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झारखंड की नई थोक शराब नीति पर उच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित - High court news

झारखंड की नई थोक शराब नीति पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है.

High court on Jharkhand new wholesale liquor policy verdict reserved
झारखंड की नई थोक शराब नीति पर उच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
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Published : Dec 24, 2021, 11:40 AM IST

Updated : Dec 24, 2021, 12:23 PM IST

रांची: झारखंड की नई थोक शराब नीति पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में हुई सुनवाई में नई थोक शराब नीति पर झारखंड हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

ये भी पढ़ें-चाईबासा में बाबूलाल मरांडी ने सीता सोरेन के बहाने हेमंत पर साधा निशाना, कहा-सरकार में अंतर्कलह

दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट में राज्य सरकार की नई थोक शराब नीति को चुनौती दी गई है. नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में सभी पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश की. अदालत ने सभी की दलीलों को सुना और सुनवाई की सभी प्रक्रिया को पूरा कराया. इसके बाद अदालत ने झारखंड की नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. अब सभी पक्षों की नजर अदालत के फैसले पर टिकी हुई है.

देखें पूरी खबर

सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है मामला!

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई थोक शराब नीति में किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोप गलत और निराधार हैं. टेंडर से पहले गजट में प्रकाशन की बाध्यता नहीं है. वहीं इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले अन्य पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी महाधिवक्ता की इस दलील पर अपनी स्वीकृति दी और कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई शराब नीति सही है. नियम संगत है. कई अधिवक्ताओं का मानना है कि यह विवाद शायद सुप्रीम कोर्ट तक जाय.

इनकी यह दलील

इधर, नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका के याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार की इस दलील का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार की नई थोक शराब नीति में कई खामियां हैं. यह शराब नीति नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रविधानों का पालन नहीं किया गया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत बनने वाली नई नियमावली से पहले उस पर आपत्ति मांगा जाना अनिवार्य है. आपत्ति को समाहित करते हुए उसे कैबिनेट को भेजा जाता है. वहां से सहमति मिलने पर नियमावली की अधिसूचना जारी की जाती है. लेकिन सरकार ने आपत्ति मंगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं है.

इनकी यह राय

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत पहले ही एक नियमावली बनी है. ऐसे में जब तक उस नियमावली को हटाया नहीं जाता है, तब तक नई नियमावली नहीं बनाई जा सकती है. इसलिए इस शराब नीति को रद्द कर देनी चाहिए. फिर से शराब नीति बनाई जानी चाहिए.

यह है मामला

बता दें कि याचिका झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अचिंत्य साव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से थोक शराब बिक्री के लिए बनाई गई नई नियमावली नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रविधानों का पालन नहीं किया गया है. अदालत से नई नियमावली को निरस्त करने की मांग की गई है.

रांची: झारखंड की नई थोक शराब नीति पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में हुई सुनवाई में नई थोक शराब नीति पर झारखंड हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

ये भी पढ़ें-चाईबासा में बाबूलाल मरांडी ने सीता सोरेन के बहाने हेमंत पर साधा निशाना, कहा-सरकार में अंतर्कलह

दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट में राज्य सरकार की नई थोक शराब नीति को चुनौती दी गई है. नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में सभी पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश की. अदालत ने सभी की दलीलों को सुना और सुनवाई की सभी प्रक्रिया को पूरा कराया. इसके बाद अदालत ने झारखंड की नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. अब सभी पक्षों की नजर अदालत के फैसले पर टिकी हुई है.

देखें पूरी खबर

सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है मामला!

झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य रमन ने बताया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई थोक शराब नीति में किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोप गलत और निराधार हैं. टेंडर से पहले गजट में प्रकाशन की बाध्यता नहीं है. वहीं इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले अन्य पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी महाधिवक्ता की इस दलील पर अपनी स्वीकृति दी और कहा कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई शराब नीति सही है. नियम संगत है. कई अधिवक्ताओं का मानना है कि यह विवाद शायद सुप्रीम कोर्ट तक जाय.

इनकी यह दलील

इधर, नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका के याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार की इस दलील का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार की नई थोक शराब नीति में कई खामियां हैं. यह शराब नीति नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रविधानों का पालन नहीं किया गया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत बनने वाली नई नियमावली से पहले उस पर आपत्ति मांगा जाना अनिवार्य है. आपत्ति को समाहित करते हुए उसे कैबिनेट को भेजा जाता है. वहां से सहमति मिलने पर नियमावली की अधिसूचना जारी की जाती है. लेकिन सरकार ने आपत्ति मंगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं है.

इनकी यह राय

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत पहले ही एक नियमावली बनी है. ऐसे में जब तक उस नियमावली को हटाया नहीं जाता है, तब तक नई नियमावली नहीं बनाई जा सकती है. इसलिए इस शराब नीति को रद्द कर देनी चाहिए. फिर से शराब नीति बनाई जानी चाहिए.

यह है मामला

बता दें कि याचिका झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अचिंत्य साव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से थोक शराब बिक्री के लिए बनाई गई नई नियमावली नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रविधानों का पालन नहीं किया गया है. अदालत से नई नियमावली को निरस्त करने की मांग की गई है.

Last Updated : Dec 24, 2021, 12:23 PM IST
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