रांची: करीब 25 साल बाद एक बार फिर रांची में बंगाली संस्कृति, खान-पान, पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य संगीत को समेटे पौष मेला का आयोजन किया गया. रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार परिसर में बंगाली युवा मंच चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित पौष मेला का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने किया. उन्होंने बंगाली संस्कृति को जीवंत संस्कृति बताया और कहा कि साल में 12 महीने होते हैं लेकिन बंगाली परिवार साल में 13 त्योहार मनाते हैं. उन्होंने कहा कि हर माह उत्सव यह दर्शाता है कि बंगाली समाज किस उमंग और उत्साह के साथ जीवन जीता है.
बढ़ाने पड़े 6 स्टॉल: आर्यभट्ट सभागार में आयोजित मेले के प्रति आकर्षण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शुरुआत में यहां 17 स्टॉल लगने थे लेकिन आखिरी वक्त में आयोजकों को 6 स्टॉल बढ़ाने पड़े. पारंपरिक और आधुनिक कपड़े, बंगाली व्यंजन, विभिन्न स्वादों की हांडी चाय का प्रदर्शन किया गया. वहीं स्टॉल आकर्षण का केंद्र बना रहा, फूड स्टॉल में पौष माह के विशेष व्यंजन जैसे दूध पीठा, पुली पीठा, पाटी-सप्ता, गुड़ रसगुल्ला के साथ कई तरह के व्यंजन ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया.
मेले की शुरुआत मशहूर जादूगर नागराज के शो से हुई. उन्होंने अपने जादू से उपस्थित लोगों विशेषकर बच्चों को मंत्रमुग्ध कर दिया. जादू शो के बाद कोलकाता की कॉमेडी ड्रामा मंडली "सिंचान" द्वारा एक बंगाली कॉमेडी ड्रामा प्रस्तुत किया गया. इसके बाद नृत्यांजलि नामक संस्था के मॉडलों द्वारा बांग्ला वेशभूषा प्रदर्शनी (रैंप वॉक) प्रस्तुत की गयी, जिसमें बांग्ला वेशभूषा का प्रदर्शन किया गया.
कला संस्कृति को बढ़ावा देना उद्देश्य: पौष मेला के दौरान झामुमो नेता और बंगाली युवा मंच चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस तरह के आयोजन का उद्देश्य यह है कि हम अपनी कला संस्कृति को एक मंच देकर बढ़ावा दे सकें. पौष मेला कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गायिका तनुश्री डे रहीं, जिन्होंने कोलकाता के मशहूर बांग्ला बैंड "परिधि" की जबरदस्त प्रस्तुति के साथ-साथ बंगला झूमर गाना गाकर सभी का मन मोह लिया.
यह भी पढ़ें: 25 वर्ष बाद बांग्ला पौष मेला का आयोजन, रांची के आर्यभट्ट सभागार परिसर में दिखेगी बांग्ला कला-संस्कृति की झलक
यह भी पढ़ें: Video: रांची के बेड़ो में संपन्न हुआ करमा मिलन समारोह, आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा के महत्व पर दिया गया जोर
यह भी पढ़ें: रंगारंग प्रस्तुति के साथ आदिवासी युवा महोत्सव का समापन, आदिवासी सभ्यता संस्कृति की दिखी झलक