रांची: लालू प्रसाद यादव को खुली हवा में सांस लेने के लिए अभी इंतजार करना होगा. सीबीआई ने अदालत से काउंटर एफिडेविट फाइल करने के लिए वक्त की मांग की है. मामले की अगली सुनवाई की तिथि 22 नवंबर निर्धारित की गई है.
कोर्ट पर टिकी थी नजरें
दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में हुई. इस सुनवाई पर लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार और उनके समर्थकों की नजरें सवेरे से ही कोर्ट पर टिकी हुई थी. इसे लेकर हाई कोर्ट परिसर में सवेरे से ही कई समर्थक भी पहुंचे हुए थे और उन्हें उम्मीद थी कि लालू यादव को हाई कोर्ट से जमानत मिल जाएगी, लेकिन इस सुनवाई के बाद समर्थकों में थोड़ी निराशा जरूर देखने को मिली.
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खुली हवा में सांस लेने का है इंतजार
समर्थकों का कहना हैं कि न्यायालय पर पूरा भरोसा है और अगली तारीख को जब सुनवाई होगी तो लालू यादव को जमानत मिलेगी. बता दें कि लालू प्रसाद यादव को खुली हवा में सांस लेने का इंतजार लंबा होता जा रहा है. अगर दुमका मामले में शुक्रवार को उनहें जमानत मिल भी जाती तो आरसी 68a/96 चाईबासा कोषागार मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को जेल में ही रहना पड़ता.
देवघर कोषागार मामले में राहत
लालू प्रसाद यादव को पूर्व में भी झारखंड हाई कोर्ट से देवघर कोषागार मामले में जमानत मिल चुकी है. इस मामले में लालू प्रसाद यादव ने सजा की आधी अवधि काटने को लेकर जमानत याचिका दायर की थी, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाई कोर्ट से जमानत की मांग की थी. हाई कोर्ट ने देवघर कोषागार मामले में उन्हें राहत दी है. इधर, दुमका मामले में लालू प्रसाद यादव को रांची के सीबीआई कोर्ट ने 7-7 साल की सजा सुनाई है.
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30-30 लाख रुपये का लगा था जुर्माना
बता दें कि 24 मार्च 2018 को दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ रुपए की अवैध निकासी मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई है, साथ ही 30-30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव ने झारखंड हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है और उन्होंने गंभीर बीमारियों का हवाला दिया है.