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रिम्स की लचर व्यवस्था पर हाईकोर्ट नाराज, स्वास्थ्य सचिव को किया तलब, मांगा जवाब - The Court Expressed Strong Displeasure

रिम्स की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने के मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें हाईकोर्ट ने चतुर्थवर्गीय कर्मचारी की आउटसोर्सिंग से नियुक्ति निकाले जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की (High Court Angry For Poor System of RIMS) है.

Jharkhand High Court
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Published : Nov 23, 2022, 5:29 PM IST

रांची: रिम्स की लचर व्यवस्था को ठीक करने के मामले में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी रिम्स में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी की आउटसोर्सिंग से नियुक्ति पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की (The Court Expressed Strong Displeasure) है. अदालत ने मामले में स्वास्थ्य सचिव को तलब कर जवाब मांगा है. 29 नवंबर को उन्हें हाजिर होकर यह बताने को कहा है जब नियुक्ति से संबंधित मामला कोर्ट में लंबित है, तब सरकार चतुर्थवर्गीय की नियमित नियुक्ति नहीं होने तक बाहरी स्रोतों से नियुक्ति किए जाने का आदेश कैसे दे दिया है.

ये भी पढ़ें- रिम्स की लचर व्यवस्था पर झारखंड हाई कोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कहा सभी व्यवस्था ध्वस्त

मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगीः रिम्स के डायरेक्टर से पूछा गया है कि आपने सरकार के इस संबंध में दिशा-निर्देश क्यों मांगा, जबकि मामला कोर्ट में लंबित है. क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को तय की गई है. तब तक के लिए सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है.

मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई सुनवाईः झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कई गंभीर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि रिम्स के डायरेक्टर ऐसे व्यक्ति को होना चाहिए जो प्रशासनिक व्यवस्था ठीक कर सके.

रिम्स प्रबंधन पर अदालत ने नाराजगी जताईः अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि जब नियमित नियुक्ति संबंधी याचिका हाईकोर्ट में लंबित है. तब किस नियम के तहत रिम्स प्रबंधन ने झारखंड सरकार से आउटसोर्सिंग से नियुक्ति (Recruitment of Fourth Class Employee) करने संबंधी दिशा निर्देश मांगा, और सरकार ने किस नियम के तहत इस तरह का आदेश दिया.


रिम्स की लचर व्यवस्था के खिलाफ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया थाः बता दें कि रिम्स की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में बदलकर मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था. उसी याचिका और उससे जुड़े अन्य कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई.

रांची: रिम्स की लचर व्यवस्था को ठीक करने के मामले में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी रिम्स में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी की आउटसोर्सिंग से नियुक्ति पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की (The Court Expressed Strong Displeasure) है. अदालत ने मामले में स्वास्थ्य सचिव को तलब कर जवाब मांगा है. 29 नवंबर को उन्हें हाजिर होकर यह बताने को कहा है जब नियुक्ति से संबंधित मामला कोर्ट में लंबित है, तब सरकार चतुर्थवर्गीय की नियमित नियुक्ति नहीं होने तक बाहरी स्रोतों से नियुक्ति किए जाने का आदेश कैसे दे दिया है.

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मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगीः रिम्स के डायरेक्टर से पूछा गया है कि आपने सरकार के इस संबंध में दिशा-निर्देश क्यों मांगा, जबकि मामला कोर्ट में लंबित है. क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को तय की गई है. तब तक के लिए सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है.

मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई सुनवाईः झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कई गंभीर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि रिम्स के डायरेक्टर ऐसे व्यक्ति को होना चाहिए जो प्रशासनिक व्यवस्था ठीक कर सके.

रिम्स प्रबंधन पर अदालत ने नाराजगी जताईः अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि जब नियमित नियुक्ति संबंधी याचिका हाईकोर्ट में लंबित है. तब किस नियम के तहत रिम्स प्रबंधन ने झारखंड सरकार से आउटसोर्सिंग से नियुक्ति (Recruitment of Fourth Class Employee) करने संबंधी दिशा निर्देश मांगा, और सरकार ने किस नियम के तहत इस तरह का आदेश दिया.


रिम्स की लचर व्यवस्था के खिलाफ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया थाः बता दें कि रिम्स की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में बदलकर मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था. उसी याचिका और उससे जुड़े अन्य कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई.

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