झारखंड की राजनीति का एक कुशल राजनीतिज्ञ माना जाता है. 16 जुलाई 1951 को बिहार में जन्मे सरयू राय ने पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रह चुके सरयू राय की बड़ी भूमिका चारा घोटाले मामले को उजागर कर अंजाम तक पहुंचाने में थी. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के समय के भ्रष्टाचार पर उन्होंने "कोड़ा राज में लूटकांड" किताब लिख कर सुर्खियां बटोरी थी. 2014 से 2019 तक रघुवर दास की सरकार में मंत्री रहे सरयू राय तब सुर्खियों में आ गए, जब चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा छोड़कर जमशेदपुर पूर्वी से मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए और मुख्यमंत्री को हरा दिया. अभी भी कई मौकों पर वह यह कहने ने नहीं चूकते की उनकी विचारधारा भाजपा के करीब है, लेकिन कई मुद्दों पर वह भाजपा की नीतियों का विरोध भी करते हैं.
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