गया: पितृपक्ष के पांचवें दिन मोक्ष की नगरी गया में ब्रह्म सरोवर महत्व रखता है. ब्रह्म सरोवर में पिंडदान कर काकबलि वेदी पर कुत्ता, कौआ और यम को उड़द के आटे का पिंड बनाकर तर्पण दिया जाता है. काकबलि से बलि देकर आम्र सेचन वेदी के पास आम वृक्ष की जड़ को कुश के सहारे जल दिया जाता है. तीनों वेदियों में प्रमुख वेदी ब्रह्म सरोवर है.
ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में पिंडदान करने से पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. इसके पीछे कथा है कि गयाजी स्थित ब्रह्म सरोवर में यज्ञ करने के बाद ब्रह्मा जी ने स्नान किया था. ब्रह्मा जी ने गयासुर के विशाल शरीर पर यह यज्ञ किया था. चार महीने तक चले इस यज्ञ से गयासुर के शरीर से खंभा निकला, जिसे ब्रह्म यूप कहते हैं.
आम्र वृक्ष का सेचन
इसके बाद से इस सरोवर में श्राद्ध करने से पितरों को तारण और यूप की प्रदक्षिणा करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. गोप्रचार तीर्थ के समीप आम्र वृक्ष रूप तीर्थ है, जिसका सेचन करने से पितर मोक्ष प्राप्त करते हैं.
आम्र सेचन के पीछे की कहानी
आम्र सेचन करते समय यजमान बोले कि सर्व देवमय विष्णु रूप ब्रह्मसर उत्पन्न. आम पेड़ का पितरों की मुक्ति के लिए अच्छी प्रकार से सेचन करते हैं. इस संबंध में यह उक्ति भी प्रसिद्ध है कि एक मुनि हाथ में कुंभ और कुशाग्र लेकर आम्र के जड़ में पानी दे रहे थे, जिससे पितरों की तृप्ति हो रही थी. क्रिया एक है किंतु दो अर्थ में प्रसिद्ध है.
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कागबलि में मौजूद हैं तारक ब्रह्मा
ब्रह्म सरोवर तीर्थ के पास कागबलि तीर्थ है, यह रामशिला के पास के तीर्थ की वेदी भिन्न है. इसमें भी यम श्वान और काक को बलि रूप में पिंड दिए जाते हैं. काकबलि में मूंगदाल या उरद दाल अवश्य दान करना होता है. तत्पश्चात ब्रह्म सरोवर के पास तारक ब्रह्मा का दर्शन कर पांचवें दिन की विधि पूर्ण की जाती है. तारक ब्रह्मा का पितृतारक ब्रह्मा कहते हैं.
रद्द हुआ पितृपक्ष मेला 2020
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस साल विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया है. वर्चुअल (ऑनलाइन) पिंडदान करवाया जा रहा है. इसको लेकर स्थानीय पंडा और पुरोहितों ने विरोध भी दर्ज करवाया है.