रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले के मेंटेनेबिलिटी पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट फैसला सुनाएगी. बुधवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर झारखंड हाई कोर्ट में बुधवार को इस बात को लेकर 4 घंटे तक बहस चली कि शेल कंपनी से जुड़ा मामला सुनवाई के योग्य है या नहीं. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की पीआईएल संख्या 4290 की वैधता पर सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुख्यमंत्री की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सवाल खड़े किए.
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कपिल सिब्बल ने पिटीशनर के क्रेडेंशियल पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा के पिताजी हेमंत सोरेन के पिताजी के एक मामले में गवाह थे. इसलिए उन्होंने एक साजिश के तहत मामले को उठाया है. सीएम की तरफ से अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी याचिकाकर्ता के क्रैडेंशियल पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने भी इसे साजिश बताते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी.
इसपर ईडी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा था कि अगर कोई टेक्निकल पक्ष आड़े आ रहा है तो कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है. कोर्ट मेंटेनेबिलिटी को तय कर सकता है. उन्होंने कहा था कि मनरेगा मामले की जांच के दौरान ईडी को शेल कंपनी से जुड़े कई अहम तथ्य मिले हैं, इसलिए जांच होने में क्या हर्ज है.
आपको बता दें कि 24 मई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि आज सिर्फ शेल कंपनियों से जुड़े पीआईएल के मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई हुई है. उन्होंने कहा कि मनरेगा मामला और मुख्यमंत्री के खनन पट्टा से जुड़े पीआईएल के मेंटेनेबिलिटी पर बचाव पक्ष की तरफ से किसी तरह का सवाल नहीं उठाया गया है. अब देखना है कि 3 जून को हाईकोर्ट का क्या फैसला आता है.