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झारखंड बनेगा देश का पहला सर्वाइकल कैंसर मुक्त राज्य, 50 प्रतिशत सदर अस्पतालों में लगायी गयी जांच मशीन

राज्य के 11 सदर अस्पतालों में सर्वाइकल प्री कैंसर की जांच के लिए लगाई गई मशीनों को फिर से उपयोग में लाने के उद्देश्य से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक बैठक आयोजित की. बैठक में सभी 11 सदर अस्पतालों के डॉक्टर और सिविल सर्जन शामिल हुए. मीटिंग में सर्वाइकल प्री कैंसर से बचाव, इलाज के उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई.

IMA and health department meeting
आईएमए और स्वास्थ्य विभाग की बैठक
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Published : Jul 11, 2021, 3:39 PM IST

रांची: राज्य के 11 सदर अस्पतालों में सर्वाइकल प्री कैंसर की जांच के लिए लगाई गई मशीनों को फिर से उपयोग में लाने के उद्देश्य से वीमेन डॉक्टर्स विंग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( IMA ) और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें सभी 11 अस्पतालों के सिविल सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञों, अस्पताल प्रबंधकों और उपाधीक्षक शामिल हुए. वीडियो कान्फ्रेंसिंग से हो रही इस बैठक का उद्देश्य प्रत्येक माह सर्वाइकल प्री कैंसर के क्रायो उपचार का टारगेट फिक्स किया जाना था.

ये भी पढ़ें: रिम्स में भर्ती मरीज अब कम वक्त में ही होंगे स्वस्थ, आखिर कैसे? पढ़ें रिपोर्ट

बैठक में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय

डाक्टरों की इस बैठक में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिंह ने गोड्डा, कोडरमा और दुमका के सिविल सर्जन को अपने दायित्वों के प्रति सजग रहने की सलाह दी और कहा सभी सिविल सर्जन को अब एक्टिव रहना ही होगा. इसी बैठक में मासिक ओपीडी के आधार पर प्रत्येक माह सर्वाइकल प्री कैंसर के उपचार का टारगेट फिक्स किया गया. इसके अलावा 12 और 19 जुलाई को सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञों को मैक्स हॉस्पिटल नई दिल्ली में प्रशिक्षित किए जाने का फैसला किया गया.

क्या है विशेषज्ञों की सलाह?
गायनी-ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट, मैक्स हॉस्पिटल नई दिल्ली की डायरेक्टर डॉक्टर कनिका गुप्ता, जिन्होंने झारखंड के कई सर्वाइकल कैंसर प्रशिक्षण शिविरों में अपना योगदान दिया है, उन्होंने सदर अस्पतालों में प्रत्येक माह सर्वाइकल प्री कैंसर के क्रायो उपचार का टारगेट फिक्स करने में अपने सुझाव दिए. कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान आईएमए झारखंड की महिला विंग की चेयरपर्सन डॉक्टर भारती कश्यप ने भी अपने सुझाव दिए. उन्होंने कहा वीमेन डॉक्टर्स विंग वर्ष 2015 से ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सजग है और इस दिशा में कार्य कर रही है. इन्होंने जागरुकता कार्यक्रम पर जोर दिया.

राज्यपाल के प्रयास से लगी मशीन

डॉक्टर भारती कश्यप ने बताया कि वीमेन डॉक्टर्स विंग ने कई राजनीतिक नेताओं को भी इस विंग से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सर्वाइकल प्री कैंसर की पहचान और उपचार के लिए सदर अस्पताल, साहिबगंज में कंप्यूटर सहित डिजिटल कोल्पोस्कोप, क्रायो सेट और संथाल परगना प्रमंडल अंतर्गत 5 सदर अस्पताल क्रमशः देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा और दुमका में नाइट्रस गैस सिलिंडर सहित क्रायो मशीन स्थापित करवाया. इस दौरान डॉक्टर भारती कश्यप ने बताया कि उन्होंने स्वयं अपनी वित्तीय क्षमता से सदर अस्पताल, रांची में डिजिटल विडियो कोल्स्पोस्कोप और क्रायो मशीन दान किया था.

ये भी पढ़ें: कोरोना की तीसरी लहर से मासूमों को बचाने की विशेष ट्रेनिंग, जानिए राजधानी के अस्पतालों की क्या है तैयारी

सर्वाइकल कैंसर से ऐसे होगा निपटना
डॉ. भारती कश्यप ने बताया कि झारखंड को सर्वाइकल कैंसर से मुक्त राज्य बनाने के लिए सरकारी अस्पतालों में जांच और इलाज की मशीन लगाई जानी चाहिए. स्त्री रोग विशेषज्ञ को जांच और इलाज का प्रशिक्षण दिया जाए. वहीं हर जिला अस्पताल को एक लक्ष्य दिया जाए ताकि वह दूरदराज के इलाकों में कैंप लगाकर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की स्क्रीनिंग करे और जरूरतमंद को हॉस्पिटल लाकर इलाज करे. उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए 9 वर्ष से 26 वर्ष तक की लड़कियों को टीके लगवाए जाने चाहिए. इसके अलावा 21 साल से 65 साल की महिलाओं को समय-समय पर जांच करानी चाहिए. बच्चों की संख्या कम रखें. डॉक्टरों का कहना है कि अगर संबंध बनाते समय रक्त स्राव हो या फिर मासिक धर्म के बीच में रक्त स्राव हो या फिर रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) की अवस्था के बाद रक्त स्राव हो तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.


कैंसर से भारत में हर साल 185 महिलाओं की मौत
डॉ भारती कश्यप के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर से देश में हर साल 67 हजार 477 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है. यानि हर दिन करीब 185 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से जिंदगी खो देती हैं. 15 से 44 साल की लड़कियों महिलाओं में कैंसर से मृत्यु का दूसरा कारण सर्विकल कैंसर है.

रांची: राज्य के 11 सदर अस्पतालों में सर्वाइकल प्री कैंसर की जांच के लिए लगाई गई मशीनों को फिर से उपयोग में लाने के उद्देश्य से वीमेन डॉक्टर्स विंग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( IMA ) और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें सभी 11 अस्पतालों के सिविल सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञों, अस्पताल प्रबंधकों और उपाधीक्षक शामिल हुए. वीडियो कान्फ्रेंसिंग से हो रही इस बैठक का उद्देश्य प्रत्येक माह सर्वाइकल प्री कैंसर के क्रायो उपचार का टारगेट फिक्स किया जाना था.

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बैठक में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय

डाक्टरों की इस बैठक में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अरुण कुमार सिंह ने गोड्डा, कोडरमा और दुमका के सिविल सर्जन को अपने दायित्वों के प्रति सजग रहने की सलाह दी और कहा सभी सिविल सर्जन को अब एक्टिव रहना ही होगा. इसी बैठक में मासिक ओपीडी के आधार पर प्रत्येक माह सर्वाइकल प्री कैंसर के उपचार का टारगेट फिक्स किया गया. इसके अलावा 12 और 19 जुलाई को सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञों को मैक्स हॉस्पिटल नई दिल्ली में प्रशिक्षित किए जाने का फैसला किया गया.

क्या है विशेषज्ञों की सलाह?
गायनी-ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट, मैक्स हॉस्पिटल नई दिल्ली की डायरेक्टर डॉक्टर कनिका गुप्ता, जिन्होंने झारखंड के कई सर्वाइकल कैंसर प्रशिक्षण शिविरों में अपना योगदान दिया है, उन्होंने सदर अस्पतालों में प्रत्येक माह सर्वाइकल प्री कैंसर के क्रायो उपचार का टारगेट फिक्स करने में अपने सुझाव दिए. कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान आईएमए झारखंड की महिला विंग की चेयरपर्सन डॉक्टर भारती कश्यप ने भी अपने सुझाव दिए. उन्होंने कहा वीमेन डॉक्टर्स विंग वर्ष 2015 से ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सजग है और इस दिशा में कार्य कर रही है. इन्होंने जागरुकता कार्यक्रम पर जोर दिया.

राज्यपाल के प्रयास से लगी मशीन

डॉक्टर भारती कश्यप ने बताया कि वीमेन डॉक्टर्स विंग ने कई राजनीतिक नेताओं को भी इस विंग से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सर्वाइकल प्री कैंसर की पहचान और उपचार के लिए सदर अस्पताल, साहिबगंज में कंप्यूटर सहित डिजिटल कोल्पोस्कोप, क्रायो सेट और संथाल परगना प्रमंडल अंतर्गत 5 सदर अस्पताल क्रमशः देवघर, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा और दुमका में नाइट्रस गैस सिलिंडर सहित क्रायो मशीन स्थापित करवाया. इस दौरान डॉक्टर भारती कश्यप ने बताया कि उन्होंने स्वयं अपनी वित्तीय क्षमता से सदर अस्पताल, रांची में डिजिटल विडियो कोल्स्पोस्कोप और क्रायो मशीन दान किया था.

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सर्वाइकल कैंसर से ऐसे होगा निपटना
डॉ. भारती कश्यप ने बताया कि झारखंड को सर्वाइकल कैंसर से मुक्त राज्य बनाने के लिए सरकारी अस्पतालों में जांच और इलाज की मशीन लगाई जानी चाहिए. स्त्री रोग विशेषज्ञ को जांच और इलाज का प्रशिक्षण दिया जाए. वहीं हर जिला अस्पताल को एक लक्ष्य दिया जाए ताकि वह दूरदराज के इलाकों में कैंप लगाकर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की स्क्रीनिंग करे और जरूरतमंद को हॉस्पिटल लाकर इलाज करे. उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए 9 वर्ष से 26 वर्ष तक की लड़कियों को टीके लगवाए जाने चाहिए. इसके अलावा 21 साल से 65 साल की महिलाओं को समय-समय पर जांच करानी चाहिए. बच्चों की संख्या कम रखें. डॉक्टरों का कहना है कि अगर संबंध बनाते समय रक्त स्राव हो या फिर मासिक धर्म के बीच में रक्त स्राव हो या फिर रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) की अवस्था के बाद रक्त स्राव हो तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.


कैंसर से भारत में हर साल 185 महिलाओं की मौत
डॉ भारती कश्यप के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर से देश में हर साल 67 हजार 477 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है. यानि हर दिन करीब 185 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से जिंदगी खो देती हैं. 15 से 44 साल की लड़कियों महिलाओं में कैंसर से मृत्यु का दूसरा कारण सर्विकल कैंसर है.

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