रांची: हेमंत सरकार को भरोसा है कि मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना की बदौलत ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के युवा आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनेंगे. इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग, पिछड़ा वर्ग और दिव्यांग युवाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए सुगम और सस्ते दर पर ऋण मुहैया कराना है.
इसकी प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू हो जाएगी. हालांकि, पहले भी युवाओं को अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से स्वरोजगार के लिए ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी. लेकिन, कोरोना काल में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक वापस लौटे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए ऋण सह अनुदान राशि में संशोधन किया गया है. स्वरोजगार के लिए अब 40 प्रतिशत की अनुदान राशि दी जाएगी. पहले यह 25 प्रतिशत थी.
ऐसे युवाओं को रोजगार से जोड़ने एवं उद्यमिता विकास के लिए झारखंड राज्य आदिवासी सहकारी निगम, झारखंड राज्य अनुसूचित जाति सहकारिता विकास निगम, झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम, झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम से ऋण लेने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है. अब युवाओं को पहले से अधिक अनुदान का लाभ भी मिलेगा. युवाओं को ऋण की सुविधा के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों के विकास और उनके आर्थिक स्वावलंबन के लिए उपलब्ध कराने की योजना पर सरकार कार्य कर रही है.
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वर्तमान सरकार का मानना है कि स्वरोजगार के लिए युवाओं को ऋण लेने में अधिक से अधिक सुविधा उपलब्ध हो. विभाग द्वारा संचालित निगमों को स्वरोजगार के लिए ऋण अनुदान का लाभ देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना आरंभ करते हुए ज्यादा से ज्यादा लाभुकों को ऋण अनुदान की सुविधा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस तरह झारखंड के युवाओं को ट्रेडिंग, मैन्युफैक्चरिंग और वाहन उपलब्ध कराने में योजना सहायक हो रही है और झारखंड के युवा राज्य के विकास में अपनी भूमिका का निभा रहे हैं.