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भूख से मौत मामले पर हाई कोर्ट सख्त, अदालत ने ली सरकार की क्लास - भूख से मौत भारत में

झारखंड में भूख से मौत मामले पर हाई कोर्ट सख्त हो गया है. जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान डबल बेंच ने सरकार से पूछा कि लोगों तक कल्याणकारी योजनाएं क्यों नहीं पहुंच रहीं.

High court on starvation death case in Jharkhand
भूख से मौत मामले पर हाई कोर्ट सख्त
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Published : Dec 11, 2021, 7:39 PM IST

Updated : Dec 11, 2021, 8:09 PM IST

रांची: भूख से मौत मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए सरकार से पूछा कि कल्याणकारी योजनाएं राज्य के गरीब जरूरतमंद तक क्यों नहीं पहुंच पाती हैं? गरीबों को योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिल रहा.

ये भी पढ़ें-Privatization of Banks: 16 और 17 दिसंबर को देश भर में बैंककर्मियों का हड़ताल, बंद रहेंगे बैंक

अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरा सरकार से पूछा कि समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जब पहुंच ही नहीं रहा है तो ऐसी योजनाएं किस काम की? क्या सरकार की ये योजनाएं महज कागज पर ही चल रही हैं? धरातल पर क्यों नहीं पहुंच पा रही हैं? इसके लिए राज्य सरकार क्या कर रहा है? जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए सरकार का क्या मेकैनिज्म है? झारखंड हाई कोर्ट ने इन बिंदुओं पर विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी.

देखें पूरी खबर

झारखंड हाई कोर्ट के सवाल

अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में भूख से मौत मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान झालसा ने भी कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश किया. रिपोर्ट को देखने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई. अदालत ने अफसरों से पूछा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं. इतनी कल्याणकारी योजनाओं के बाद भी गरीब और जरूरतमंदों के पास योजनाओं का लाभ क्यों नहीं पहुंच पा रहा है. क्या यह महज कागजी योजनाएं हैं?

अदालत ने पूछा कि इतने योजनाओं के बावजूद भी आज के समय में लोग आदिम युग में क्यों जीने को मजबूर हैं. राशन से संबंधित कई योजना होने के बाद भी जरूरतमंदों को समय पर राशन क्यों नहीं मिल रहा है. राशन के लिए कई किलोमीटर पैदल क्यों जाना पड़ता है. सुदूर जंगल में रहने वाले लोग लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन करें, यह सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है.

अदालत ने लिया था स्वतः संज्ञान

बता दें कि भूख से मौत की खबर स्थानीय मीडिया में आने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था. इस मामले को जनहित याचिका में बदलकर सुनवाई करने का निर्देश दिया था. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व में अदालत ने राज्य सरकार और झालसा से रिपोर्ट पेश करने को कहा था. झालसा की रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है.

रांची: भूख से मौत मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए सरकार से पूछा कि कल्याणकारी योजनाएं राज्य के गरीब जरूरतमंद तक क्यों नहीं पहुंच पाती हैं? गरीबों को योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिल रहा.

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अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरा सरकार से पूछा कि समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जब पहुंच ही नहीं रहा है तो ऐसी योजनाएं किस काम की? क्या सरकार की ये योजनाएं महज कागज पर ही चल रही हैं? धरातल पर क्यों नहीं पहुंच पा रही हैं? इसके लिए राज्य सरकार क्या कर रहा है? जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए सरकार का क्या मेकैनिज्म है? झारखंड हाई कोर्ट ने इन बिंदुओं पर विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी.

देखें पूरी खबर

झारखंड हाई कोर्ट के सवाल

अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में भूख से मौत मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान झालसा ने भी कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश किया. रिपोर्ट को देखने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई. अदालत ने अफसरों से पूछा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं. इतनी कल्याणकारी योजनाओं के बाद भी गरीब और जरूरतमंदों के पास योजनाओं का लाभ क्यों नहीं पहुंच पा रहा है. क्या यह महज कागजी योजनाएं हैं?

अदालत ने पूछा कि इतने योजनाओं के बावजूद भी आज के समय में लोग आदिम युग में क्यों जीने को मजबूर हैं. राशन से संबंधित कई योजना होने के बाद भी जरूरतमंदों को समय पर राशन क्यों नहीं मिल रहा है. राशन के लिए कई किलोमीटर पैदल क्यों जाना पड़ता है. सुदूर जंगल में रहने वाले लोग लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन करें, यह सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है.

अदालत ने लिया था स्वतः संज्ञान

बता दें कि भूख से मौत की खबर स्थानीय मीडिया में आने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था. इस मामले को जनहित याचिका में बदलकर सुनवाई करने का निर्देश दिया था. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व में अदालत ने राज्य सरकार और झालसा से रिपोर्ट पेश करने को कहा था. झालसा की रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है.

Last Updated : Dec 11, 2021, 8:09 PM IST
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