रांचीः आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इलाज के बदले मिलने वाले इंसेटिव की रकम अरसे से खाते में बंद है. इससे न तो रिम्स में संसाधन बढ़ाए जा रहे और न ही इसके 25 फीसदी हिस्से को इलाज में लगे चिकित्सकों कर्मचारियों को दिया जा रहा है. हालांकि जिम्मेदारों का कहना है कि जो राशि संसाधनों पर खर्च की जानी थी उसमें से चार करोड़ रुपये का ही उपयोग नहीं किया जा सका है.
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बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब विश्व की सबसे बड़ी बीमा योजना की झारखंड की धरती से 2018 के सितम्बर महीने में शुरुआत की थी. तब उसमें प्रावधान किया गया था कि इस योजना से सरकारी अस्पतालों में इलाज होगा तो उसके एवज में बीमा कंपनियां जितनी राशि का भुगतान करेंगी. उसकी 75% राशि अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने में खर्च होंगी. जबकि 25% राशि इलाज करने वाले डॉक्टर्स और उनके सहयोगियों में बांटा जाएगा ताकि डॉक्टर्स और उनकी टीम भी उत्साह के साथ मरीजों का इलाज करे.
हैरत की बात यह है कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में आयुष्मान भारत योजना की एक भी फूटी कौड़ी डॉक्टरों और उनकी टीम को प्रोत्साहन के रूप में अब तक नहीं दी गई है और न ही इस राशि से रिम्स में संसाधन बढ़ाए जा सके. रिम्स जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के सदस्य डॉ. विकास कहते हैं कि इस राशि से जहां डॉक्टरों में उत्साह की भावना आती, वहीं 75% राशि से अस्पताल की छोटी छोटी कमियों को दूर किया जा सकता था. वरिष्ठ डॉक्टर और रिम्स चिकित्सक शिक्षक संघ भी प्रोत्साहन की राशि का भुगतान न किए जाने को गलत बता रहा है.
बीमा कंपनी कर चुकी हैं 9.5 करोड़ का भुगतानः आयुष्मान भारत योजना के तहत 2018 से रिम्स में इलाज के लिए बीमा कंपनियों को 13 करोड़ रुपये का भुगतान करना था. इसमें से 9.5 करोड़ की क्लेम राशि भी रिम्स को मिल चुकी है. बीमा कंपनियों से क्लेम के रूप में मिले 9.5 करोड़ की राशि का 25% यानी 2.37 करोड़ रुपये उन डॉक्टर्स और उनकी टीम के प्रोत्साहन के लिए मिलना है जिन्होंने मरीजों के इलाज में मदद की. लेकिन जिम्मेदारों का कहना है कि अभी तक इलाज करने वाले सभी लोगों की पहचान नहीं हो पाने से राशि नहीं दी जा रही है.
क्या कहते हैं रिम्स में आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारीः रिम्स में आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी डॉ. राकेश रंजन कहते हैं कि यह सही है कि रिम्स के डॉक्टर्स ने 13 करोड़ रुपये का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया गया है, जिसमें से साढ़े नौ करोड़ रुपये की राशि का भुगतान भी बीमा कंपनियों ने कर दिया है. इस राशि से सर्जिकल उपकरण खरीदे गए हैं और अभी भी करीब 4 करोड़ रुपये बैंक खाते में हैं पर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को उनके हक का इंसेंटिव क्यों नहीं मिल रहा इसके जवाब में वह कहते हैं कि एक मरीज के इलाज में बहुत सारे लोगों का योगदान होता है ,सभी में राशि बंटनी है. ऐसे में उन सभी लोगों की पहचान मुश्किल है इसलिए प्रोत्साहन की राशि बैंक खाते में पड़ी है.
रिम्स प्रबंधन का जवाब तो और हैरान करने वालाः रिम्स में आयुष्मान भारत योजना के नोडल अधिकारी का कहना है कि इंसेंटिव के सभी लाभुक की पहचान नहीं हो रही है तो रिम्स के जनसपंर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा कहते हैं कि प्रोत्साहन में विलंब क्यों हो रहा है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.