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मेडिकल में नामांकन मामले में दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने जेसीईसीई से मांगा जवाब

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में मेडिकल कॉलेज में नामांकन का लाभ 2 राज्यों से लेने वाले अभ्यर्थियों के नामांकन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है.

Hearing on petition filed in medical enrollment case in Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Dec 9, 2020, 7:35 PM IST

रांची: बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में आवासीय प्रमाण पत्र का लाभ लेने वाले 35 विद्यार्थियों के मेडिकल में नामांकन पर रोक लगाने को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.

देखें पूरी खबर
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में मेडिकल कॉलेज में नामांकन का लाभ 2 राज्यों से लेने वाले अभ्यर्थियों के नामांकन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद को जवाब पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के ओर से अदालत को बताया गया कि, कुछ अभ्यर्थी बिहार और झारखंड दोनों राज्यों का आवासीय प्रमाण पत्र बनवाकर मेडिकल के नामांकन में लाभ ले रहे हैं, जो गलत है, जिस पर अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए परिषद को इस बिंदु पर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है.इसे भी पढे़ं: वनों की कटाई के खिलाफ कार्रवाई से हुई थी बीडीओ की हत्या, तत्कालीन एसपी अरविंद पांडेय पर हुई कार्रवाई


याचिकाकर्ता विवेक कुमार के अधिवक्ता रश्मि ने अदालत को बताया नीट की ओर से मेडिकल में नामांकन को लेकर परीक्षा आयोजित की गई, नीट एप्लीकेशन नंबर से जांच करने पर पता चला है कि बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र का लाभ लेने वाले 35 स्टूडेंट ने झारखंड कोटे में भी नामांकन को लेकर यहां का आवासीय प्रमाण पत्र संलग्न किया है, जिनकी काउंसलिंग भी हो चुकी है, कोई भी स्टूडेंट 2 राज्यों में एक साथ आवासीय प्रमाण पत्र का लाभ नहीं ले सकते हैं, नियम में भी है. उन्होंने कहा कि बिहार के आवसीय प्रमाण पत्र वाले ऐसे छात्रों का नामांकन झारखंड कोटे में होता है, तो झारखंड के छात्रों उपेक्षित हो जाएगा. वहीं बिहार के अभ्यर्थी दोहरा फायदा उठाएंगे. ऐसे में दोहरा लाभ लेने वाले विद्यार्थियों के नामांकन पर रोक लगाई जाए. उसी पर अदालत ने परिषद को जवाब पेश करने को कहा है.

रांची: बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में आवासीय प्रमाण पत्र का लाभ लेने वाले 35 विद्यार्थियों के मेडिकल में नामांकन पर रोक लगाने को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में मेडिकल कॉलेज में नामांकन का लाभ 2 राज्यों से लेने वाले अभ्यर्थियों के नामांकन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद को जवाब पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के ओर से अदालत को बताया गया कि, कुछ अभ्यर्थी बिहार और झारखंड दोनों राज्यों का आवासीय प्रमाण पत्र बनवाकर मेडिकल के नामांकन में लाभ ले रहे हैं, जो गलत है, जिस पर अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए परिषद को इस बिंदु पर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है.इसे भी पढे़ं: वनों की कटाई के खिलाफ कार्रवाई से हुई थी बीडीओ की हत्या, तत्कालीन एसपी अरविंद पांडेय पर हुई कार्रवाई


याचिकाकर्ता विवेक कुमार के अधिवक्ता रश्मि ने अदालत को बताया नीट की ओर से मेडिकल में नामांकन को लेकर परीक्षा आयोजित की गई, नीट एप्लीकेशन नंबर से जांच करने पर पता चला है कि बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र का लाभ लेने वाले 35 स्टूडेंट ने झारखंड कोटे में भी नामांकन को लेकर यहां का आवासीय प्रमाण पत्र संलग्न किया है, जिनकी काउंसलिंग भी हो चुकी है, कोई भी स्टूडेंट 2 राज्यों में एक साथ आवासीय प्रमाण पत्र का लाभ नहीं ले सकते हैं, नियम में भी है. उन्होंने कहा कि बिहार के आवसीय प्रमाण पत्र वाले ऐसे छात्रों का नामांकन झारखंड कोटे में होता है, तो झारखंड के छात्रों उपेक्षित हो जाएगा. वहीं बिहार के अभ्यर्थी दोहरा फायदा उठाएंगे. ऐसे में दोहरा लाभ लेने वाले विद्यार्थियों के नामांकन पर रोक लगाई जाए. उसी पर अदालत ने परिषद को जवाब पेश करने को कहा है.

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