रांची: जिले के बूटी मोड़ के करोड़ों की जमीन के विवाद के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद चंपई सोरेन की ओर से दिए गए आदेश पर रोक लगा दिया गया है. साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को 6 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है. राज्य सरकार का जवाब देने के बाद मामले में आगे सुनवाई की जाएगी.
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6 सप्ताह में जवाब पेश के आदेश
झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीश दीपक रोशन की अदालत में राजधानी रांची के बूटी मोड़, मेडिका के सामने के करोड़ों की जमीन विवाद को लेकर हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार के मंत्री चंपई सोरेन की ओर से दिए गए आदेश पर तत्काल रोक लगा दिया है. साथ ही राज्य सरकार को 6 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.
2018 में रांची सिविल कोर्ट में टाइटल सूट किया दायर
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने अदालत को जानकारी दी कि, यह जमीन 1960 में फिरायालाल परिवार के जीवनलाल मलिक के नाम से खरीदा गया है. उसके बाद इस पर जबरन कब्जा किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जमीन का मालिक सोमरा पाहन ने 1991 में केस दायर किया. उनका दामाद शुकरा पाहन भी इस जमीन को लेकर एक एस.आर केस किया था, लेकिन उसके केस को हाईकोर्ट से खारिज कर दिया गया था. जमीन के ट्रांसफर को सही बताया गया था. उसके बाद जमीन का रसीद भी कटाया गया. सोमरा पाहन फिर से इस मामले में 2018 में रांची सिविल कोर्ट में टाइटल सूट दायर किया. वह केस चल ही रहा है, फिर उसका बेटा संजय पाहन ने 2020 में राज्य सरकार के पास आवेदन दिया, एक ही मामले में दो जगह केस कैसे चल सकता है, ऐसे में राज्य सरकार का यह आदेश गलत है. इसीलिए इसे निरस्त किया जाए. जिस पर अदालत ने आदेश पर रोक लगाते हुए, राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है.
क्या है मामला
साल 1960 में फिरायालाल परिवार ने यह जमीन खरीदा था. उसके बाद कई साल बीत जाने के बाद समरा पाहन अपने को जमीन का मालिक बताते हुए केस किया. वह केस हाई कोर्ट में खारिज कर दिया गया. उसके बाद फिर उसके बेटे संजय पाहन ने मुख्यमंत्री के पास आवेदन दिया कि, उन्हें पता नहीं था कि सीएनटी की धारा 49 के तहत उनकी जमीन ट्रांसफर की गई है. उनकी शिकायत पर मुख्यमंत्री ने झारखंड सरकार के कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को एप्लीऐंट अथॉरिटी बनाते हुए, मामले पर सुनवाई करने का निर्देश दिया. उसके बाद चंपई सोरेन ने मामले की सुनवाई की. सीएनटी की धारा 49 के तहत जो जमीन ट्रांसफर किया गया था. उसे गलत बताते हुए ट्रांसफर को निरस्त करने का आदेश दिया. जमीन के मालिक पर एफ.आई.आर दर्ज करने का भी निर्देश दिया. मंत्री के इस आदेश को याचिकाकर्ता प्रकाश मुंजल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उसी याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने मंत्री के आदेश पर रोक लगा दिया है. साथ ही राज्य सरकार को 6 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.