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स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का शायराना अंदाज, जानिए इसके पीछे क्या है राज

सोमवार को बजट सत्र में भाग लेने आये स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने ना केवल सदन में कविता पाठ की बल्कि विधानसभा परिसर में मीडिया के समक्ष कविता पाठ करते दिखे. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के इस कविता पाठ में कई भाव छुपे हुए हैं.

Health Minister Banna Gupta, poetry recitation of Banna Gupta
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता
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Published : Mar 7, 2022, 4:16 PM IST

रांची: होली जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे हर आम और खास पर बुरा ना मानो होली है... के रंग चढने लगे हैं. कुछ ऐसा ही दिखा स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के अंदाज से जब उन्होंने विधानसभा परिसर में स्वरचित कविता पाठ कर मीडिया की सुर्खी बटोरने लगे.

ये भी पढ़ें- विधानसभा घेरने जा रहे आजसू नेताओं को पुलिस ने रिंग रोड पर रोका, पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो बोले-लोगों की आवाज दबा रही सरकार

दरअसल, सोमवार को बजट सत्र में भाग लेने आये बन्ना गुप्ता ने ना केवल सदन में कविता पाठ की बल्कि विधानसभा परिसर में मीडिया के समक्ष कविता पाठ करते दिखे. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के इस कविता पाठ में कई भाव छुपे हुए हैं. कभी ना जाता व्यर्थ जगत में त्याग और बलिदान, मरती नहीं है कीर्ति मरता है इंसान, मरकर भी चमकोगे जैसे चांद सितारा, सदा रहेगा जग में नाम रौशन बन्ना नाम तुम्हारा. बन्ना गुप्ता के कविता का यह अंश राजनीतिक दृष्टि से भी काफी अहम माना जा रहा है.

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता

आखिर इन दिनों शायराना मूड में क्यों हैं बन्ना गुप्ता: बन्ना गुप्ता इन दिनों शायराना मूड में दिख रहे हैं. कोई इसे होली से जोड़कर देख रहा है तो कोई इसे राजनीतिक चश्मे से देख रहा है. इन सबके बीच स्वास्थ्य मंत्री जी का अंदाज बाकई में बदला बदला सा है. राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चा हो रही है. कांग्रेस मंथन शिविर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर टिप्पणी भी बन्ना गुप्ता ने सायराना अंदाज में किया था, जिसके बाद से लगातार बन्ना गुप्ता का बॉडी लैंग्वेज और बातचीत बदला बदला सा है.

स्वास्थ्य मंत्री से कवि बने बन्ना गुप्ता से जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि आखिर बदलाव क्यों हो रहा है, तो उनका जवाब ही बताने के लिए काफी था कि उनके भीतर क्या है. बन्ना गुप्ता के शब्दों में 'मेरे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है उसके बाद पार्टी है. राष्ट्र के साथ मैं कभी समझौता नहीं किया है और ना ही करुंगा. इसी तरह ना राष्ट्रीय भाषा के साथ समझौता करुंगा और ना ही मां भारती को लेकर समझौता करुंगा और ना ही देश के सर्वसामान्य के लिए समझौता करुंगा. चूंकि मैं झारखंड में पैदा हुआ हूं, मेरा भी झारखंड में अधिकार है. इसलिए मैं झारखंडी हूं, मुझे यहीं श्मसान जाना है और कहीं नहीं जाना है. इसलिए जो झारखंड में पैदा हुआ है वह झारखंडी है, उसके मूलभूत अधिकारों के साथ खिलवाड़ बन्ना गुप्ता कभी स्वीकार नहीं करेगा.

रांची: होली जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे हर आम और खास पर बुरा ना मानो होली है... के रंग चढने लगे हैं. कुछ ऐसा ही दिखा स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के अंदाज से जब उन्होंने विधानसभा परिसर में स्वरचित कविता पाठ कर मीडिया की सुर्खी बटोरने लगे.

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दरअसल, सोमवार को बजट सत्र में भाग लेने आये बन्ना गुप्ता ने ना केवल सदन में कविता पाठ की बल्कि विधानसभा परिसर में मीडिया के समक्ष कविता पाठ करते दिखे. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के इस कविता पाठ में कई भाव छुपे हुए हैं. कभी ना जाता व्यर्थ जगत में त्याग और बलिदान, मरती नहीं है कीर्ति मरता है इंसान, मरकर भी चमकोगे जैसे चांद सितारा, सदा रहेगा जग में नाम रौशन बन्ना नाम तुम्हारा. बन्ना गुप्ता के कविता का यह अंश राजनीतिक दृष्टि से भी काफी अहम माना जा रहा है.

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता

आखिर इन दिनों शायराना मूड में क्यों हैं बन्ना गुप्ता: बन्ना गुप्ता इन दिनों शायराना मूड में दिख रहे हैं. कोई इसे होली से जोड़कर देख रहा है तो कोई इसे राजनीतिक चश्मे से देख रहा है. इन सबके बीच स्वास्थ्य मंत्री जी का अंदाज बाकई में बदला बदला सा है. राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चा हो रही है. कांग्रेस मंथन शिविर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर टिप्पणी भी बन्ना गुप्ता ने सायराना अंदाज में किया था, जिसके बाद से लगातार बन्ना गुप्ता का बॉडी लैंग्वेज और बातचीत बदला बदला सा है.

स्वास्थ्य मंत्री से कवि बने बन्ना गुप्ता से जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि आखिर बदलाव क्यों हो रहा है, तो उनका जवाब ही बताने के लिए काफी था कि उनके भीतर क्या है. बन्ना गुप्ता के शब्दों में 'मेरे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है उसके बाद पार्टी है. राष्ट्र के साथ मैं कभी समझौता नहीं किया है और ना ही करुंगा. इसी तरह ना राष्ट्रीय भाषा के साथ समझौता करुंगा और ना ही मां भारती को लेकर समझौता करुंगा और ना ही देश के सर्वसामान्य के लिए समझौता करुंगा. चूंकि मैं झारखंड में पैदा हुआ हूं, मेरा भी झारखंड में अधिकार है. इसलिए मैं झारखंडी हूं, मुझे यहीं श्मसान जाना है और कहीं नहीं जाना है. इसलिए जो झारखंड में पैदा हुआ है वह झारखंडी है, उसके मूलभूत अधिकारों के साथ खिलवाड़ बन्ना गुप्ता कभी स्वीकार नहीं करेगा.

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