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बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर मामले पर हुई सुनवाई, 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति पेश करने का निर्देश - रांची न्यूज

बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर केस में सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को क्लीट चीट देने की सीबीआई जांच की आग्रह याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति पेश करने का निर्देश दिया.

Barharwa toll plaza tender case
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jan 17, 2023, 9:49 PM IST

रांची: सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को साहिबगंज जिले के बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर केस में बरहरवा थाना में दर्ज केस में 24 घंटे में क्लीन चिट देने के मामले की सीबीआई जांच का आग्रह करने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. 17 जनवरी को अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति पेश करने का निर्देश दिया है, मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की गई है.

ये भी पढ़ें: हाई कोर्ट के पास वाली सड़क हुई जाम, नाराज अदालत ने ट्रैफिक एसपी को किया तलब


झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में याचिकाकर्ता शंभू नंदन कुमार की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत को जानकारी दी कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है उस याचिका पर सुनवाई के उपरांत सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. प्रार्थी के अधिवक्ता ने सरकारी अधिवक्ता के इस दलील का विरोध किया. उन्होंने कहा कि आदेश की प्रति दिखाई जाए. अदालत ने भी जानना चाहा कि क्या आदेश पारित हुआ है. दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है.


पूर्व में मामले में सुनवाई के दौरान संबंधित पक्षों को सुनने के उपरांत कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को प्रतिवादी बनाने की अनुमति दी थी. ईडी को इससे संबंधित एविडेंस रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश कोर्ट ने दिया था. हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाई गई है.


क्या है पूरा मामला: बता दें कि साहिबगंज के बरहरवा थाना में टोल प्लाजा टेंडर विवाद में शंभू नंदन कुमार ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसमें पंकज मिश्रा पर टेंडर में भाग नहीं लेने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था. पंकज ने टेलिफोनिक धमकी दी थी, लेकिन पुलिस ने उसके वॉइस रिकॉर्ड की फॉरेंसिक जांच नहीं कराई थी. साथ ही आधे घंटे में 14 गवाहों का बयान लेकर पुलिस ने मामले में पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को क्लीन चिट दे दी थी. प्रार्थी की ओर से आरोप लगाया गया है कि मामले में जांच को प्रभावित करने के लिए इन दोनों को क्लीन चिट दी गई है, प्रार्थी ने इसकी सीबीआई जांच कराने का आग्रह किया है. मामले को लेकर बरहरवा साहिबगंज थाना कांड संख्या 85/2020 दर्ज कराई गई थी. निचली अदालत ने भी मामले में ट्रायल पर रोक लगाई है.

रांची: सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को साहिबगंज जिले के बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर केस में बरहरवा थाना में दर्ज केस में 24 घंटे में क्लीन चिट देने के मामले की सीबीआई जांच का आग्रह करने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. 17 जनवरी को अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति पेश करने का निर्देश दिया है, मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की गई है.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में याचिकाकर्ता शंभू नंदन कुमार की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने अदालत को जानकारी दी कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है उस याचिका पर सुनवाई के उपरांत सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. प्रार्थी के अधिवक्ता ने सरकारी अधिवक्ता के इस दलील का विरोध किया. उन्होंने कहा कि आदेश की प्रति दिखाई जाए. अदालत ने भी जानना चाहा कि क्या आदेश पारित हुआ है. दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है.


पूर्व में मामले में सुनवाई के दौरान संबंधित पक्षों को सुनने के उपरांत कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को प्रतिवादी बनाने की अनुमति दी थी. ईडी को इससे संबंधित एविडेंस रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश कोर्ट ने दिया था. हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाई गई है.


क्या है पूरा मामला: बता दें कि साहिबगंज के बरहरवा थाना में टोल प्लाजा टेंडर विवाद में शंभू नंदन कुमार ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसमें पंकज मिश्रा पर टेंडर में भाग नहीं लेने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था. पंकज ने टेलिफोनिक धमकी दी थी, लेकिन पुलिस ने उसके वॉइस रिकॉर्ड की फॉरेंसिक जांच नहीं कराई थी. साथ ही आधे घंटे में 14 गवाहों का बयान लेकर पुलिस ने मामले में पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम को क्लीन चिट दे दी थी. प्रार्थी की ओर से आरोप लगाया गया है कि मामले में जांच को प्रभावित करने के लिए इन दोनों को क्लीन चिट दी गई है, प्रार्थी ने इसकी सीबीआई जांच कराने का आग्रह किया है. मामले को लेकर बरहरवा साहिबगंज थाना कांड संख्या 85/2020 दर्ज कराई गई थी. निचली अदालत ने भी मामले में ट्रायल पर रोक लगाई है.

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