रांची: महिला अधिवक्ता के साथ शारीरिक शोषण मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने प्रदीप यादव की याचिका खारिज कर दी है. इस मामले में कांग्रेस नेता प्रदीप यादव ने क्रिमिनल रिवीजन के लिए झारखंड हाई कोर्ट अपील दायर की थी. इस मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए प्रदीप यादव की याचिका खारिज कर दी है. इस मामले में कोर्ट में दोनों पक्षों को सुनने के बाद 17 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद अभ प्रदीप यादव को निचली अदालत में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा.
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यौन शोषण मामले में आरोपी विधायक प्रदीप यादव की याचिका को झारखंड हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए प्रदीप यादव की क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन को खारिज कर दिया. प्रदीप यादव के द्वारा दुमका स्पेशल जज की अदालत द्वारा 2 अप्रैल 2022 को उनके डिस्चार्ज पिटीशन को खारिज किए जाने के विरुद्ध हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
सूचक की ओर से हाई कोर्ट में पक्ष रख रहे अधिवक्ता विनोद साहु ने न्यायालय के फैसले को सही बताते हुए कहा है कि प्रदीप यादव की याचिका पर 17 अगस्त को झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था. न्यायालय के इस फैसले के बाद प्रदीप यादव के पास तीन विकल्प हैं, या तो वे निचली अदालत में ट्रायल फेस करें, या हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएं या दोनों पक्षों की ओर से समझौता हो. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के ऑर्डर की कॉपी आने के बाद हालांकि चीजें और स्पष्ट हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि इस फैसले से प्रदीप यादव की जमानत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
विधायक प्रदीप यादव पर लगा है यौन शोषण का आरोप: विधायक प्रदीप यादव पर एक महिला अधिवक्ता के द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाते हुए 20 अप्रैल 2019 को देवघर महिला थाना में कांड दर्ज कराया गया था. देवघर महिला थाना में कांड दर्ज होने के बाद इसकी सुनवाई दुमका स्थित एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. इस दौरान विधायक प्रदीप यादव के द्वारा झारखंड हाईकोर्ट से जमानत की गुहार लगाई गई. जिसमें उन्हें 28 सितंबर 2019 को बेल मिला था. इसके अलावा इस मामले में हाई कोर्ट के द्वारा प्रदीप यादव के खिलाफ दुमका के एमपी- एमएलए कोर्ट में इस मामले से संबंधित चल रही कार्यवाही पर भी रोक लगाई गई थी, लेकिन आज शुक्रवार को प्रदीप यादव की याचिका खारिज होने के बाद अब निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है.