रांची: विधायक सरयू राय द्वारा समय-समय पर उठाए गए चर्चित शाह ब्रदर्स (Shah Brothers) से जुड़े याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. याचिकाकर्ता ने सरकार के द्वारा दिए गए जवाब पर अपना प्रत्युत्तर पेश करने के लिए समय की मांग की. अदालत ने प्रार्थी के आग्रह को स्वीकार करते हुए उन्हें प्रतिउत्तर पेश करने के लिए समय दिया. साथ ही मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है.
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जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस एके चौधरी की अदालत मे इस मामले पर सुनवाई की गई. अदालत के पूर्व के आदेश के आलोक में राज्य सरकार ने जवाब पेश किया. जवाब की प्रति सभी पक्षों को नहीं दिया गया था. जिस पर सभी पक्षों ने अदालत से जवाब की प्रति उपलब्ध करवाने का आग्रह किया. सरकार की ओर से सभी को जवाब का प्रति उपलब्ध कराया गया.
सुनवाई के दौरान नियमों का पालन नहीं करने का आरोप
वेकेशन कोर्ट में सुनवाई में नियमों का पालन नहीं किए जाने की शिकायत करते हुए हाई कोर्ट के अधिवक्ता राम सुभग सिंह और इस मामले में भूमि अधिग्रहण विस्थापन एवं पुनर्वास किसान समिति की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि शाह ब्रदर्स के लीज से संबंधित मामलों में वेकेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया है. इसलिए इस मामले में एकलपीठ के आदेश और सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर रोक लगा देनी चाहिए. प्रार्थियों का कहना है कि वेकेशन कोर्ट में अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई किए जाने का ही प्रावधान किया गया था. आमतौर पर वेकेशन कोर्ट में आपारधिक और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है.
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शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज सरकार ने किया था रद्द
शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज सरकार ने रद्द कर दिया था. यह मामला ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले भी सूचीबद्ध था और उसपर सुनवाई भी हो रही थी. लेकिन ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान वेकेशन बेंच में यह मामला मेंशन किया गया. इसमें सहमति भी मिल गई और सुनवाई भी कर ली गई. शाह ब्रदर्स ने याचिका दायर कर लीज नवीकरण करने और खनन के दौरान जमा खनिज पदार्थों के ले जाने की अनुमति मांगी थी. शाह ब्रदर्स की ओर से बताया गया था कि सरकार ने लीज रद्द करने का जो नोटिस दिया है, उसमें उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है.
प्रार्थी का आरोप
वेकेशन कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद सरकार के पास फिर से विचार करने के लिए भेज दिया और इस पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया. प्रार्थी का आरोप है कि इस आदेश के बाद सरकार ने भी खनिज ले जाने की छूट प्रदान की. प्रार्थी ने अदालत से एकलपीठ के आदेश और इसके बाद सरकार की ओर से की गई कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया है.