रांचीः हजारीबाग के एक महिला को शौचालय साफ करने वाले एसिड पिलाने के मामले में हाई कोर्ट द्वारा लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की बेंच में सुनवाई हुई. अदालत ने पुलिस की जांच रिपोर्ट में विरोधाभास को देखते हुए कड़ी नाराजगी व्यक्त की हजारीबाग एसपी को तलब कर जवाब मांगा है.
अदालत ने 14 अगस्त को एसपी को अदालत में सुनवाई के दौरान उपस्थित होकर जवाब देने को कहा है. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हजारीबाग की एक महिला को ऐसिड पिलाने के मामले में लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की गई.
न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा हजारीबाग पुलिस की जांच रिपोर्ट को देखते ही अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की.
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उन्होंने कहा कि पुलिस की 2 अलग-अलग जांच रिपोर्ट में कई खामियां दिख रही हैं. उन्होंने पूछा कि, एक ही मामले की जांच रिपोर्ट में दो तरह की विरोधाभास कैसे दिख रहे हैं? जिसका सकारात्मक जवाब नहीं दिए जाने पर अदालत ने एसपी को तलब कर जवाब पेश करने को कहा है.
उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान एसपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत को सभी जांच रिपोर्ट से अवगत कराएं. उन्होंने सरकार को हिदायत देते हुए कहा कि, अगर जरूरत पड़ी तो अदालत सीबीआई से भी जांच करवा सकती है.
बता दें कि हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था कि हजारीबाग में एक महिला को एसिड पिलाया गया, यह दुखद स्थिति है और कुछ नहीं हो पा रहा है.
अधिवक्ता के उस पत्र पर हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका में बदलकर सुनवाई करने का आदेश दिया. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान एसपी हजारीबाग और केस के जांच पदाधिकारी को हाजिर होकर जवाब देने को कहा है.