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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन पट्टा मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई टली, अगले सप्ताह हो सकती है सुनवाई

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते हुए खनन पट्टा लेने के आरोप में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी है. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत नहीं बैठने के कारण सुनवाई नहीं हुई.

JHARKHAND HIGH COURT
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : May 6, 2022, 11:07 AM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते हुए खनन पट्टा लेने के आरोप में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत नहीं बैठने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. पूर्व में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत में खनन पट्टा अपने नाम लेने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री और खनन विभाग के भी मंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए साथ ही साथ खनन मंत्री होते हुए खनन पट्टा अपने नाम करने को लेकर याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. उस याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई थी. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा था. अदालत ने इस मामले की विस्तृत बिंदुवार अद्यतन जानकारी अदालत में पेश करने को कहा था. अब देखना होगा कि उनकी तरफ से क्या कुछ जवाब आया है अदालत अब इस जवाब को देखने के उपरांत क्या कुछ आदेश देता है.

ये भी पढ़ें:- झारखंड हाई कोर्ट में खनन पट्टा मामले की होगी सुनवाई, सीएम हेमंत सोरेन देंगे जवाब

हाईकोर्ट में दायर हुआ था PIL: बता दें कि कि कुछ दिनों पहले सीएम हेमंत सोरेन के नाम पत्थर खदान का पट्टा एलॉट होने का मामला सामने आया था. इस मामले में हाइकोर्ट में पीआइएल दाखिल हुआ था. कोर्ट ने इस मामले पर महाधिवक्ता से भी जवाब तलब करने का आदेश दिया है. मालूम हो कि झारखंड हाइकोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के किलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआइएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री औऱ वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया था और खनन पट्टा हासिल किया है. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच करायी जाये. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी. प्रार्थी ने हाइकोर्ट से मांग की थी कि अदालत राज्यपाल को यह निर्देश दे कि वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने के खिलाफ प्राथमिकी के लिए अभियोजन स्वीकृति प्रदान करें.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते हुए खनन पट्टा लेने के आरोप में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत नहीं बैठने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. पूर्व में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत में खनन पट्टा अपने नाम लेने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री और खनन विभाग के भी मंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए साथ ही साथ खनन मंत्री होते हुए खनन पट्टा अपने नाम करने को लेकर याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. उस याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई थी. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा था. अदालत ने इस मामले की विस्तृत बिंदुवार अद्यतन जानकारी अदालत में पेश करने को कहा था. अब देखना होगा कि उनकी तरफ से क्या कुछ जवाब आया है अदालत अब इस जवाब को देखने के उपरांत क्या कुछ आदेश देता है.

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हाईकोर्ट में दायर हुआ था PIL: बता दें कि कि कुछ दिनों पहले सीएम हेमंत सोरेन के नाम पत्थर खदान का पट्टा एलॉट होने का मामला सामने आया था. इस मामले में हाइकोर्ट में पीआइएल दाखिल हुआ था. कोर्ट ने इस मामले पर महाधिवक्ता से भी जवाब तलब करने का आदेश दिया है. मालूम हो कि झारखंड हाइकोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के किलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पीआइएल दाखिल किया था. प्रार्थी की ओर से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री, मुख्यमंत्री औऱ वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया था और खनन पट्टा हासिल किया है. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच करायी जाये. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी कोर्ट से की थी. प्रार्थी ने हाइकोर्ट से मांग की थी कि अदालत राज्यपाल को यह निर्देश दे कि वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने के खिलाफ प्राथमिकी के लिए अभियोजन स्वीकृति प्रदान करें.

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