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गिरिडीह में 4 लोगों को जलाकर मारने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई, जांच CID से कराने का आदेश - झारखंड हाई कोर्ट

गिरिडीह में एक महिला और तीन नाबालिग बच्चों को जलाकर मार देने के मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में हुई. सुनवाई करते हुए पूरे मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया गया है.

गिरिडीह में 4 लोगों को जलाकर मारने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई
Hearing in High Court on burning 4 people with minor case in Giridih
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Published : Oct 14, 2020, 10:59 PM IST

रांची: गिरिडीह के धनबार थाना क्षेत्र में महिला सहित तीन बच्चे की जलाकर मारने के मामले की जांच पर हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की. आनन-फानन में डीजीपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए. अदालत में मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश देते हुए डीजीपी को जांच पदाधिकारी और सुपरविजन कर रहे पदाधिकारी की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है, साथ ही उन्होंने हिदायत दी है कि ऐसे पुलिस पदाधिकारी को तब तक कोई जांच ना दी जाए, जब तक इनकी भूमिका की जांच पूरी न हो जाए.

मामले की जांच निष्पक्षता पूर्वक कराने का आदेश


गिरिडीह में एक महिला और तीन नाबालिग बच्चों को जलाकर मार देने के मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में हुई. सुनवाई करते हुए पूरे मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया गया है. महिला के पिता चंद्रिका यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया था. उनकी बेटी और तीन नाबालिग बच्चों की हत्या के बाद भी आरोपियों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं. गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं और उन्हें धमकी दे रहे हैं. इस मामले की जांच निष्पक्षता पूर्वक कराने का आदेश दिया जाए.

न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में मामले की सुनवाई

न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में मामले की सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केस डायरी की मांग की और गिरिडीह एसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने का आदेश दिया. मामले की सुनवाई के दौरान गिरिडीह एसपी उपस्थित थे. केस डायरी देखने के बाद अदालत ने उनसे पूछा कि इस तरह के जघन्य अपराध में अब तक नामित आरोपियों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया है? आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और गवाहों को धमकी दे रहे हैं.

ऐसे में पुलिस क्यों नहीं कार्यवाही कर रही है? एसपी की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले के सुपरविजन के दौरान एसडीपीओ ने यह पाया कि उक्त महिला का किसी अन्य पुरुष के साथ प्रेम संबंध था, जिसके कारण पति पत्नी में आपस में झगड़ा हुआ था और उसने आत्महत्या कर ली थी. अदालत ने पूछा कि इस बात का उल्लेख मुख्य केस डायरी में क्यों नहीं किया गया है?

ये भी पढ़ें-साहिबगंजः नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म मामले में 4 गिरफ्तार, एक अब भी फरार


यह बताया गया कि इस बात का उल्लेख सुपरविजन नोट में किया गया है और पूरक केस डायरी में सुपरविजन नोट के आधार पर इसे अंकित भी किया गया है. अदालत ने इस पर नाराजगी जाहिर की और इस तरह के अनुसंधानकर्ता और सुपरविजन करने वाले पदाधिकारियों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करने की बात कही. इसके बाद अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी को तलब किया. डीजीपी उपस्थित हुए और अदालत को आश्वस्त किया. मामला बहुत गंभीर है और इसकी जांच सीआईडी से कराई जाएगी. डीजीपी के आश्वासन के बाद अदालत ने मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया.


याचिका निष्पादित करने का आदेश

अदालत ने यह आदेश भी दिया है कि मौजूदा अनुसंधानकर्ता और सुपरविजन करने वाले पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ इस तरह के गंभीर मामले का अनुसंधान सही तरीके से नहीं करने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. इस मामले की जांच सीआईडी से की जाएगी. इन दोनों पुलिस अधिकारियों को उससे अलग रखा जाएगा. इनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी और जब तक कार्यवाही पूरी नहीं कर ली जाती, तब तक इन्हें किसी भी प्रकार के जांच से अलग रखा जाए. पोस्ट ऑफिस के साथ ही अदालत ने याचिका निष्पादित करने का आदेश दिया.

रांची: गिरिडीह के धनबार थाना क्षेत्र में महिला सहित तीन बच्चे की जलाकर मारने के मामले की जांच पर हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की. आनन-फानन में डीजीपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए. अदालत में मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश देते हुए डीजीपी को जांच पदाधिकारी और सुपरविजन कर रहे पदाधिकारी की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है, साथ ही उन्होंने हिदायत दी है कि ऐसे पुलिस पदाधिकारी को तब तक कोई जांच ना दी जाए, जब तक इनकी भूमिका की जांच पूरी न हो जाए.

मामले की जांच निष्पक्षता पूर्वक कराने का आदेश


गिरिडीह में एक महिला और तीन नाबालिग बच्चों को जलाकर मार देने के मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में हुई. सुनवाई करते हुए पूरे मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया गया है. महिला के पिता चंद्रिका यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया था. उनकी बेटी और तीन नाबालिग बच्चों की हत्या के बाद भी आरोपियों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं. गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं और उन्हें धमकी दे रहे हैं. इस मामले की जांच निष्पक्षता पूर्वक कराने का आदेश दिया जाए.

न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में मामले की सुनवाई

न्यायाधीश आनंद सेन की बेंच में मामले की सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केस डायरी की मांग की और गिरिडीह एसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने का आदेश दिया. मामले की सुनवाई के दौरान गिरिडीह एसपी उपस्थित थे. केस डायरी देखने के बाद अदालत ने उनसे पूछा कि इस तरह के जघन्य अपराध में अब तक नामित आरोपियों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया है? आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और गवाहों को धमकी दे रहे हैं.

ऐसे में पुलिस क्यों नहीं कार्यवाही कर रही है? एसपी की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले के सुपरविजन के दौरान एसडीपीओ ने यह पाया कि उक्त महिला का किसी अन्य पुरुष के साथ प्रेम संबंध था, जिसके कारण पति पत्नी में आपस में झगड़ा हुआ था और उसने आत्महत्या कर ली थी. अदालत ने पूछा कि इस बात का उल्लेख मुख्य केस डायरी में क्यों नहीं किया गया है?

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यह बताया गया कि इस बात का उल्लेख सुपरविजन नोट में किया गया है और पूरक केस डायरी में सुपरविजन नोट के आधार पर इसे अंकित भी किया गया है. अदालत ने इस पर नाराजगी जाहिर की और इस तरह के अनुसंधानकर्ता और सुपरविजन करने वाले पदाधिकारियों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करने की बात कही. इसके बाद अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीजीपी को तलब किया. डीजीपी उपस्थित हुए और अदालत को आश्वस्त किया. मामला बहुत गंभीर है और इसकी जांच सीआईडी से कराई जाएगी. डीजीपी के आश्वासन के बाद अदालत ने मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया.


याचिका निष्पादित करने का आदेश

अदालत ने यह आदेश भी दिया है कि मौजूदा अनुसंधानकर्ता और सुपरविजन करने वाले पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ इस तरह के गंभीर मामले का अनुसंधान सही तरीके से नहीं करने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. इस मामले की जांच सीआईडी से की जाएगी. इन दोनों पुलिस अधिकारियों को उससे अलग रखा जाएगा. इनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी और जब तक कार्यवाही पूरी नहीं कर ली जाती, तब तक इन्हें किसी भी प्रकार के जांच से अलग रखा जाए. पोस्ट ऑफिस के साथ ही अदालत ने याचिका निष्पादित करने का आदेश दिया.

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