रांची: झारखंड विधानसभा में प्रोन्नति घोटाला मामले में बुधवार को झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत में सुनवाई हुई. मामले में विधानसभा की ओर से अधिवक्ता ने बहस पूरी की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने भी अपनी बहस पूरी कर ली है. दोनों पक्षों के बहस पूरी होने के उपरांत अदालत ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया है, अब अदालत को इस मामले में फैसला सुनाना है.
झारखंड विधानसभा प्रोन्नति घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट में 6 साल बाद सुनवाई पूरी हो गई है. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मोती कुमार पासवान की ओर से अदालत को बताया गया कि विधानसभा में चहते को प्रोन्नति देने के लिए प्रोन्नति के नियम में बदलाव किया गया है, जो कि गलत है. उनका कहना है कि पूर्व की भांति ही विधानसभा कर्मचारियों को प्रोन्नति दी जानी चाहिए थी, लेकिन विधानसभा ने नियम में संशोधित कर प्रोन्नति दिया गया. इस तरह की बदलाब गलत हैं.
वहीं, विधानसभा के वकील की ओर से कहा गया कि प्रोन्नति में 50 प्रतिशत सीधे प्रोन्नति दी गई है. साथ ही 50 प्रतिशत सहायक को सेक्शन ऑफिसर के पद पर प्रोन्नति के लिए सीमित परीक्षा के माध्यम से प्रोन्नति देने की बात कही गई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि याचिकाकर्ता परीक्षा में भाग लिए, लेकिन परीक्षा में जब वे सफल नहीं हो पाए तब उन्होंने नियम का हवाला देकर अदालत में याचिका दायर किया है, जो कि गलत है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत आदेश सुरक्षित रख लिया है.
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बता दें कि साल 2014 में विधानसभा सहायक की विभागीय परीक्षा ली गई थी. विभागीय परीक्षा के उपरांत विधानसभा के 50 प्रतिशत सहायकों को सीधे प्रोन्नति का लाभ देते हुए सेक्शन ऑफिसर के पद पर प्रोन्नत किया गया था. मार्च 2014 में ही 50 फीसदी सेक्शन ऑफिसर के पद पर प्रोन्नति के लिए विधानसभा कर्मियों की प्रोन्नति के नियमावली में संशोधन कर सीमित प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन किया गया था. विधानसभा की ओर से नियमों में किए गए संशोधन को मोती कुमार पासवान ने चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी अपनी दलील पूरी कर ली. अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया है.