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लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक बढ़ी दुष्कर्म की वारदात, अपनों ने ही किया अस्मत से खिलवाड़ - झारखंड में लॉकडाउन में दुष्कर्म की वारदात बढ़ी

झारखंड में बेटियां अपनों से ही सुरक्षित नहीं है. मासूम बेटियों को सबसे ज्यादा खतरा अपनों से ही है. लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक के मिले दुष्कर्म के आंकड़े बेहद चौकानेवाले और गंभीर हैं. लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया और अधिकांश आरोपी उनके परिचित ही निकले.

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लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक बढ़ी दुष्कर्म की वारदात
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Published : Aug 28, 2020, 9:16 PM IST

रांचीः कोरोना काल के दौरान संपत्ति मूलक अपराधों पर महीनों तक ब्रेक लगा रहा. हत्या, लूट, छिनतई और सड़क हादसे में भी ब्रेक लगा. लेकिन दुष्कर्म के मामले नहीं रूक पाए. लॉक डाउन से लेकर अनलॉक तक पूरे झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कई गंभीर मामले सामने आए.

देखें पूरी खबर
भयावह है आंकड़े
देशभर में पूर्ण रूप से लॉकडाउन के दौरान झारखंड में भी लॉकडाउन की स्थिति थी. इसके बावजूद झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन से ठीक पहले यानी जनवरी महीने में दुष्कर्म के 151 मामले सामने आए थे, फरवरी में 142, मार्च में 150 मामले, अप्रैल में 104 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं साल 2019 में झारखंड में दुष्कर्म के मामलों की बात करें तो यह आंकड़ा 1742 था. यानी झारखंड में 24 घंटे में 4 से अधिक दुष्कर्म की वारदातें सामने आती रही. वहीं 23 मार्च से लेकर 21 मई के बीच झारखंड के अलग-अलग जिलों में दुष्कर्म की कुल 155 वारदात दर्ज की गई है. इन वारदातों में 17 सामूहिक दुष्कर्म की वारदात भी शामिल है. सबसे खौफनाक बात यह है कि रांची में लॉकडाउन की अवधि में 22 नाबालिगों को भी दरिंदों ने अपना शिकार बनाया.


कहां कितनी वारदात (अप्रैल से लेकर जुलाई 2020 तक)

रांची में 38 दिनों में 22 नबालिग से दुष्कर्म
पूर्ण रूप से लॉकडाउन होने के बावजूद राजधानी दुष्कर्म के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. जबकि इस दौरान पुलिस हर जगह मुस्तैद थी. सीडब्ल्यूसी के आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से 21 मई के बीच रांची के विभिन्न थाना क्षेत्रों में 22 नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई. इनमें से 70% लड़कियों की उम्र 10 साल से कम है. सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष रूपा कुमारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के लिए लगे लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा अपनों ने ही मासूमों को अपना शिकार बनाया.

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दुष्कर्म के आंकड़े 2020
सतर्क रहें - सब पर विश्वास ना करें

रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र झा के अनुसार जो दुष्कर्म के मामले अधिकांशत आए हैं उनमें आरोपी पीड़ित का परिचित ही निकला है या तो वह दोस्त था या फिर पीड़ित के दोस्त का दोस्त. ऐसे में लड़कियों को यह समझना होगा कि वह किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा ना करें. साथ ही अगर उन्हें किसी भी तरह का खतरा लगता है तो तुरंत पुलिस को संपर्क करें या फिर अपने माता-पिता को भी पूरी बात बताएं ताकि समय रहते इस तरह के अपराधों से उन्हें बचाया जा सके.

कानून के गलत इस्तेमाल की भी आशंका
आंकड़ों में तो यह साफ नजर आ रहा है कि दुष्कर्म की वारदात लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक बढ़ी है. इस मामले पर सीडब्ल्यूसी की सदस्य तनुश्री का एक अलग ही मत है, तनुश्री के अनुसार लॉकडाउन के दौरान भी कई नाबालिग अपने प्रेमी के साथ घर छोड़कर फरार हुई और जब वह पकड़ी जाती है, तब परिवार के दबाव में अपने प्रेमी पर ही दुष्कर्म का आरोप लगाकर केस दर्ज करवाती है. जिससे पॉक्सो का दुरुपयोग होने की आशंका बनी रहती है, इसका भी ध्यान रखना होगा. दुष्कर्म के बढ़ते मामले को लेकर उन्होने कहा कि लोगों की मानसिक स्थिति बदलना काफी जरूरी है तभी दुष्कर्म के आंकड़ों में कमी आएगी.

कोरोना भी बनी वजह
झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह जो झारखंड के कई जिलों में बतौर थाना प्रभारी काम कर चुके हैं, उनकी माने तो दुष्कर्म में वृद्धि की एक प्रमुख वजह कोरोना भी है. कोरोना परिवार के बीच भी दूरी ला दी है. जबकि सामाजिक रूप से भी लोग एक दूसरे के घर जाना बंद कर चुके हैं ऐसे में अगर आपका बच्चा घर में अकेले हैं तो उसकी सुरक्षा करने वाला भी कोई नहीं है इन सब बातों का फायदा दुष्कर्मी उठाते हैं. साथ ही पुलिस ने हर मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

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दुष्कर्म के आंकड़े 2020

इसे भी पढ़ें- नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म, घर में अकेला देख बनाया हवस का शिकार

कांके और सदर केस में हुआ था स्पीडी ट्रायल

रांची के सीनियर एसपी अभी कहते हैं कि आरोपियों को स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलाने की प्रक्रिया भी की जा रही है. रांची के तत्कालीन एसएसपी अनीश गुप्ता ने चर्चित सदर और कांके थाना क्षेत्र में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना में स्पीडी ट्रायल कराया गया था. इन दोनों मामलों में आरोपियों को कोर्ट से सजा सुनाई है. वहीं दुमका के तत्कालीन एसपी ने एक पीड़िता को इंसाफ दिलाया जाने के मामले में स्पीडी ट्रायल करवा कर मात्र 25 दिन में सजा दिलवाई गई थी. अगर स्पीडी ट्रायल के मामलों को देखें तो झारखंड में खासकर महिला के खिलाफ होने वाले अत्याचार या फिर दुष्कर्म के मामले हो सभी में अधिकांश मामलों का स्पीड ट्रायल करवाया जा रहा है कोरोना वायरस से हालांकि इसमें थोड़ी रुकावट जरूर पैदा हुई है, फिर भी हर दिन एक ना एक आरोपी को सजा जरूर मिल रही है.

रांचीः कोरोना काल के दौरान संपत्ति मूलक अपराधों पर महीनों तक ब्रेक लगा रहा. हत्या, लूट, छिनतई और सड़क हादसे में भी ब्रेक लगा. लेकिन दुष्कर्म के मामले नहीं रूक पाए. लॉक डाउन से लेकर अनलॉक तक पूरे झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कई गंभीर मामले सामने आए.

देखें पूरी खबर
भयावह है आंकड़ेदेशभर में पूर्ण रूप से लॉकडाउन के दौरान झारखंड में भी लॉकडाउन की स्थिति थी. इसके बावजूद झारखंड पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन से ठीक पहले यानी जनवरी महीने में दुष्कर्म के 151 मामले सामने आए थे, फरवरी में 142, मार्च में 150 मामले, अप्रैल में 104 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं साल 2019 में झारखंड में दुष्कर्म के मामलों की बात करें तो यह आंकड़ा 1742 था. यानी झारखंड में 24 घंटे में 4 से अधिक दुष्कर्म की वारदातें सामने आती रही. वहीं 23 मार्च से लेकर 21 मई के बीच झारखंड के अलग-अलग जिलों में दुष्कर्म की कुल 155 वारदात दर्ज की गई है. इन वारदातों में 17 सामूहिक दुष्कर्म की वारदात भी शामिल है. सबसे खौफनाक बात यह है कि रांची में लॉकडाउन की अवधि में 22 नाबालिगों को भी दरिंदों ने अपना शिकार बनाया.


कहां कितनी वारदात (अप्रैल से लेकर जुलाई 2020 तक)

रांची में 38 दिनों में 22 नबालिग से दुष्कर्म
पूर्ण रूप से लॉकडाउन होने के बावजूद राजधानी दुष्कर्म के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. जबकि इस दौरान पुलिस हर जगह मुस्तैद थी. सीडब्ल्यूसी के आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से 21 मई के बीच रांची के विभिन्न थाना क्षेत्रों में 22 नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई. इनमें से 70% लड़कियों की उम्र 10 साल से कम है. सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष रूपा कुमारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के लिए लगे लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा अपनों ने ही मासूमों को अपना शिकार बनाया.

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दुष्कर्म के आंकड़े 2020
सतर्क रहें - सब पर विश्वास ना करें

रांची के सीनियर एसपी सुरेंद्र झा के अनुसार जो दुष्कर्म के मामले अधिकांशत आए हैं उनमें आरोपी पीड़ित का परिचित ही निकला है या तो वह दोस्त था या फिर पीड़ित के दोस्त का दोस्त. ऐसे में लड़कियों को यह समझना होगा कि वह किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा ना करें. साथ ही अगर उन्हें किसी भी तरह का खतरा लगता है तो तुरंत पुलिस को संपर्क करें या फिर अपने माता-पिता को भी पूरी बात बताएं ताकि समय रहते इस तरह के अपराधों से उन्हें बचाया जा सके.

कानून के गलत इस्तेमाल की भी आशंका
आंकड़ों में तो यह साफ नजर आ रहा है कि दुष्कर्म की वारदात लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक बढ़ी है. इस मामले पर सीडब्ल्यूसी की सदस्य तनुश्री का एक अलग ही मत है, तनुश्री के अनुसार लॉकडाउन के दौरान भी कई नाबालिग अपने प्रेमी के साथ घर छोड़कर फरार हुई और जब वह पकड़ी जाती है, तब परिवार के दबाव में अपने प्रेमी पर ही दुष्कर्म का आरोप लगाकर केस दर्ज करवाती है. जिससे पॉक्सो का दुरुपयोग होने की आशंका बनी रहती है, इसका भी ध्यान रखना होगा. दुष्कर्म के बढ़ते मामले को लेकर उन्होने कहा कि लोगों की मानसिक स्थिति बदलना काफी जरूरी है तभी दुष्कर्म के आंकड़ों में कमी आएगी.

कोरोना भी बनी वजह
झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह जो झारखंड के कई जिलों में बतौर थाना प्रभारी काम कर चुके हैं, उनकी माने तो दुष्कर्म में वृद्धि की एक प्रमुख वजह कोरोना भी है. कोरोना परिवार के बीच भी दूरी ला दी है. जबकि सामाजिक रूप से भी लोग एक दूसरे के घर जाना बंद कर चुके हैं ऐसे में अगर आपका बच्चा घर में अकेले हैं तो उसकी सुरक्षा करने वाला भी कोई नहीं है इन सब बातों का फायदा दुष्कर्मी उठाते हैं. साथ ही पुलिस ने हर मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

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दुष्कर्म के आंकड़े 2020

इसे भी पढ़ें- नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म, घर में अकेला देख बनाया हवस का शिकार

कांके और सदर केस में हुआ था स्पीडी ट्रायल

रांची के सीनियर एसपी अभी कहते हैं कि आरोपियों को स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलाने की प्रक्रिया भी की जा रही है. रांची के तत्कालीन एसएसपी अनीश गुप्ता ने चर्चित सदर और कांके थाना क्षेत्र में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना में स्पीडी ट्रायल कराया गया था. इन दोनों मामलों में आरोपियों को कोर्ट से सजा सुनाई है. वहीं दुमका के तत्कालीन एसपी ने एक पीड़िता को इंसाफ दिलाया जाने के मामले में स्पीडी ट्रायल करवा कर मात्र 25 दिन में सजा दिलवाई गई थी. अगर स्पीडी ट्रायल के मामलों को देखें तो झारखंड में खासकर महिला के खिलाफ होने वाले अत्याचार या फिर दुष्कर्म के मामले हो सभी में अधिकांश मामलों का स्पीड ट्रायल करवाया जा रहा है कोरोना वायरस से हालांकि इसमें थोड़ी रुकावट जरूर पैदा हुई है, फिर भी हर दिन एक ना एक आरोपी को सजा जरूर मिल रही है.

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