रांची: बच्चों को बेहतर स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार लीडर और मॉडल स्कूल बनाने का नया प्रयोग करने जा रही है. मॉडल स्कूल बनाकर स्कूली शिक्षा में बदलाव लाने की योजना है. इस योजना को लेकर स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से लगातार विमर्श का दौर जारी है. प्रथम चरण में 80 स्कूलों को अपग्रेड कर मॉडल लीडर स्कूल बनाया जाएगा.
पहले चरण में 80 स्कूल बनेंगे लीडर
अभिभावकों की इच्छा होती है कि उनके बच्चे भी निजी स्कूलों में पढ़ें, स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर हो, बेहतर शिक्षक हो, जिससे बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके, लेकिन भारत में यह संभव नहीं है कि शत प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ाई करें. अभिभावक भी चाह कर भी निजी स्कूलों में अपने बच्चों का नामांकन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि निजी स्कूलों में नामांकन के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है, लेकिन इन समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से झारखंड के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक योजना के तहत सरकारी स्कूलों को डेवलप करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
पहले चरण में राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से 80 स्कूलों को चयनित कर लीडर स्कूलों की तर्ज पर अपग्रेड करने की योजना बनाई गई है. इसे लेकर सीबीएसई से संबद्धता लिए जाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.
स्कूलों में बेहतर संसाधन होंगे
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने फिलहाल स्कूलों का चयन कर लिया है, जिन्हें लीडर स्कूल बनाना है, लेकिन पहले चरण में 80 स्कूलों को अपग्रेड कर उसे मॉडल और लीडर स्कूल बनाया जा रहा है, जिस स्कूलों में बेहतर संसाधन होंगे.
राज्य के सभी पंचायतों में लीडर स्कूल खुलेगा. सरकार की ओर से 4,416 स्कूलों को मॉडल बनाने की योजना तैयार की गई है. हालांकि विभाग ने फिलहाल 3,587 स्कूलों का चयन किया है. विभिन्न जिलों के 80 स्कूलों को अपग्रेड कर उन्हें मॉडल स्कूल बनाए जाने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है. इन स्कूलों में दसवीं और बारहवीं तक की पढ़ाई होगी. इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी. नए भवन भी बनाए जा रहे हैं. खेलकूद की भी विशेष व्यवस्था की जानी है.
इसे भी पढे़ं: झारखंड में कोरोना: सीएम हेमंत सोरेन ने कहा- महामारी को हल्के में न लें राज्यवासी, जरूरत के अनुरूप सरकार लेगी निर्णय
हर जिले में कम से कम 3 स्कूल होंगे मॉडल
राज्य के हर जिले में कम से कम 3 स्कूलों का मॉडल बनाया जाना है. सभी जिलों के जिला स्कूल, एक-एक कस्तूरबा और 1-1 बालिका स्कूल को शामिल किया जा रहा है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से जिला बार ऐसे स्कूलों की सूची तैयार कर ली गई है. इस योजना के तहत सबसे अधिक स्कूल गिरिडीह जिले में खुलेंगे.
विभाग द्वारा सभी जिलों से स्कूल शिक्षकों की संख्या और उपलब्ध संसाधनों की जानकारी मांगी गई है. कई स्कूलों का शिक्षा सचिव खुद निरीक्षण भी कर चुके हैं और इसी आधार पर स्कूलों का चयन किया गया है. स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग का भी प्रस्ताव है कि सभी पंचायतों में एक ऐसा लीडर स्कूल होगा, जहां पहली से दसवीं तक की आधुनिक तरीके से पढ़ाई शुरू होगी.
स्मार्ट क्लास से लेकर ई लाइब्रेरी की व्यवस्था होनी है. यह स्कूल संबंधित पंचायत के दूसरे स्कूलों के मार्गदर्शक की भूमिका में रहेगा. इन स्कूलों को देखकर पंचायत के दूसरे स्कूल बेहतर होंगे. मॉडल स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू होनी है. राज्य के जिला स्कूल का मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है.
शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर योजना तैयार
लीडर और मॉडल स्कूलों में इसके लिए शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर विभाग इन दिनों रेस में है. स्कूलों में लैब की स्थापना की जाएगी. स्पोकेन इंग्लिश कोर्स संचालित किए जाएंगे. प्रधान अध्यापक और शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर उनके क्षमता का विकास किया जाएगा. शिक्षकों के मूल्यांकन की व्यवस्था भी लागू होगी.
इन स्कूलों में उत्कृष्ट कोटि के आधारभूत और मूलभूत संरचना, साइंस लैब, पुस्तकालय, डिजिटल क्लासरूम, कंप्यूटर सुविधा, खेलकूद की सुविधा के साथ-साथ एक आदर्श विद्यालय के रूप में तमाम आधारभूत संरचनाओं को विकसित किया जाएगा, ताकि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी गर्व से निजी स्कूलों के विद्यार्थियों को टक्कर दे सकें.
इसे भी पढे़ं: समग्र शिक्षा अभियान: सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के घर तक पहुंचाई जाएंगी किताबें, कोरोना के मद्देनजर निर्णय
राजधानी रांची के 3 स्कूलों का हो चुका है चयन
लीडर स्कूल के लिए रांची जिले के 3 स्कूलों को चयन कर लिया गया है, जिसमें रांची का जिला स्कूल, मॉडल स्कूल कांके, केवीएस जगन्नाथपुर स्कूल शामिल है. राज्य स्तर पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति इन स्कूलों की निगरानी करेगी. वहीं शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में राज्य कार्यकारिणी समिति भी गठित होगी, जिससे कि स्कूलों की निगरानी बेहतर तरीके से हो सके.
सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं
राज्य के लगभग 35 हजार सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत लगभग 45 लाख विद्यार्थियों में बहुसंख्यक विद्यार्थियों की शिक्षा और उपस्थिति स्तर बेहतर नहीं है. स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता भी कम है. उनका ग्रेड बेहतर करने के उद्देश्य से ही यह योजना तैयार की गई है. विषयवार योग्य शिक्षकों की कमी है और आधारभूत संरचनाएं नहीं हैं.
इस योजना के अंतर्गत 15 लाख बच्चों के शिक्षण स्तर को उनके ग्रेड के अनुसार विकसित किया जाएगा, साथ ही इन स्कूलों से प्रेरित होकर अन्य स्कूल और शिक्षक अपने स्कूल को लीडर स्कूल बनाने के लिए प्रेरित होंगे. अगले 5 वर्षों में ही विद्यालयों के 70 फीसदी विद्यार्थियों का शिक्षण अधिकतम ग्रेड ए के अनुरूप बनाने का लक्ष्य विभाग का है.